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ईरान और इजराइल युद्ध में कौन देगा किसका साथ ?

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ईरान और इजराइल के बीच चल रहे तनाव और संभावित संघर्ष की खबरें इन दिनों चर्चा में हैं। अगर ईरान और इजराइल के बीच युद्ध होता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के हेड ने संकेत दिए हैं कि ईरान किसी भी समय इजराइल पर हमला कर सकता है। इस संभावित युद्ध का प्रभाव वैश्विक शेयर बाजारों पर भी देखा जा रहा है, जिसमें इजराइल, अमेरिका, और भारत के शेयर बाजार शामिल हैं।

इस स्थिति में यह जानना महत्वपूर्ण है कि कौन से देश किसके साथ होंगे और किसके पास कितनी सैन्य ताकत है। इजराइल और ईरान दोनों के पास अपनी-अपनी ताकतें और कमजोरियां हैं। दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं की तुलना करें तो:

  1. सेना की संख्या:
  • ईरान: लगभग 12 लाख सक्रिय सैनिक और 35 लाख रिजर्व बल।
  • इजराइल: लगभग 7 लाख सैनिक, जिसमें 5 लाख सक्रिय सैनिक और ज्यादा रिजर्व फोर्सेस हैं।
  1. वायुसेना:
  • ईरान: 358 युद्ध के लिए तैयार एयरक्राफ्ट।
  • इजराइल: 241 फाइटर जेट्स, जिनमें से 183 हमले के लिए रेडी हैं। इजराइल के पास अत्याधुनिक तकनीक और अमेरिकी सपोर्ट भी है।
  1. नौसेना:
  • ईरान के पास नौसेना की संख्या ज्यादा है, लेकिन इजराइल की वायुसेना मजबूत है।
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ईरान का सबसे बड़ा डर है कि उसके पास न्यूक्लियर बम हो सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान के पास न्यूक्लियर वेपन हैं या नहीं, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो यह एक सरप्राइजिंग एलिमेंट होगा और युद्ध की दिशा बदल सकता है।

ईरान ने अपने दुश्मनों को घेरने के लिए विभिन्न जगहों पर अपने अड्डे बनाए हुए हैं, जैसे लेबनान, सीरिया, और यमन में हिज़्बुल्लाह और हमास के समर्थन से। यह इजराइल के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

मिडिल ईस्ट में अगर युद्ध छिड़ता है तो यह केवल एक सैन्य संघर्ष नहीं होगा, बल्कि इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। कई देशों ने अपने कामगारों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है, और इस स्थिति में ट्रांसपोर्टेशन और कंस्ट्रक्शन कंपनियां भी प्रभावित हो सकती हैं।

सऊदी अरब, यूएई, बहरेन, कतर, और ओमान जैसे देश अमेरिकी समर्थित माने जाते हैं, लेकिन फिलिस्तीन के मामले पर ये देश अमेरिका का खुला समर्थन नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, टर्की भी एक नया वाइल्ड कार्ड एंट्री कर चुका है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।

अंत में, यह देखना होगा कि अगर युद्ध होता है तो कौन से देश किसके साथ होंगे और इसका वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा।

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