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क्या इजराइल का डिफेंस सिस्टम बेअसर? क्या बर्खास्त होंगे रक्षा मंत्री

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क्या इजराइल का डिफेंस सिस्टम बेअसर? क्या बर्खास्त होंगे रक्षा मंत्री

हाल ही में एक ऐसी खबर सामने आई है, जो इजराइल की सुरक्षा प्रणाली और आयरन डोम की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। खबर यह है कि यमन से एक मिसाइल इजराइल पर दागी गई, जिसे आयरन डोम हैंडल नहीं कर पाया। इस घटना के बाद कई महत्वपूर्ण सवाल उठ खड़े हुए हैं।

यमन से 2000 किमी दूर एक मिसाइल चलाई जाती है, और मात्र 11 मिनट में वह इजराइल पहुंच कर स्ट्राइक कर देती है। इस घटना ने इजराइल की सुरक्षा प्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इजराइल के डिफेंस सिस्टम, जो कि किसी भी मिसाइल को हवा में ही मार गिराने के लिए जाना जाता है, इस मिसाइल को नहीं रोक पाया। इजराइल का दावा है कि उसने मिसाइल को मार गिराया, लेकिन वहां के कई हिस्सों में आग लगने के दृश्य देखे गए और छह से ज्यादा लोग घायल हुए।

घटना का विवरण:

  • यमन से मिसाइल हमला: यमन से 2000 किमी दूर एक मिसाइल चलाई गई, जिसने मात्र 11 मिनट में इजराइल पर स्ट्राइक किया। यह अपने आप में एक बड़ी घटना है क्योंकि इजराइल का आयरन डोम डिफेंस सिस्टम उसे रोकने में विफल रहा।
  • नेतन्याहू पर दबाव: इस घटना के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर दबाव बढ़ गया है। उनके डिफेंस सिस्टम की विफलता और हमास द्वारा बंधकों को नहीं छुड़वाने की वजह से उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।
  • बैलिस्टिक मिसाइल: यह मिसाइल एक बैलिस्टिक मिसाइल थी, जो पैराबोलिक पाथ लेकर अपने टारगेट को हिट करती है। बैलिस्टिक मिसाइलें दूर तक मार करने की क्षमता रखती हैं।

संभावित कारण:

  • साइबर अटैक की संभावना: इजराइल का कहना है कि इस मिसाइल हमले के पीछे साइबर अटैक हो सकता है। साइबर अटैक के जरिए मिसाइल को इजराइल तक पहुंचाया गया है।
  • चीन की भूमिका: चीन के ग्लोबल टाइम्स ने खुलासा किया है कि चीनी जनरल ने भविष्य की लड़ाइयों को साइबर अटैक के माध्यम से लड़ने की बात कही है। ऐसे में यह संभावना बनती है कि इस मिसाइल के पीछे चीन की भी भूमिका हो सकती है।
  • ईरान का समर्थन: यमन के शिया विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है, जो इस मिसाइल हमले में सहयोग कर सकता है।
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महत्वपूर्ण सवाल:

  1. किसने दी मिसाइल?: यमन की साइंस एंड टेक्नोलॉजी इतनी उन्नत नहीं है कि वे खुद हाइपरसोनिक मिसाइल बना सकें। ऐसे में यह सवाल उठता है कि किस देश ने उन्हें यह मिसाइल दी?
  2. साइबर अटैक का स्रोत कौन?: अगर साइबर अटैक के जरिए मिसाइल चलाई गई, तो इसके पीछे कौन सा देश है?
  3. चीन की भूमिका: क्या चीन ने साइबर अटैक के माध्यम से इस मिसाइल को इजराइल तक पहुंचाया?

इजराइल की प्रतिक्रिया:

  • डिफेंस सिस्टम की विफलता: इजराइल का कहना है कि उन्होंने मिसाइल को मार गिराया, लेकिन इसके बावजूद उनके यहां आग लगने की घटनाएं हुईं और लोग घायल हुए।
  • नेतन्याहू की सरकार पर दबाव: नेतन्याहू की सरकार पहले से ही विभिन्न समस्याओं से जूझ रही है, और यह नई घटना उनके लिए एक और चुनौती बनकर आई है।

मिसाइल की विशेषताएँ

यह मिसाइल एक बैलिस्टिक मिसाइल थी। बैलिस्टिक मिसाइलें दूर तक मार करने की क्षमता रखती हैं और पैराबोलिक पाथ लेकर टारगेट को हिट करती हैं। दूसरी ओर, क्रूज मिसाइलें जमीन के समानांतर चलते हुए टारगेट को हिट करती हैं।

यमन के शिया विद्रोही और ईरान का समर्थन

यमन के शिया विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है। यह विद्रोही समूह यमन की सुन्नी सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। यमन से इतनी दूर तक मार करने वाली मिसाइल चलाना विद्रोहियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस मिसाइल की क्षमता और इसे सफलतापूर्वक इजराइल तक पहुंचाना अपने आप में एक बड़ी बात है।

साइबर अटैक की संभावना

इजराइल का कहना है कि इस घटना के पीछे साइबर अटैक की संभावना है। यह दावा किया जा रहा है कि साइबर अटैक के माध्यम से मिसाइल को इजराइल की ओर भेजा गया है। चीन के ग्लोबल टाइम्स में यह खबर प्रकाशित हुई है कि चीनी जनरल ने भविष्य की लड़ाइयों को साइबर अटैक के माध्यम से लड़ने की बात कही है। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सीनियर जनरल ने यह भी कहा है कि वे हर देश को कंट्रोल करने की क्षमता रखते हैं और इजराइल उनका टारगेट है।

नेतन्याहू की सरकार पर दबाव

इस घटना ने नेतन्याहू की सरकार पर और दबाव बढ़ा दिया है। इजराइल के नागरिक और अंतरराष्ट्रीय समुदाय नेतन्याहू की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। इजराइल के सुरक्षा प्रोटोकॉल और अमेरिका के साथ सहयोग के बावजूद इस मिसाइल को नहीं रोका जा सका।

निष्कर्ष

यमन से इजराइल तक मिसाइल की यात्रा और साइबर अटैक की संभावना दोनों ही इजराइल की सुरक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर खतरे हैं। यह घटना इजराइल की सुरक्षा प्रणाली और आयरन डोम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है। नेतन्याहू की सरकार को अब इस घटना से निपटने के लिए और अधिक सशक्त कदम उठाने की जरूरत है। चीन की भूमिका और साइबर अटैक की संभावना इस मामले को और भी गंभीर बना देती है।

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