क्या IPO के नाम पर एक और फ्रॉड हो गया? जानिए क्या है ₹12 Cr के बदले ₹4800 Cr मिलने का मामला?
मान लीजिए, आप मार्केट में एक नई कंपनी के बारे में सुनते हैं जिसने हाल ही में आईपीओ जारी किया है। इस कंपनी के पास केवल दो शोरूम और आठ कर्मचारी हैं। उन्होंने बाजार से लगभग 12 करोड़ रुपये मांगने का इरादा किया था, लेकिन जनता ने उन्हें 4800 करोड़ रुपये दे दिए। यह सुनकर आपके मन में क्या विचार आएंगे? “वाह! क्या बात है! बहुत पैसा है! कैसे यह संभव हुआ?” यह सोचकर आप हैरान हो सकते हैं कि ऐसी स्थिति कैसे बनी। इस सेशन में हम एक ऐसी घटना का जिक्र कर रहे हैं जिसने पूरे मार्केट को चौंका दिया है।
एक कंपनी ने आईपीओ जारी किया, 12 करोड़ रुपये जुटाने के लिए, और जनता ने उन्हें 4800 करोड़ रुपये दे दिए। इस कंपनी के पास आठ कर्मचारी और दो शोरूम हैं, फिर भी उन्होंने इतनी बड़ी रकम हासिल कर ली। यह सुनकर एक बड़ी चिंता पैदा होती है: क्या हम इतने अनजान हैं? क्या हमें मार्केट के बारे में कुछ भी पता नहीं है?
हमारे देश में शेयर बाजार को लेकर लोगों के बीच जो भावनाएं हैं, उस पर विचार करना चाहिए। क्या हम इतनी आसानी से पैसे लगा रहे हैं, बिना सोचे-समझे? अगर ऐसी घटनाएं होती हैं, तो यह चिंता का विषय है। यह सोचने पर मजबूर करता है कि कौन लोग इसमें पैसा लगा रहे हैं, जिन्हें पता ही नहीं है कि शेयर मार्केट कैसे काम करता है।
आज की खबर है कि एक बाइक डीलर, जिसके आठ कर्मचारी हैं, उसने आईपीओ में 4800 करोड़ रुपये जुटा लिए। ऐसे में कंपनी के मालिक ने जनता से अपील की कि वे अपने पैसे से कंपनी को और बड़ा करेंगे और लोगों को हिस्सेदार बनाएंगे।
आईपीओ का मतलब है कि एक प्राइवेट कंपनी पहली बार जनता से पैसे मांगने के लिए स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होती है। इस प्रक्रिया में कंपनी अपनी पूंजी बढ़ाने के लिए जनता से पैसे जुटाती है। आईपीओ के जरिए कंपनी को सामान्य लोगों से इक्विटी फंडिंग मिलती है। स्टॉक एक्सचेंज में पहली बार किसी कंपनी का हिस्सा बिकने आता है, इसे आईपीओ कहते हैं।
आईपीओ का विकल्प चुनने पर कंपनी कुछ मानदंडों का पालन करती है, जैसे कि सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन में पंजीकरण विवरण देना, अंदरूनी लोगों और विश्लेषकों को आईपीओ के बारे में चर्चा करने से रोकना, और बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू करना। पांचवें दिन डीमेट अकाउंट में शेयर जमा कर दिए जाते हैं, जिससे शेयर ट्रेडिंग की जा सकती है।
अब जानते हैं सहानी ऑटोमोबाइल्स के बारे में। यह Yama की बाइक और स्कूटर बेचने और सर्विसिंग का काम करती है। इस कंपनी ने 22 अगस्त को आईपीओ जारी किया और 26 अगस्त तक निवेशकों ने इसमें निवेश किया। लोगों ने 418 गुना अधिक सब्सक्राइब कर दिया, यानी मांगे थे 12 करोड़ और मिल गए 4768 करोड़ रुपये।
सहानी ऑटोमोबाइल्स के पिछले तीन सालों का रेवेन्यू बढ़ता हुआ दिखाया गया, जिससे लोगों को लगा कि यह कंपनी बढ़िया कर रही है। 2021 में 11 करोड़, 2022 में 12.125 करोड़ और 2023 में 19 करोड़ का रेवेन्यू दिखाया गया। इससे निवेशकों को लगा कि कंपनी का भविष्य उज्ज्वल है।
आईपीओ में छोटे-छोटे कंपनियों के भी आने की संभावना होती है, और बड़ी कंपनियों के साथ-साथ छोटी कंपनियों के भी आईपीओ जारी होते हैं। इस कंपनी ने ₹10 की फेस वैल्यू के लगभग 10 लाख शेयरों की बोली मांगी और 1117 प्राइस बैंड सेट किया। निवेशकों ने अंधाधुंध तरीके से पैसा लगाया, बिना कंपनी के फंडामेंटल्स को समझे।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उसके फंडामेंटल्स को समझना चाहिए। अगर कंपनी का भविष्य स्पष्ट नहीं है, तो उसमें निवेश नहीं करना चाहिए। सहानी ऑटोमोबाइल्स की इस घटना से हमें यह सबक लेना चाहिए कि निवेश करते समय समझदारी से काम लेना चाहिए।