साथियों, भारत में हाल ही में एक नया कानून पार्शल लागू हुआ है। यह कानून लागू हुआ है टेलीकॉम से संबंधित। आपके और हमारे काम की जो बातें बताई जा रही हैं, वह यह है कि कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में नौ से ज्यादा सिम नहीं ले सकेगा। यानी कि नौ बार ही सिम ले सकेगा और अगर ज्यादा ली तो उस पर पनिशमेंट लगेगा। लेकिन सिम के नाम से अगर आप इस कानून को याद रखें तो यह केवल उस पूरे समुंदर में से एक चम्मच भर का नॉलेज है।
यानी कि भारत ने एक ऐसा कानून इंप्लीमेंट कर दिया है जो कि बहुत लंबे समय से केंद्र सरकार के द्वारा जो मंतव्य है कि औपनिवेशिक काल के कानूनों से बाहर निकला जाएगा उसको जाहिर करने के लिए लाया गया है। ऐसा क्या हुआ है इस बिल में जिसकी वजह से आने वाले समय में एलन मस्क को भारत में सैटेलाइट का जो राइट है वह दिया जा सकेगा? ऐसा क्या हुआ है इस बिल में जिसकी वजह से सरकार जब इमरजेंसी सिचुएशंस होंगी तो भारत के टेलीकॉम ऑपरेटर्स के राइट्स को अपने पास रखकर उनकी बातों को सुन सकेगी, उनके द्वारा किए गए कार्यों को कंट्रोल कर सकेगी?
इस बिल में यह कहा गया है कि अगर कोई इमरजेंसी सिचुएशन बनी तो आपके कम्युनिकेशन को, आपके मैसेजेस को पढ़ा जा सकेगा। इस बिल में यह भी कहा गया है कि अब आपके घर पर अगर टावर लगाना हो, आपके घर को तोड़कर रास्ता निकालना हो तो यह कानून सरकार को ताकत देता है।
ये सारी बातें आज के इस सेशन में डिटेल से हम करने वाले हैं। साथियों, बात है टेलीकम्युनिकेशन एक्ट 2023 की। बिल और एक्ट में क्या अंतर है? बिल जब संसदीय स्तर पर होता है और राष्ट्रपति की साइन के बाद में वह कानून बन जाता है, एक्ट बन जाता है।
साथियों, टेलीकम्युनिकेशन एक्ट 2023, 26 जून 2024 से लागू हो चुका है और इसके लागू होते ही भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 और भारतीय वायरलेस टेलीग्राफ अधिनियम 1933 जैसे मौजूदा विधाई ढांचे को निरस्त कर दिया गया है।
अर्थात ऐसे समझिए कि हमारे देश में जैसे पहले आईपीसी यानी इंडियन पीनल कोड, सीआरपीसी और साक्ष्य संहिता हुआ करती थी, उन्हें हमने रिप्लेस कर दिया भारतीय य संहिता से। प्रधानमंत्री जी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि हम औपनिवेशिक काल की जो मानसिकता है उससे बाहर निकलेंगे।
औपनिवेशिक काल की मानसिकता मतलब उस समय पर उपनिवेश के समय जो कानून चला करते थे हम उनको नहीं मानेंगे, उनसे आगे निकलेंगे। तो उनको नहीं मानेंगे से मतलब क्या है? आईपीसी 1860 के आसपास आई हुई है और वह अब तक हमारे देश में चली आ रही है। उसे हटाओ, नए कानून नए आजाद भारत के हिसाब से बनाओ।
भारत में आज भी जो टेलीकम्युनिकेशन हो रहा है वह अंग्रेजों के काल में बनाए गए कानूनों से हो रहा था। अंग्रेजों के समय पर ही भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 बनाया गया था जिससे आज का जो कम्युनिकेशन है वह गवर्न होता था। इसी तरह वायरलेस टेलीग्राफ अधिनियम 1933 से गवर्न होता था। अब इन्हें हटाकर भारत ने अपना नया टेलीकम्युनिकेशन एक्ट 2023 बना लिया है। कह दीजिए कि यह समय की डिमांड भी है क्योंकि जिस समय ये सब एक्ट आए थे उस समय ना तो स्पेक्ट्रम में कोई इतनी ज्यादा जरूरत थी, स्पेक्ट्रम जैसी चीज ही नहीं थी, 2G, 3G, 4G कुछ हुआ ही नहीं करता था। साथ में ना ही कोई सैटेलाइट के लिए डिमांड रखता था। अब सैटेलाइट कम्युनिकेशन जैसी चीजें होने लगी हैं।
अब लोग मोबाइल में ही कुछ ऐसी सेटिंग करके भेजने लगे हैं जिसके चलते आपने भले ही सिम किसी भी ऑपरेटर की ले रखी हो लेकिन कोई सुनना चाहे तो आपकी जानकारी सुन सकता है जैसे चाइना के केस में हुआ था। चाइना के केस में आपको याद होगा, हमने चाइनीज बहुत सारे इंस्ट्रूमेंट्स को इसलिए मना कर दिया था कि ये भारत की बहुत सारी गुप्त सूचनाएं लेकर चला जाए। तो इतनी सारी डिमांड्स जब अब कम्युनिकेशन में एज ए चैलेंज आने लगीं, तो इनके लिए एक नए कानून की आवश्यकता थी और नया कानून 2023, 26 जून 2024 से लागू हो चुका है।
इसका पिलर क्या है? संवेद, सुरक्षा और वृद्धि, त्वरित कारवाई, इसके लिए इसको लाया गया। इसका इतिहास अगर देखा जाए, तो इतिहास यह है कि 2022 में सरकार के द्वारा एक बिल ड्राफ्ट किया गया था जो कि इंटरनेट बेस्ड जो कम्युनिकेशन है और ओटीटी प्लेटफॉर्म है, इनको रेगुलेट करने के लिए था। फिर टेलीकॉम बिल को इंट्रोड्यूस किया गया संसद के अंदर वर्ष 2023 के अंदर, जिसमें कि सरकार को कुछ ज्यादा पावर देने की बात की गई। पार्लियामेंट प्रोसीडिंग्स में इसको लोकसभा के अंदर पास किया गया। लोकसभा के अंदर इसको पास करके 138 साल पुराने इंडियन टेलीग्राफ एक्ट को खत्म करने के लिए लाया गया है। ऐसा बताया गया 2023 में ही लोकसभा से पास हुआ, 2023 में ही राज्यसभा से पास हुआ और 2023 में ही दिसंबर 26, 2026 को प्रेसिडेंट के द्वारा इस बिल पर परमिशन मिल गई यानी कि कानून बन गया।
कोई भी बिल अगर एक्ट बनता है तो लोग लोकसभा से राज्यसभा से पास होकर राष्ट्रपति की परमिशन से वह कानून बन जाता है। कानून तो बन गया था 2023 के दिसंबर में ही, अब उसे लागू होना था। तो लागू होने के लिए जून 24 की तारीख चुनी गई क्योंकि दिसंबर 26 को आपने राष्ट्रपति से परमिशन पाई है और दिसंबर 21 को आपने राष्ट्रपति से परमिशन पाई तो 26 तारीख को यह बिल पास हो मतलब लागू हो जाता है। कानून बनकर के टेलीकम्युनिकेशन एक्ट 2023 के नाम से लागू 24 के अंदर हो जाता है।
अब इसमें जो खास बातें हैं, वो मैं आपको पीआईबी से पढ़ के सुना रहा हूं। बाकी इनको अलग से भी हमने लिया, लेकिन आप एक साथ सारी बातें सुन लें इसलिए मैं इसी टेबल से आपको एक-एक चीज के ऊपर टिप्पणी करते हुए टेलीकम्युनिकेशन बिल 2023 के बारे में बताऊंगा कि क्या चेंज हो रहा है और किस तरह से चल रहा है।
तो सबसे पहले की प्रोविजन हो सकता है आप में से बहुत से लोगों को ये विजिबल ना हो रहा हो, अगर नहीं हो रहा है तो सुन लीजिए। और बाद में यह पूरा का पूरा कंटेंट हम अपनी वेबसाइट, अपनी पाठshala.com पर डाल देंगे। आप वहां से भी इसे एक्सेस कर सकते हैं।
चलिए तो सबसे पहले अगर हम आते हैं इस बात पर कि इस बिल ने किस चीज को हटा दिया। तो आंसर है कि इसके द्वारा इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 को हटा दिया, नंबर एक। नंबर दूसरा, इंडियन वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट 1933 को हटा दिया, नंबर दो। और तीसरा, टेलीग्राफ वायर अनलॉफुल पजेशन एक्ट 1950, इसको हटा दिया। और नंबर चौथा, अमेंड कर दिया है इसने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्ट 1997 को।
पहला, इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 को बदला है।
दूसरा, वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट 1933 को बदला है।
तीसरा, टेलीग्राफ वायर अनलॉफुल पजेशन एक्ट 1950 को।
चौथा, ट्राई एक्ट 1997 में परिवर्तन किया।
पहली चीज तो आपको यह समझ में आनी चाहिए। दूसरा, ऑथराइजेशन ऑफ टेलीकॉम रिलेटेड सर्विसेज, स्पेक्ट्रम, नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड टेलीकॉम टावर। सरकार के द्वारा नए लाइसेंस प्रदान किए जाएंगे।
तीसरी चीज, इंपोर्ट, मैन्युफैक्चरिंग और यूज ऑफ टेलीकॉम इक्विपमेंट्स। चौथा, यूज ऑफ स्पेक्ट्रम। सरकार के द्वारा स्पेक्ट्रम को लेकर के अपने राइट्स बढ़ाए गए हैं।
सरकार ने यह भी कहा है कि इस नए कानून में सरकार यह देखेगी कि आप जितनी बार स्पेक्ट्रम ले रहे हैं, उसके एवज में अगर आप किसी जगह पर कोई स्पेक्ट्रम अगर एक्वायर कर रहे हैं तो वहां से एक्वायर करने के बाद उसको अगर जरूरत पड़ी, तो सरकार वहां पर आकर इन स्पेक्ट्रम का दोबारा से ऑक्शन भी कर सकती है।
यानी कि एक बार जिस स्पेक्ट्रम को आपने ले लिया, वह जीवन भर के लिए आपका नहीं होगा। हो सकता है कि उसे आगे ऑक्शन करना पड़े। उसमें नियम यह होगा कि अगर आप स्पेक्ट्रम खरीदते हैं, उसमें कोई भी पार्टी चाहे वह वोडाफोन हो, चाहे वह रिलायंस हो, चाहे वह कोई भी हो, उस स्पेक्ट्रम को अगर वह खाली कर रही है, वहां से शिफ्ट कर रही है, उसको दोबारा से उस स्पेक्ट्रम को बेचना पड़ेगा।
इसके अलावा, यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड जो कि सरकार के द्वारा बनाया गया था, यह भी एक खास बात है। तो यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड सरकार के द्वारा जो बनाया गया था, जिसमें कहा गया था कि देश के सभी नागरिकों को समान रूप से कम्युनिकेशन की सर्विसेज प्रोवाइड की जाएंगी, उसके द्वारा भी रेगुलेट किया जाएगा।
इन सारी बातों को अगर देखा जाए तो यह पूरी की पूरी चीजें जो टेलीकॉम के क्षेत्र में बदल रही हैं, वह एक तरीके से देखा जाए कि भारत सरकार को और ज्यादा पावर दे रही हैं और इन्हीं सारे पॉइंट्स को देखते हुए कहा जा सकता है कि देश में अब जो है एक नया टेलीकॉम कानून लागू हो चुका है। और यह नया टेलीकॉम कानून हमारे जीवन में बड़ी भुमिका निभाएगा।