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चीन और रूस ने ट्रंप का सामना करने की तैयारी

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चीन और रूस ने ट्रंप का सामना करने की तैयारी

ज्योतिष में शनि, राहु, केतु की दशाओं की तरह, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ट्रंप की दशा का उल्लेख भी एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन सकता है। ट्रंप की नीतियों और उनके आने से पहले ही वैश्विक बाजारों और देशों पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए, यह तुलना की जा सकती है। उनके कार्यकाल में कई देशों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है, शेयर बाजारों में गिरावट आई है, और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है।

जैसे ज्योतिष में शनि की दशा के बारे में कहा जाता है कि किनके लिए यह अच्छा रहेगा और किनके लिए बुरा, वैसे ही ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद विभिन्न देशों के साथ उनके संबंधों पर विश्लेषण किया जा रहा है। ट्रंप ने 20 जनवरी को पद संभालने से पहले ही ब्रिक्स देशों को धमकी दे दी थी कि यदि उन्होंने ब्रिक्स करेंसी बनाने की सोची, तो उन पर 100% टैरिफ लगा देंगे। इससे उनका माल अमेरिका में महंगा हो जाएगा और अमेरिका की जनता बाहर का माल खरीदना बंद कर देगी।

ट्रंप की नीतियों के कारण अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है, क्योंकि सस्ता माल इंपोर्ट नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि वे इनकम टैक्स में छूट देंगे ताकि अमेरिकी जनता को राहत मिल सके। ट्रंप की ‘मेक इन अमेरिका’ की नीति ने अमेरिकी शेयर बाजार को बूम की स्थिति में ला दिया था, लेकिन कई विश्लेषकों का मानना था कि यह बबल बन जाएगा, जो भविष्य में फट सकता है।

वर्तमान में, बाइडेन का शासन है, लेकिन चुनाव हारने के बाद ट्रंप की वापसी की तैयारी हो रही है। उन्होंने ‘अमेरिका को फिर से महान बनाने’ का नारा दिया था और उनकी नीतियों का उद्देश्य अमेरिका के अंदर ही निर्माण कार्य को बढ़ावा देना था। इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद की जा रही थी।

ब्रिक्स देशों ने ट्रंप की धमकी का मुकाबला करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनाई हैं। रूस, जो पहले से ही सबसे अधिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, ने अमेरिकी उत्पादों का जेरॉक्स बनाकर अपनी जरूरतों को पूरा किया। चाइना ने ताइवान पर हमले की योजना बनाते समय संभावित प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए पहले से ही तैयारी कर रखी है। ट्रंप ने कहा था कि अगर चाइना ने ताइवान पर हमला किया, तो वे उस पर टैरिफ लाद देंगे।

ब्रिक्स देशों ने ट्रंप की धमकियों का मुकाबला करने के लिए अपनी-अपनी रणनीतियाँ बनाई हैं। रूस ने अमेरिकी प्रतिबंधों का मुकाबला करने के लिए अपने तेल और रक्षा उपकरणों की बिक्री बढ़ा दी है। चाइना ने ताइवान पर हमले की योजना बनाते समय संभावित प्रतिबंधों का ध्यान में रखते हुए पहले से ही तैयारी कर रखी है। इन सब के बीच, ट्रंप की नीतियों का असर वैश्विक बाजारों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरा पड़ रहा है।

इस प्रकार, ज्योतिष में शनि की दशा की तरह, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ट्रंप की दशा का उल्लेख भी एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन सकता है। उनके कार्यकाल में विभिन्न देशों के साथ संबंधों का विश्लेषण किया जा रहा है और उनके आने से पहले ही वैश्विक बाजारों और देशों पर पड़ने वाले प्रभाव को देखा जा रहा है।

इतना टैक्स लगा देंगे कि अमेरिका उस सामान को अपने यहां बिकने ही नहीं देगा। खैर, अब इस बारे में बात करते हैं।

चाइना पहले से ही इसके लिए तैयारी कर रहा था। ब्रिक्स की धमकी 1 दिसंबर को आई, लेकिन चाइना पहले से ही अमेरिकी प्रतिबंधों से निपटने के उपाय कर रहा था। वॉल स्ट्रीट जर्नल की खबर के मुताबिक, चाइना रूस पर लगे प्रतिबंधों का अध्ययन कर रहा है और ताइवान पर हमला करने की स्थिति में अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने की तैयारी कर रहा है।चाइना ने ताइवान पर हमले की तैयारी में 170 बिलियन डॉलर का गोल्ड खरीदा है। इसी कारण दुनिया में गोल्ड की कीमतें बढ़ गई थीं। चाइना ने अपने केंद्रीय बैंक के जरिए 60 टन सोना खरीदा है। सोना एकमात्र ऐसी धातु है जिसे खरीदने से कोई डरता नहीं है। चाइना लगातार गोल्ड खरीद रहा है ताकि डॉलर बैन होने की स्थिति में भी उसे समस्या ना हो।

रूस और चाइना ने मिलकर स्विफ्ट सिस्टम से हटकर खुद का पेमेंट सिस्टम बनाने पर काम शुरू कर दिया है। इसका मतलब है कि वे ट्रंप के किसी भी कदम से निपटने के लिए तैयार हैं।

अब बात करते हैं भारत की। क्या भारत भी इस स्थिति के लिए तैयार है? हाल ही में आरबीआई ने इंग्लैंड से अपना सोना वापस मंगवाया है। इसका मतलब है कि भारत भी गोल्ड को संग्रहित करने में जुट गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

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ब्रिक्स देशों ने अपने-अपने ब्लूप्रिंट तैयार कर लिए हैं। इंडिया ने भी ब्रिक्स की बैठक में सुझाव दिया था कि स्विफ्ट की जगह एनपीसीआई का यूपीआई उपयोग किया जा सकता है। यूपीआई पहले से ही कई देशों में उपयोग हो रहा है, जैसे यूएई, मॉरिशस, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, सिंगापुर, फ्रांस आदि।इंडिया अब अपने अन्य देशों को भी यूपीआई देने की तैयारी कर रहा है। अफ्रीका और साउथ अमेरिकी देशों को भी यूपीआई देने का काम चल रहा है ताकि वे स्विफ्ट से बाहर होकर भी फंड ट्रांसफर कर सकें। भारत ने पहले से ही इस लेवल पर तैयारी शुरू कर दी है।मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव इंडिया पर नहीं पड़ेगा। अमेरिका को एशिया में एक हमदर्द चाहिए, और वो है इंडिया। इसलिए ट्रंप जानबूझकर इंडिया और जापान पर टैरिफ नहीं लगाएंगे।

ब्रिक्स देशों ने अपने-अपने अल्टरनेटिव तलाश लिए हैं। ट्रंप की धमकियों का सबसे ज्यादा असर मैक्सिको पर पड़ेगा। मैक्सिको और अमेरिका के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है। लेकिन मैक्सिको से अवैध प्रवासी और ड्रग्स की तस्करी अमेरिका के लिए बड़ी समस्या है।मेक्सिको अमेरिका के लिए सस्ती लेबर का स्रोत है। मैक्सिको में बड़ी अमेरिकी कंपनियां चल रही हैं और वहां से अमेरिका में गाड़ियां एक्सपोर्ट होती हैं।ट्रंप ने मेक्सिको को धमकाया है कि अगर वे टैरिफ नहीं दे सकते तो अमेरिका का 51वां राज्य बन जाएं। यह खबर हेडलाइंस में बनी हुई है।ट्रंप ने कनाडा को भी धमकाया है कि अगर वे टैरिफ नहीं दे सकते तो अमेरिका का 51वां राज्य बन जाएं। कनाडा ने इसे सख्त निंदा की है और कहा है कि वे एक आजाद देश हैं।ट्रंप की नीतियों से अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर असर पड़ रहा है। ट्रंप ने कतर को भी अपने पिछले शासन में परेशान किया था।

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