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ऐसे कदम उठाकर आपसी संबंध ना बिगाड़े भारत-चीन 

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ऐसे कदम उठाकर आपसी संबंध ना बिगाड़े भारत-चीन 

लोग काफी समय से रूस-यूक्रेन संघर्ष में व्यस्त थे, फिर इज़राइल, ईरान, हमास और लेबनान की खबरें सुर्खियों में रहीं। अब, इज़राइल के बाद, चाइना और ताइवान की चर्चा कर लेते हैं, क्योंकि चाइना ने हाल ही में भारत से नाराज़गी जताई है। चाइना की नाराज़गी का कारण है कि भारत ने ताइवान को मुंबई में अपना ऑफिस खोलने की अनुमति दी है। चाइना कहता है कि ताइवान उसकी “वन चाइना पॉलिसी” के तहत आता है, और ताइवान को अलग से काम करने की अनुमति देना गलत है।

ताइवान ने हाल ही में मुंबई में अपना एक ऑफिस खोला है। अब, आप पूछेंगे कि ताइवान का ऑफिस खोलने से चाइना को क्या दिक्कत है? चाइना ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, इसलिए वह कहता है कि ताइवान को अलग से क्यों काम करने दिया जा रहा है। चाइना का तर्क है कि अगर ताइवान और वह एक ही हैं, तो ताइवान को अलग पहचान क्यों दी जा रही है।

भारत का कहना है कि वह वन चाइना पॉलिसी को मानता है, लेकिन ताइवान से सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध बनाए रखना भी आवश्यक है। ताइवान ने मुंबई के अलावा चेन्नई और दिल्ली में भी अपने ऑफिस खोल लिए हैं। इस कारण से चाइना नाराज़ है।

ताइवान और चाइना के बीच का विवाद बहुत पुराना है। ताइवान, जो एक द्वीप है, अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहा है। 1895 में, ताइवान चाइना से अलग हो गया और जापान के अधीन आ गया। लेकिन जब द्वितीय विश्व युद्ध में जापान हार गया, तो ताइवान चाइना के नियंत्रण में वापस आ गया। इसके बाद, चाइना में राष्ट्रवादियों और साम्यवादियों के बीच सिविल वॉर हुई। 1949 में, राष्ट्रवादी ताइवान में बस गए और ताइवान की पहचान अलग हो गई।

आज भी, ताइवान और चाइना के बीच का विवाद जारी है। चाइना ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक अलग देश मानता है। चाइना कहता है कि दुनिया में केवल एक चाइना है और ताइवान उसका हिस्सा है। लेकिन ताइवान का कहना है कि उसने अपनी अर्थव्यवस्था, संविधान, सेना, झंडा, संसद और लोकतंत्र विकसित कर लिया है, इसलिए उसे अलग देश माना जाना चाहिए।

ऐसे कदम

अमेरिका भी वन चाइना पॉलिसी को मानता है, लेकिन ताइवान के साथ भी संबंध बनाए रखता है। भारत भी इसी नीति का पालन करता है। जब ताइवान भारत के साथ संबंध बनाने की बात करता है, तो भारत उसे मना नहीं करता। ताइवान दुनिया में सबसे ज्यादा सेमीकंडक्टर बनाता है, जो मोबाइल फोन, कार, फ्रिज, एसी और कंप्यूटर जैसे उपकरणों में इस्तेमाल होते हैं। इसलिए, ताइवान से संबंध बनाए रखना भारत के लिए महत्वपूर्ण है।

भारत, चाइना और ताइवान दोनों से अच्छे संबंध रखना चाहता है। चाइना के साथ, भारत ने ब्रिक्स और एससीओ जैसे मंचों पर कई काम किए हैं। लेकिन जब ताइवान की बात आती है, तो भारत उससे सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध बनाए रखना चाहता है।

ताइवान का ऑफिस मुंबई में खुलना इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। उम्मीद है कि इस से आपको ताइवान और चाइना के बीच के मुद्दे को समझने में मदद मिली होगी।

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