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क्या अंतरिक्ष से नहीं लौट पाएंगी सुनीता विलियम्स? ISRO की इस समस्या ने बढ़ाई चिंता

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क्या अंतरिक्ष से नहीं लौट पाएंगी सुनीता विलियम्स? ISRO की इस समस्या ने बढ़ाई चिंता

सुनीता विलियम्स की खबर में आपने सुना होगा कि वह अंतरिक्ष में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर अटक गई हैं। इसके पीछे का कारण हीलियम लीक की समस्या है। जब इस खबर को विस्तार से पढ़ा गया, तो पता चला कि वह जिस यान से आई थीं, उसमें हीलियम लॉक लीक हो रहा था।

अगर आपको याद हो, तो हीलियम लीक इन दिनों काफी सुर्खियों में है। आज हम इसी मुद्दे पर बात कर रहे हैं कि हीलियम लीक कैसे होता है और इसका रॉकेट में क्या उपयोग है।

हम इस पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं ताकि आप समझ सकें कि हीलियम असल में क्या है। सुनीता विलियम्स की समस्या को समझने के लिए सबसे पहले जून की एक खबर देखिए जिसमें लिखा है कि बोइंग का स्टार लाइनर ISS तो पहुंच गया लेकिन हीलियम लीक हो गया। इसके बाद स्पेस एक्स का पोलरिस डाउन मिशन भी तकनीकी समस्या के कारण डिले हो गया, जिसका कारण हीलियम लीक बताया गया। फिर 2019 की खबर देखें जिसमें चंद्रयान-2 मिशन भी हीलियम लीक की समस्या से जूझ रहा था। रियान फ मिशन (यूरोप) में भी हीलियम लीक की खबरें आई थीं।

अब सवाल उठता है कि रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट में हीलियम लीक की कहानी क्या है? इसे समझने के लिए थोड़ा बेसिक साइंस समझते हैं।

हीलियम एक इनर्ट गैस है, जो कि किसी रासायनिक अभिक्रिया में शामिल नहीं होती। इसे सेफ गैस माना जाता है। अंतरिक्ष में स्पेसक्राफ्ट को बहुत सारा ईंधन चाहिए होता है। अगर हम अपनी गाड़ी की तरह स्पेसक्राफ्ट में डीजल, पेट्रोल या सीएनजी का उपयोग करें तो वो आग पकड़ सकती है।

रॉकेट को ऊंचाई तक जाने के लिए ऐसा ईंधन चाहिए होता है जो गर्मी से ब्लास्ट न हो और पर्याप्त ऊर्जा भी प्रदान कर सके। इसके लिए एक ऐसा तरीका अपनाना होगा जिससे फ्यूल टैंक तक हीट ना पहुंचे।

इसमें हीलियम का उपयोग होता है। हीलियम को -250 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे ठंडा रखा जाता है, जिससे यह ईंधन को ठंडा रखती है और उसे बॉईल होने से रोकती है।

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हीलियम लीक की समस्या तब आती है जब क्रायोजेनिक ईंधन भरते समय मशीन में गैस लीक होने लगे। हीलियम लीक की टेस्टिंग के लिए हीलियम को पहले मशीन में भरकर देखा जाता है। अगर हीलियम लीक हो रही है तो इसका मतलब है कि फ्यूल भी लीक हो सकता है और मिशन फेल हो सकता है।

हीलियम लीक की समस्या एक प्रकार की टेस्टिंग है, जैसे गाड़ी के पंचर को टेस्ट करते समय गैस भरकर पानी में डुबोया जाता है। इसी तरह क्रायोजेनिक इंजनों में भरे ईंधन की लीक की जांच हीलियम से की जाती है।

नासा भी हीलियम इश्यूज के चलते मिशन को अबोर्ड कर देता है। इसका मतलब यह है कि हीलियम लीक होने से मिशन फेल हो सकता है और सेफ्टी के लिए इसे रोका जाता है।आशा है कि हीलियम लीक का यह मुद्दा अब आपको समझ में आया होगा।

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