क्या NATO को तोड़ रहे हैं पुतिन ? EU छोड़कर ब्रिक्स में शामिल होगा तुर्की !
इस खबर में एक दिलचस्प घटनाक्रम है: भारत, रूस, चीन, ब्राज़ील, और दक्षिण अफ्रीका का समूह, जिसे हम ब्रिक्स के नाम से जानते हैं, ने एक नया मोड़ लिया है। पुतिन ने ब्रिक्स को एक अलग स्तर पर स्थापित किया है, और इसके साथ-साथ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। दोनों समूहों को ईयू और नाटो का प्रतिद्वंदी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
हाल ही में चर्चा यह हुई है कि ब्रिक्स ने नाटो में सेंधमारी करने में सफलतापूर्वक कदम बढ़ाए हैं। इसमें तुर्की का भी उल्लेख है, जिसने ब्रिक्स में शामिल होने के लिए आवेदन किया है। यह स्थिति नाटो के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन सकती है।
अमेरिका और सोवियत रूस के बीच कोल्ड वॉर के समय, अमेरिका ने नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) बनाया था, जबकि सोवियत रूस ने वारसा पैक्ट स्थापित किया। हालाँकि सोवियत रूस के पतन के बाद, अमेरिका का वर्चस्व बढ़ा, और अब पुतिन ने ब्रिक्स और SCO के माध्यम से नाटो के समकक्ष खड़ा होने की कोशिश की है।
पुतिन का प्रयास यह है कि भारत और चीन के बीच मतभेद न बढ़ें, क्योंकि दोनों ही ब्रिक्स और SCO के सदस्य हैं। हाल ही में, तुर्की ने नाटो के सदस्य होने के बावजूद ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है। यह स्थिति नाटो की शक्ति को कमजोर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
तुर्की की भौगोलिक स्थिति उसे एक विशेष लाभ देती है, क्योंकि यह एशिया और यूरोप दोनों के बीच स्थित है। तुर्की का यह झुकाव दर्शाता है कि वह अपने हितों की सुरक्षा के लिए नॉन-अलाइनमेंट की दिशा में बढ़ रहा है। अगर तुर्की ब्रिक्स में शामिल होता है, तो नाटो के लिए यह एक बड़ा खतरा बन सकता है।
इस बदलाव का प्रभाव वैश्विक राजनीति पर क्या पड़ेगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। तुर्की की यह स्थिति न केवल नाटो के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी कई नए रिश्तों की संभावनाएं पैदा कर सकती है।