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जम्मू-कश्मीर में कोई क्यों नहीं ले रहा है लिथियम खदान ?

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आज से एक साल पहले देश में एक बड़ी सुर्खी थी कि जम्मू-कश्मीर में सफेद सोना मिला है, यानी लिथियम के भंडार मिले हैं। लिथियम के भंडार मिलते ही हमें लगा कि जम्मू-कश्मीर ने भारत को वह दे दिया है, जिसके लिए भारत को इंपोर्ट डिपेंडेंसी से बचकर निकलने में मदद मिलेगी। लगातार उसी के बैक टू बैक, फिर राजस्थान के डेगाना खबर मिली कि देश की कुल लिथियम आवश्यकता का 80 प्रतिशत केवल राजस्थान के नागौर डेगाना में ही मिल गया है। इन दो खबरों ने हमें लिथियम में आत्मनिर्भर होने के प्रति प्रेरित किया।

लिथियम क्या है?

मैं याद दिला दूं कि आज अगर भारत 2070 तक नेट न्यूट्रलिज्म यानी कार्बन डाइऑक्साइड न्यूट्रल होने का लक्ष्य रखता है, तो इसके लिए पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने की आवश्यकता होगी। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी की जरूरत होती है, जिसमें लिथियम आयन बैटरी का महत्वपूर्ण योगदान होता है। वर्तमान में, भारत की लिथियम आयन बैटरी की जरूरत का सबसे बड़ा सोर्स चाइना और हांगकांग हैं।

जब भारत में लिथियम के भंडार मिले, तो हमें लगा कि हम अपने ही लिथियम भंडारों से बहुत लाभ कमाएंगे। लेकिन जम्मू-कश्मीर में मिली यह सूचना एक पल के लिए खुशी थी, उसके बाद जो चुनौतियां सामने आईं वे चिंता का कारण बनीं।

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लिथियम माइनिंग की समस्याएं

जम्मू-कश्मीर में लिथियम माइनिंग के लिए कोई भी ऑक्शन में हिस्सा नहीं ले रहा है। यह तीसरी बार है कि ऑक्शन को रद्द करना पड़ा है। वर्ष 2023 में और 2024 की शुरुआत में भी ऑक्शन के लिए कोई बोलीदाता नहीं आया।

चुनौतियाँ

  1. जियोलॉजिकल हर्डल्स: जम्मू-कश्मीर में लिथियम क्ले के रूप में पाया गया है, जबकि दुनिया भर में लिथियम ब्राइन के रूप में निकाला जा रहा है।
  2. इकोलॉजिकल सेंसिटिविटी: जम्मू-कश्मीर सिस्मिक ज़ोन 5 में आता है, जिससे माइनिंग के दौरान भूकंप आने की संभावना रहती है।
  3. पॉलिटिकल वॉलेटिलिटी: रियासी में स्थित लिथियम भंडार पाकिस्तान की सीमा के पास है, जिससे पॉलिटिकल और सुरक्षा चिंताएं बनी रहती हैं।
  4. महंगाई और रिजर्व प्राइस: सरकार द्वारा निर्धारित रिजर्व प्राइस भी ऊंचा है, जिससे माइनिंग आर्थिक रूप से वायबल नहीं हो रही है।

संभावनाएं और भविष्य की योजनाएं

भारत ने अर्जेंटीना से लिथियम भंडार खरीदने का समझौता किया है, जहां से हम लिथियम आयात करेंगे। भारत को घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए और टेक्नोलॉजी में सुधार करने की जरूरत है, जिससे हम आत्मनिर्भर हो सकें।

निष्कर्ष

लिथियम के भंडारों के मिलने के बावजूद, माइनिंग में आ रही समस्याओं को हल करना महत्वपूर्ण है। इससे भारत की इंपोर्ट डिपेंडेंसी कम होगी और क्लीन एनर्जी ट्रांसमिशन को सपोर्ट मिलेगा। सरकार को पॉलिसी रिफॉर्म्स करने और जियोलॉजिकल सर्वे में सुधार करने की आवश्यकता है।

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