अमेरिकी कमांड पर तैनात होंगे भारतीय सैन्य अधिकारी भारत स्थापित कर रहा है महाशक्तियों में संतुलन?
हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच एक मधुर संबंध दिखाई दिया है। भारत के विदेश मंत्री अमेरिका जाकर आए हैं। कब गए, क्यों गए, हमें पता क्यों नहीं चला? हमें यही जानकारी थी कि भारत के प्रधानमंत्री अमेरिका के कहने पर यूक्रेन गए थे। यूक्रेन जाकर आए, उसके बाद कोई अपडेट है क्या? हां, प्रधानमंत्री मोदी ने फोन करके बाइडन को कहा है कि शांति करवाने गए थे और बाइडन ने कहा, धन्यवाद आपके शांति के प्रयास को हम महत्व देते हैं। अब पुतिन को भी कहिए कि शांति रखें। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री की दो महाशक्तियों को संतुलन में रखने की कोशिशें हैं। इस बीच भारत के विदेश मंत्री नियमित टू प्लस टू वार्ता के तहत अमेरिका गए थे और वहां जाकर दो बढ़िया एग्रीमेंट करके आए। उनमें से एक एग्रीमेंट था सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई अरेंजमेंट का और दूसरा हमारे अपने अधिकारी का अमेरिकी कमांड पर तैनात रखने का, ताकि भारतीय सेना का अधिकारी उनके कमांड पर रह सके और भारत का स्टैंड तत्काल प्रभाव से बताया जा सके। इस तरह के रक्षा फैसले भारत और अमेरिका के बीच अच्छे संबंधों को दर्शाते हैं।
भारत जहां एक ओर रूस से तेल और वेपन निर्यात और आयात कर रहा है, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक रूप से अमेरिका के पक्ष में यूक्रेन की यात्रा और एग्रीमेंट्स कर रहा है। भारत दोनों देशों को साथ लेकर चलने की कोशिश कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का पुतिन से मिलना और फिर अमेरिका की प्रतिक्रिया आना, इस पर काफी चर्चा हुई थी। जुलाई में जब प्रधानमंत्री रूस गए थे, उन्हें सर्वोच्च सम्मान दिया गया था। उस सम्मान के बाद पुतिन के साथ हग करने का इवेंट काफी क्रिटिसाइज किया गया था, खासकर वेस्ट मीडिया द्वारा क्योंकि उस समय रूस ने यूक्रेन के एक अस्पताल पर हमला किया था। इस पर भारत ने तीव्र प्रतिक्रिया दी थी। अमेरिका ने भी भारत को चेतावनी दी थी कि अगर रूस के साथ व्यापारिक संबंध रखे तो हम आपको रोक देंगे। इस तरह की धमकी हमें रूस यात्रा के बाद आई थी।
भारत ने पुतिन से मिलकर अपना स्टैंड दुनिया के सामने रखा कि हम अपने पुराने मित्रों को नहीं छोड़ेंगे। रूस और यूक्रेन के बीच शांति की स्थापना के प्रयास के लिए भारत ने मध्यस्थता का प्रस्ताव भी दिया था। भारत के इस स्टैंड को दुनिया ने महत्व दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी का जेलेंस्की से मिलना और रूस के साथ शांति की बात करना, यह दर्शाता है कि भारत दोनों देशों के बीच बैलेंस करने की नीति अपना रहा है। भारत का स्टैंड कि यह युद्ध का युग नहीं है, इसे पुनः स्थापित किया गया है। यह नीति दुनिया के सामने भारत की तटस्थता और संतुलन को दिखाती है। अमेरिका के बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी को यूक्रेन यात्रा और शांति प्रयासों के लिए सराहा और सोशल मीडिया पर भी प्रशंसा की। इससे स्पष्ट होता है कि अमेरिका इस पूरी घटना के पीछे था।
भारत का बदलता हुआ रुख और अमेरिका और रूस को संतुलित करने का प्रयास दिखाता है कि भारत कोर्स करेक्शन कर रहा है। भारत की बदलती हुई इस राजनीतिक कड़ी में लाभ हो रहे हैं।
भारत और अमेरिका के बीच वर्तमान में डिफेंस के अंदर एग्रीमेंट्स हुए हैं। इनमें सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई अरेंजमेंट और लाइजन ऑफिसर का अमेरिकी कमांड पर तैनात करना शामिल है। सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई अरेंजमेंट के तहत किसी भी जरूरत के समय दोनों देश एक दूसरे को सहयोग प्रदान करेंगे। लाइजन ऑफिसर की नियुक्ति से दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में विश्वास और इंटेलिजेंस को बढ़ावा मिलेगा। अमेरिका की रक्षा रणनीति में भारत के एयर बेस का उपयोग एक एसेट की तरह हो सकता है।
अमेरिका ने पूरी दुनिया को अपने कमांड में बांट रखा है और अब भारत का एक अधिकारी उनके साथ तैनात होगा। यह एग्रीमेंट भारत के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ ही अमेरिकी मित्रता पर भी ध्यान देना होगा।
भारत अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए प्रयासरत है और इसी के बाद दुनिया की महाशक्तियों पर निर्भरता कम हो सकेगी। भारत के द्वारा किए गए ये एग्रीमेंट्स वर्तमान में संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक कदम हैं।