आज का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा केदारनाथ धाम से सोने की चोरी का है। खबर आई है कि केदारनाथ मंदिर से करोड़ों रुपए का सोना चोरी हो गया है। यह खबर कैसे आई, किसने इसे उजागर किया, और क्यों यह मामला फिर से सुर्खियों में है, इन सभी सवालों के जवाब हम आज के इस सेशन में जानेंगे।
भारत में हिंदू धर्म के चार धाम यात्रा का बहुत महत्व है। बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारकाधीश इन चार धामों की यात्रा करना एक हिंदू के जीवन का महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है। इसी प्रकार, उत्तराखंड के चार धाम- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री भी धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
केदारनाथ मंदिर हाल ही में सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि शंकराचार्य जी ने कहा है कि केदारनाथ मंदिर में जो गोल्ड प्लेटिंग थी, वह नकली थी और वहां पर गोल्ड स्कैम हुआ है। यह खबर 15 जुलाई को अखबारों में कवर की गई थी कि केदारनाथ मंदिर से 228 किलो सोना गायब हो गया है। ज्योतिर मठ के शंकराचार्य अभ मुक्तेश्वरानंद जी ने यह बयान दिया है।
शंकराचार्य जी ने अपने बयान में कहा कि केदारनाथ मंदिर से 228 किलो सोना चोरी हो गया है जिसकी बाजार मूल्य 125 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इस घोटाले की अभी तक कोई जांच नहीं की गई है। इस बयान ने सभी के कान खड़े कर दिए हैं कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है।
शंकराचार्य जी के इस बयान ने राजनीतिक और धार्मिक दोनों ही क्षेत्रों में हलचल मचा दी है। उन्होंने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त पर भी सवाल उठाए थे, और कहा था कि अपूर्ण मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कैसे हो सकती है। इस प्रकार के कई बयान शंकराचार्य जी ने समय-समय पर दिए हैं जो कि राजनीति से प्रेरित प्रतीत होते हैं।
असल में, केदारनाथ मंदिर से सोने की चोरी का मामला पहले भी उठ चुका था। एक साल पहले, केदारनाथ मंदिर के एक पुजारी संतोष त्रिवेदी ने आरोप लगाया था कि मंदिर में एक बड़ा घोटाला हुआ है जिसमें सोने की जगह पीतल का उपयोग किया गया है। यह खबर उत्तराखंड के एक समाचार वेबसाइट ‘पहाड़ी खबरनामा’ ने 16 जून को प्रकाशित की थी।
इसके जवाब में, बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने कहा कि गर्भ ग्रह की दीवारों पर सोने की जगह पीतल का उपयोग किया गया था और यह कार्य आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की निगरानी में हुआ था। बीकेटीसी ने यह भी बताया कि 2777 ग्राम (लगभग 24 किलोग्राम) सोना और 1000 किलोग्राम पीतल का उपयोग गर्भ ग्रह को सजाने के लिए किया गया था।
बीकेटीसी ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रामक जानकारी का कोई आधार नहीं है और यह केवल चुनावी लाभ के लिए फैलाई जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि दानदाता के सौजन्य से यह कार्य संपन्न हुआ है और इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है।
इस प्रकार, शंकराचार्य जी के द्वारा उठाया गया मुद्दा कई राजनीतिक और धार्मिक सवाल खड़े करता है। इस मामले की जांच पूरी तरह से हो चुकी है और यह साबित हो चुका है कि किसी प्रकार की कोई चोरी नहीं हुई है।