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क्या CM KEJRIWAL का इस्तीफा साज़िश है? अचानक मिली जमानत का बड़ा खुलासा! 

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क्या CM KEJRIWAL का इस्तीफा साज़िश है? अचानक मिली जमानत का बड़ा खुलासा! 

केजरीवाल जेल से बाहर आ गए हैं और आते ही उन्होंने घोषणा की कि वे अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। इस्तीफे की तारीख 17 सितंबर है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है। इस दिन नरेंद्र मोदी 74 साल के हो रहे हैं, और इसी दिन केजरीवाल इस्तीफा देंगे। इससे राजनीतिक सुर्खियों में दो बातें छा जाएंगी: क्या नरेंद्र मोदी 75 साल की उम्र में राजनीति से संन्यास ले लेंगे या केजरीवाल अपने इस्तीफे के बाद संन्यास ले चुके हैं। यहाँ दो महत्वपूर्ण सवाल उठते हैं: एक, केजरीवाल ने 177 दिन जेल में बिताए, और अपना पद नहीं छोड़ा। अचानक जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने सीएम पद क्यों छोड़ दिया?

दिल्ली में बीजेपी ने कई बार मांग की थी कि जेल में रहते हुए मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए, लेकिन केजरीवाल ने जेल में रहते हुए इस्तीफा नहीं दिया। अब जब वे बाहर आए हैं, तो इस्तीफा क्यों दे दिया? इस सेशन में हम यही सवाल जानेंगे। दूसरा बड़ा सवाल यह है कि उन्हें ऐसे समय पर जमानत क्यों मिली जब हरियाणा में चुनाव हो रहे हैं। इन दोनों सवालों पर आज चर्चा होगी। केजरीवाल लीकर केस के चलते जेल में थे। ईडी और सीबीआई ने उन पर आरोप लगाए थे। बीजेपी ने मांग की थी कि वे इस्तीफा दें, लेकिन उन्होंने जेल में रहते हुए इस्तीफा नहीं दिया। अब बाहर आकर इस्तीफा दे दिया है।

केजरीवाल ने 15 अप्रैल को तिहार जेल में गए थे। उन्होंने कई बार जमानत याचिकाएं लगाईं, लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली। सीबीआई ने उन्हें जेल से जेल ट्रांसफर कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर टिप्पणी की कि वह पिंजरे में बंद तोते की तरह काम कर रही है। ऐसे में, केजरीवाल ने बाहर आकर कहा कि वे दो दिन में इस्तीफा देंगे, और 17 सितंबर को इस्तीफा देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को निष्पक्ष दिखना चाहिए। यह टिप्पणी सीबीआई की साख पर गहरा निशान है। अब सवाल यह है कि केजरीवाल ने इस्तीफा क्यों दिया?

केजरीवाल ने कहा कि वे जनता के सामने अग्नि परीक्षा देना चाहते हैं। अगर जनता उन्हें सही मानती है, तो वे फिर से पद पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि वे भ्रष्टाचार के चलते जेल गए थे, और अब जनता को सही साबित करना चाहते हैं। उन्हें जमानत कठिन शर्तों पर मिली है। जमानत की शर्तों में लिखा है कि वे मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जा सकते। ऐसे में, वे मुख्यमंत्री बनकर क्या करेंगे? फाइलों पर साइन नहीं कर सकते, तो एलजी करेगा। एलजी बीजेपी ने नियुक्त किया है। ऐसे में, केजरीवाल ने पद छोड़ दिया क्योंकि वे साइन नहीं कर सकते थे।

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केजरीवाल का कद घट जाएगा या बढ़ जाएगा? जैसे मनमोहन सिंह पीएम थे लेकिन सोनिया गांधी का पावर सेंटर था। केजरीवाल भी ऐसा ही कर सकते हैं। वे दिल्ली के सीएम नहीं रहेंगे, लेकिन आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो रहेंगे। उनके अंडर में पंजाब के सीएम भगवंत मान हैं। अगर दिल्ली में किसी को सीएम बना दिया जाएगा, तो केजरीवाल सुप्रीमो बनकर दोनों राज्यों को गवर्न करेंगे। इसके साथ ही, उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर इस्तीफा देकर जनता के बीच एक इमेज बनाई है। 5 महीने बाद चुनाव होने वाले हैं, और वे चाहते हैं कि नवंबर में ही चुनाव हो जाएं।

केजरीवाल ने इस्तीफा देकर विपक्ष को मुद्दा विहीन कर दिया है। बीजेपी लगातार इस्तीफे की मांग कर रही थी, और अब केजरीवाल ने इस्तीफा देकर बीजेपी को मुद्दा विहीन कर दिया है। केजरीवाल ने जेल से आने के बाद इस्तीफा क्यों दिया, यह एक बड़ा सवाल है। अगर उन्होंने पहले ही इस्तीफा दिया होता, तो उनकी और अच्छी इमेज बनती। भारतीय राजनीति में बीजेपी की इमेज गलत हो चुकी है। जब केजरीवाल गिरफ्तार हुए, तो झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन भी गिरफ्तार हुए थे। हेमंत सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा देकर किसी अन्य व्यक्ति को सीएम बनाया था। लेकिन जब सोरेन जेल से वापस आए, तो वह व्यक्ति बीजेपी में शामिल हो गया।

केजरीवाल ने अपने पद को छोड़ना राजनीतिक समीकरणों को समझाने के लिए किया। उनके पद छोड़ने के पीछे कई राजनीतिक कारण हो सकते हैं। केजरीवाल ने यह कदम उठाकर अपनी इमेज को साफ करने की कोशिश की है। बीजेपी को अब कोई मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया है। अब एक बड़ा सवाल यह है कि केजरीवाल को अभी बेल क्यों मिली? हाल ही में न्यायपालिका प्रधानमंत्री मोदी जी से करीबी के चलते सुर्खियों में रही है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों ने आरोप लगाया है कि न्यायपालिका और एग्जीक्यूटिव के हेड अगर मित्रता कर रहे हैं, तो न्याय की उम्मीद किससे करें?

न्यायपालिका और प्रधानमंत्री की करीबी के कारण केजरीवाल को जमानत मिली है। इससे न्यायपालिका की साख पर सवाल खड़े होते हैं। न्यायपालिका पर उठते सवालों के बीच केजरीवाल को जमानत मिलना राजनीति का हिस्सा हो सकता है। बीजेपी को इससे क्या फायदा होगा, यह एक बड़ा सवाल है। केजरीवाल का इस्तीफा और जमानत एक राजनीतिक साजिश हो सकती है।

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