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केन्या में अडानी के खिलाफ सड़कों पर लोग जानिए क्या है मामला?

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केन्या में अडानी के खिलाफ सड़कों पर लोग जानिए क्या है मामला?

आज की शुरुआत में सबसे पहले अडानी की चर्चा करते हैं। इसके पीछे की खास वजह है कि अडानी हमारे देश में तो लोकल राजनीति के कारण बड़े मुद्दे हैं, लेकिन यह लोकल राजनीति किस तरह से हमारे देश के बाहर भी हमारे हितों को नुकसान पहुंचा रही है, इसी के लिए आज का यह सेशन काम का है। आपको मालूम है कि अडानी को रोकने के लिए हिंडनबर्ग की बढ़िया रिपोर्ट आई थी। हिंडनबर्ग ने अडानी के बाद में सेबी चीफ का नाम लिया और हाल ही में स्विस बैंक में अडानी के खातों का भी जिक्र किया। हालांकि, हिंडनबर्ग का असर भारत के बाजार पर कम हो गया है, लेकिन अडानी अब भारत से बाहर बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं।

अडानी अफ्रीका के एक देश केन्या में एयरपोर्ट डेवलपमेंट का काम ले रहे थे। लेकिन वहां पर लोग इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन करने लगे कि ‘वी रिजेक्ट अडानी’। उनका तर्क था कि जो व्यक्ति भारत में फ्रॉड है, वह हमारे यहां क्या करेगा। आपको यह विचार करना चाहिए कि अडानी भारत में एयरपोर्ट, लॉजिस्टिक्स, एनर्जी, ऑयल आदि कई सेक्टर्स में काम कर रहे हैं। इसके बावजूद, उन्हें भारत की राजनीति के कारण भारत के बाहर भी फ्रॉड माना जा रहा है।

केन्या की राजधानी नैरोबी के एयरपोर्ट के बाहर हड़ताल पर खड़े हुए लोग थे क्योंकि इस एयरपोर्ट का रखरखाव अडानी की कंपनी कर रही थी। इसके चलते वहां का सारा कामकाज ठप हो गया और यात्राओं में बड़ी बाधा उत्पन्न हुई। अंतरराष्ट्रीय सुर्खी बनी कि ‘अडानी एंड हिज केनियन डील अनकवर्ड, फ्लाइट ग्राउंडेड एट केन्या, केन्या एयरपोर्ट वर्कर स्ट्राइक’। केन्या एविएशन वर्कर यूनियन ने अपनी तरफ से कहा कि वे अडानी को एयरपोर्ट नहीं देना चाहते।

केन्या, जो सोमालिया के दक्षिण में स्थित है, की राजधानी नैरोबी है। यह तुलनात्मक रूप से अफ्रीका के समृद्ध देशों में माना जाता है और यहां पर्यटन के लिए लोग बड़ी संख्या में आते हैं। केन्या में एयरपोर्ट का विकास भारत कर रहा है। अडानी ने यहां पर बिड लगाई थी। अफ्रीका भारत और चीन दोनों के लिए एक इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन बन गया है। हाल ही में भारत यहां पर चाइना को पछाड़कर आगे निकल गया। लेकिन अब नहीं पता कि केन्या में अडानी के खिलाफ विरोध चाइना द्वारा भड़काया गया या जनता खुद से भारत की लोकल राजनीति से प्रभावित होकर आई है।

अगर अडानी यहां जाकर कोई भी काम करते, तो जो पैसा कमाते वह भारत आता। जैसे हमारे आईटी सेक्टर्स, जैसे कि विप्रो और इंफोसिस, दुनिया भर में पैसा कमा कर भारत लाते हैं। लेकिन अडानी के खिलाफ भारत की लोकल राजनीति ने उनके लिए इतनी बाधाएं उत्पन्न कीं कि उन्हें जनता की हड़ताल का सामना करना पड़ा।

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अडानी ग्रुप ने नैरोबी एयरपोर्ट के अपग्रेडेशन के लिए जुलाई 25 को इन्वेस्टमेंट प्रपोजल सबमिट किया था। उनका कहना था कि वे पहले से ही भारत में एयरपोर्ट संभाल रहे हैं और भारत के 23% पैसेंजर्स उनके एयरपोर्ट्स से उड़ान भरते हैं। वे अपनी अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग लिमिटेड की विशेषज्ञता को नैरोबी के जोमो केन्याटा इंटरनेशनल एयरपोर्ट में लाना चाहते थे। केन्या में बहुत अच्छा टूरिज्म है और सरकार का मानना है कि आने वाले समय में यहां का एयरपोर्ट ट्रैफिक कई गुना बढ़ जाएगा। इसलिए उन्हें तुरंत एयरपोर्ट का इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना पड़ेगा। अडानी पीपीपी मॉडल पर यहां पर आए थे, जिसमें सरकार और उनकी मिलकर हिस्सेदारी रहेगी।

अडानी ने 750 मिलियन डॉलर का पहला निवेश करने का प्लान किया था और 2035 तक 92 मिलियन डॉलर और इन्वेस्ट करने का। 2028 तक वे इसे स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर करने का भी प्लान बना रहे थे। नैरोबी से दुनिया भर में फ्लाइट्स निकलती हैं और इंडियन एविएशन कंपनियों के लिए भी यह एक सुनहरा मौका था।

लेकिन लोकल ट्रेड यूनियन ने इसके खिलाफ बोल दिया। अगर यह प्रोटेस्ट लंबा चलता है, तो यह अच्छी बात नहीं है। आपके पास एक सुनहरा मौका था और कहीं न कहीं लगता है कि यह चाइना की चाल हो सकती है। अडानी एंटरप्राइजेस तो अपने हिसाब से अच्छा काम कर रही थी, लेकिन यह जनता को पसंद नहीं आया। धन्यवाद।

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