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काम के बदले इज्जत की मांग! ‘केरला फिल्म इंडस्ट्री’ विवादों में”

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“काम के बदले इज्जत की मांग! ‘केरला फिल्म इंडस्ट्री’ विवादों में”

2017 में हॉलीवुड में एक बड़ी मुहिम शुरू हुई जिसे ‘मीटू कैंपेन’ के नाम से जाना जाता है। यह मुहिम तब जोर पकड़ने लगी जब हॉलीवुड प्रोड्यूसर हार्वे वेनस्टीन पर 80 से अधिक महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप लगे। एंजेलीना जोली और सलमा हायेक जैसी प्रसिद्ध अभिनेत्रियों ने भी अपने अनुभव साझा किए। यह आंदोलन केवल हॉलीवुड तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत सहित अन्य देशों में भी फैला। भारत में भी कई बॉलीवुड सितारों, राजनीतिक हस्तियों और अन्य प्रमुख लोगों पर इसी तरह के आरोप लगे।

अब, यह मुद्दा भारत की क्षेत्रीय फिल्म इंडस्ट्रीज में भी जोर पकड़ रहा है। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री, जिसे ‘मॉलीवुड’ के नाम से जाना जाता है, इस समय इसी तरह के विवादों में घिरी हुई है। हाल ही में, एक्ट्रेस मीनू मुनीर ने सोशल मीडिया पर कुछ फिल्म एक्टर्स पर 2013 में हुए यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। इन आरोपों के बाद, मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में बहस छिड़ गई है और कई प्रमुख हस्तियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है।

इस मुद्दे पर चर्चा और भी तेज हो गई है जब 2017 में केरल सरकार द्वारा बनाई गई हेमा कमेटी की रिपोर्ट का आंशिक रूप से खुलासा हुआ। इस रिपोर्ट में फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ हो रहे शोषण के विभिन्न मामलों का उल्लेख है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि महिलाओं को काम के बदले यौन फेवर की मांग का सामना करना पड़ता है और वे मूलभूत सुविधाओं जैसे टॉयलेट्स और चेंजिंग रूम्स की कमी से जूझ रही हैं। रिपोर्ट के आंशिक रूप से सार्वजनिक होने के बाद, कई महिला कलाकार अपने साथ हुए यौन शोषण की घटनाओं को सामने लाने लगी हैं।

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इन घटनाओं के चलते, मलयालम फिल्म मेकर रंजीत पर भी यौन शोषण और रेप का मामला दर्ज हुआ है, जिसके बाद उन्हें केरल चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा है। यह घटनाएँ और हेमा समिति की रिपोर्ट दर्शाती हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय को दूर करने के लिए तात्कालिक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

इस विवाद के चलते केरल में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार से जवाब मांगा है। फिल्म इंडस्ट्री के कुछ बड़े सितारों ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी है, जबकि कुछ ने जानकारी न होने की बात कही है।

अब, यह जरूरी हो गया है कि फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के कार्यस्थलों को सुरक्षित और सम्मानजनक बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। हेमा समिति की रिपोर्ट में जिन मुद्दों का जिक्र है, उनकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए, ताकि इंडस्ट्री में महिलाओं को सुरक्षित माहौल मिल सके।

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