Headlines

चन्द्रमा के बाद अब शुक्र ग्रह पर भेजने की तैयारी

78965888774586586

चन्द्रमा के बाद अब शुक्र ग्रह पर भेजने की तैयारी

भारत चंद्रमा पर पहुंचने के बाद अब शुक्र ग्रह पर जाने की तैयारी कर रहा है। चंद्रमा तो धरती के चारों ओर चक्कर लगाने वाला उपग्रह है, लेकिन अब धरती से आगे बढ़ते हुए, यानी पृथ्वी के अपने सौर मंडल से परे एक अन्य ग्रह पर जाने की तैयारी की जा रही है। मंगल से अलग क्या है यह मिशन? क्योंकि हम पहले ही एक ग्रह पर जा चुके हैं, जिसका नाम मंगल था। मंगल ठंड की ओर था और शुक्र गर्मी की ओर है, यानी पृथ्वी से सूरज की ओर जाने पर शुक्र आता है। आज के सत्र में हम पूरी तरह से इस जानकारी को समझेंगे।

लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण है जानना कि भारत में हाल ही में कैबिनेट ने चार बड़ी घोषणाएं की हैं जिनमें चंद्रयान-4 की घोषणा भी शामिल है, भारत के अपने अंतरिक्ष यान की घोषणा भी है, वीनस मिशन की घोषणा भी है, और भारत का एक नया सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बनाए जाने की भी घोषणा है। जिससे भारत दुनिया के उन प्रथम पंक्ति राष्ट्रों में शामिल हो जाएगा जो एक बार रॉकेट चलाने के बाद उसे दोबारा से उपयोग कर सकेगा यानी पुन: उपयोग किए जाने वाले रॉकेट बनाने की भी हमारी सरकार द्वारा घोषणा कर दी गई है। आज का सत्र बेहद खास है क्योंकि आज आपको ना केवल शुक्र मिशन के बारे में जानकारी मिलेगी बल्कि इसके अलावा भारत सरकार द्वारा हाल ही में की गई घोषणाओं के बारे में भी जानकारी मिलेगी जिससे भारत का भविष्य अंतरिक्ष में क्या होगा, उसके बारे में भी जानकारी मिलेगी।

तो चलिए, इसके बारे में जानकारी देते हैं कि इंडिया का वीनस मिशन कितना खास है। हम इस पर 1236 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं और इसे 2028 में लॉन्च करेंगे। सवाल यह है कि इतना पैसा खर्च क्यों करना, इससे हमें क्या जानकारी मिलेगी? आज के सत्र में सब बताएंगे। मेरे प्यारे साथियों, भारत ने हाल ही में सबसे बड़े कीर्तिमानों में से एक चंद्रयान का कीर्तिमान स्थापित किया था। उससे पहले मंगलयान भी था। मंगलयान और चंद्रयान में अंतर यह था कि चंद्रयान एक ऑर्बिटर मिशन था। मंगलयान मंगल पर चक्कर लगाने गया था, लेकिन चंद्रयान लैंड भी हुआ था। चंद्रयान-4 जो हम लॉन्च करने वाले हैं, वह ना केवल चंद्रमा पर लैंड करेगा बल्कि वहां से पत्थर उठाकर वापस लेकर आएगा, यानी वह वन वे नहीं टू वे मिशन होगा।

फिलहाल हम वापस शुक्र मिशन पर आते हैं। वीनस ऑर्बिटर मिशन, जैसे मार्स ऑर्बिटर मिशन था। मार्स ऑर्बिटर मिशन मंगल पर चक्कर लगाने वाला था। ऑर्बिटर का मतलब होता है चक्कर लगाने वाला। हम लैंड नहीं करने वाले हैं, हम केवल चक्कर लगाकर आएंगे। वीनस पर लैंड क्यों नहीं करेंगे? क्योंकि वहां का तापमान और वातावरण ऐसा है कि हमारा सैटेलाइट पिघल जाएगा। वीनस पर अम्लीय बारिश होती है और वहां का तापमान 450 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है। तो फिर वहां जाना क्यों चाहते हैं?

2525252555252

वीनस पर जाना एक वैज्ञानिक प्रयोग है जो यह बताता है कि अगर पृथ्वी इसी तरह से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती रही तो एक दिन हमारा भविष्य भी वीनस जैसा होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि वीनस का वातावरण कभी पृथ्वी जैसा ही हुआ करता था, लेकिन अत्यधिक उत्सर्जन के कारण यह आग के गोले की तरह धधक रहा है। इसलिए, पृथ्वी का भविष्य जानने के लिए वीनस की यात्रा महत्वपूर्ण है।

वीनस को पृथ्वी का जुड़वा ग्रह माना जाता है। इसे भोर का तारा भी कहा जाता है और यह पृथ्वी की तरह सूरज के चारों तरफ परिक्रमा करता है। लेकिन यह पृथ्वी की तरह पश्चिम से पूर्व की ओर नहीं, बल्कि पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है। वीनस सूरज से 67 मिलियन मील दूर है और इसकी औसत दूरी 108.6 मिलियन किलोमीटर है। पृथ्वी से इसकी दूरी 38 मिलियन किलोमीटर है। हाल ही में भारत सरकार ने घोषणा की है कि इसरो शुक्र ग्रह को समझने की कोशिश करेगा और इसके लिए 1236 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। यह मिशन 2028 में लॉन्च किया जाएगा और अगर इसे 2028 में नहीं भेज पाए तो 2031 में भेजा जाएगा।

वीनस मिशन में सबसे बड़ी चुनौती वहां का तापमान और प्रेशर है। इसरो एरो ब्रेकिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करेगा ताकि सैटेलाइट वीनस के नजदीक पहुंच सके। इसरो इस मिशन के लिए पूरी तरह तैयार है और यह मिशन 2028 में लॉन्च करने की योजना है।

इसके अलावा, भारत चंद्रयान-4, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, और नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल की भी योजना बना रहा है। चंद्रयान-4 2027 में प्लान किया गया है और यह चंद्रमा से सामग्री लेकर वापस लौटेगा। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी से 400 किमी दूर होगा और इसे 11170 करोड़ रुपये खर्च करके बनाया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *