हाल ही में भारत के उड़ीसा राज्य के बालासौर जिले में, डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) ने एक महत्वपूर्ण मिसाइल परीक्षण किया। इस परीक्षण के चलते प्रशासन ने लगभग 10 गांवों को खाली कराया और लगभग 20,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया। इन लोगों को प्राथमिक राहत शिविरों में ठहराया गया और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान की गई।
बालासौर में डीआरडीओ की मिसाइल टेस्टिंग की जाती है। यहां मुख्य रूप से दो स्थानों से मिसाइलें परीक्षण के लिए लॉन्च की जाती हैं: चांदीपुर और अब्दुल कलाम आइलैंड (जिसे पहले व्हीलर आइलैंड कहा जाता था)। इस बार के परीक्षण के लिए चांदीपुर क्षेत्र को चुना गया था।
डीआरडीओ ने इस बार फेज टू बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर का परीक्षण किया। इस परीक्षण के तहत एक बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में ही नष्ट करना था। इंटरसेप्टर डिफेंस सिस्टम का मुख्य उद्देश्य है किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को उसके लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही नष्ट कर देना।
परीक्षण के दौरान एक मिसाइल को अब्दुल कलाम आइलैंड से लॉन्च किया गया था और उसे चांदीपुर पर हिट करना था। इसके लिए चांदीपुर से एक इंटरसेप्टर मिसाइल लॉन्च की गई थी, जिसका काम था अब्दुल कलाम आइलैंड से आने वाली मिसाइल को हवा में ही नष्ट कर देना।
इस परीक्षण के लिए 35 किलोमीटर के एरिया को खाली कराया गया था ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति में वहां के निवासियों को कोई नुकसान न हो। मिसाइल परीक्षण के दौरान की जटिलताओं और संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया था।
बालासौर और चांदीपुर के क्षेत्रों को नक्शे पर देखने से यह स्पष्ट होता है कि यह समुद्री किनारों पर स्थित हैं, जिससे मिसाइल परीक्षण के लिए यह उपयुक्त स्थान बन जाते हैं। यह परीक्षण डीआरडीओ द्वारा किया गया था और यह सफल रहा।
यह परीक्षण भारत के मिसाइल डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर भविष्य में किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को रोकने की जरूरत पड़ती है, तो यह डिफेंस सिस्टम उसे हवा में ही नष्ट कर सकेगा। इसके अलावा, यह भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी आगे बढ़ाता है।
इस परीक्षण की सफलता के लिए डीआरडीओ को बधाई दी गई है, और यह भारत की रक्षा तैयारियों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।