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अमेरिका का प्रोजेक्ट 2025 भारतीयों के लिए बड़ी चुनौती

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अमेरिका का प्रोजेक्ट 2025 भारतीयों के लिए बड़ी चुनौती

आज हम अमेरिका से आई एक नई सूचना पर चर्चा करेंगे, जो डोनाल्ड ट्रंप के आने से पहले ही आई है। जब ट्रंप चुनाव लड़ रहे थे, तब प्रोजेक्ट 2025 की चर्चा हो रही थी। हमने पहले भी इस बारे में बात की थी। अब ऐसा लग रहा है कि प्रोजेक्ट 2025 सक्रिय हो चुका है। आपको याद होगा कि आज से चार महीने पहले, जब अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव हो रहा था, मैंने बताया था कि कमला हैरिस ने ट्रंप पर तानाशाही लाने का आरोप लगाया था। तानाशाही लाने के लिए उन्होंने एक रणनीति बनाई थी, जिसे प्रोजेक्ट 2025 नाम दिया गया है।

हमने इस बात को स्पष्ट रूप से बताया था कि यह एक डिटेल्ड लीडरशिप प्लान है, जिसे ट्रंप जनवरी 2025 में लागू करेंगे जब वे राष्ट्रपति बनेंगे। अब जबकि ट्रंप चुनाव जीत चुके हैं, उनका यह डिक्टेटरशिप प्लान अमेरिका में लागू होने की योजना है। सबसे पहली सूचना यह है कि 18,000 भारतीयों को भारत भेजा जा रहा है। यह एक बड़ा सवाल है: कितने भारतीय वहां रहते हैं? क्यों उन्हें भेजा जा रहा है? क्या उन्होंने कुछ गलत किया है? क्या वे अवैध रूप से घुसे थे? किसने उन्हें पकड़ा है? ये सब बातें आज के सत्र में हम चर्चा करेंगे।

अमेरिका में अभी भी बाइडन का शासन चल रहा है, जो जनवरी तक चलेगा। लेकिन ICE (इमीग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट) सक्रिय हो गया है। ICE ने 15 लाख लोगों की सूची बनाई है, जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं, जिसमें 18,000 भारतीय भी शामिल हैं। यह सूची ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर लागू की जाएगी। अवैध इमिग्रेशन को लेकर ट्रंप और बाइडन की नीति में बड़ा अंतर है। बाइडन थोड़े नरम रहते हैं, जबकि ट्रंप सख्त नीति अपनाते हैं। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में अवैध इमिग्रेशन को एक बड़ा मुद्दा बनाया था।

ट्रंप के आने से पहले अमेरिकियों ने खुशी जताई थी कि वे मास डिपोर्टेशन प्रोग्राम चलाएंगे और बड़ी संख्या में लोगों को उनके मूल देश भेजेंगे। कमला हैरिस और ट्रंप के बीच इस मुद्दे पर लंबी बहस हुई थी। ट्रंप का कहना था कि बाइडन और हैरिस की इमिग्रेशन नीति अमेरिका के लिए बड़ी गलती है। वे आरोप लगाते थे कि डेमोक्रेट्स अवैध घुसपैठियों से वोट लेते हैं और उनसे हमेशा के लिए वोट बैंक तैयार कराते हैं।

ट्रंप का प्रोजेक्ट 2025 और मास डिपोर्टेशन प्रोग्राम अब सक्रिय हो रहा है। अमेरिका की कुल आबादी 34 करोड़ है, जिसमें से लगभग 4 करोड़ लोग बाहर के देशों से आकर बसे हैं। अमेरिका खुद ही माइग्रेंट्स का देश है, लेकिन अब पुराने अमेरिकी नए लोगों को आने से रोकते हैं। अमेरिका में सबसे बड़ी संख्या अवैध रूप से आए हुए लोगों की है, जिसमें मेक्सिको और भारत के लोग शामिल हैं। अवैध रूप से 7 लाख भारतीय अमेरिका में हैं, जो मेक्सिको के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।

अवैध रूप से अमेरिका में घुसने वाले लोग टेक्सास, फ्लोरिडा, न्यू जर्सी, मैरीलैंड, और मैसाचुसेट्स में सबसे ज्यादा एंट्री करते हैं। ये लोग डंकी रूट से अमेरिका पहुंचते हैं। डंकी रूट का मतलब होता है अवैध तरीके से सीमा पार करना। अमेरिका का वीजा लेना आसान नहीं है, इसलिए लोग अवैध तरीके से सीमा पार करते हैं। अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचने वाले लोग साउथ अमेरिका, सेंट्रल अमेरिका, मेक्सिको होते हुए अमेरिका पहुंचते हैं।

ये लोग डंकी रूट का उपयोग करते हुए मेक्सिको बॉर्डर तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। ये रास्ता बहुत कठिन होता है और जंगलों से होकर गुजरता है। इनमें से प्रत्येक व्यक्ति लगभग 80 लाख रुपए खर्च करके अमेरिका पहुंचता है। 80 लाख रुपए खर्च करके ये लोग अमेरिका की जेल में जाने के लिए तैयार होते हैं। अगर ये पैसा सही तरीके से निवेश करें, तो भारत में भी अच्छी जिंदगी बिता सकते हैं।

कुछ लोग कनाडा के जरिए अमेरिका पहुंचते हैं, जिसमें 80 लाख का खर्चा आता है। पहले कनाडा के अंदर एंट्री दिलवाते हैं, फिर कनाडा से ठंडे रास्तों से होकर अमेरिका के अंदर घुसते हैं। पुलिस इन्हें पकड़ लेती है और ये लोग शरणार्थी बनकर वहां रहना चाहते हैं। दूसरा तरीका लैटिन अमेरिका होकर एंट्री करने का है, जिसमें 70 से 75 लाख का खर्चा आता है। तुर्की होकर भी लोग अमेरिका पहुंचते हैं।

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हर साल बड़ी संख्या में लोग अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचने की कोशिश करते हैं। साल 2022 में 9,691 डंकी पकड़े गए थे। 18,000 भारतीयों में से ज्यादातर लोग गुजरात, पंजाब, और आंध्र प्रदेश से हैं। हर घंटे 10 भारतीय अवैध रूप से अमेरिका में घुसने की कोशिश करते हैं। ये लोग डंकी रूट से बड़ी संख्या में अमेरिका पहुंचते हैं, लेकिन ट्रंप का मास डिपोर्टेशन प्रोग्राम इन सबको वापस भेजने की तैयारी कर रहा है।

वीजा पर खर्चा बहुत कम है, लेकिन अवैध तरीके से जाने वाले लोग ज्यादा खर्च करते हैं। ये लोग अमेरिका में एक अच्छे जीवन की तलाश में जाते हैं, लेकिन वहां जाकर भी सफाई, ड्राइवर, इलेक्ट्रिशियन या प्लंबर का ही काम करना पड़ता है। अवैध रूप से जाने वाले लोग पढ़ाई-लिखाई में कमजोर होते हैं, इसलिए वे वीजा नहीं ले पाते। इसलिए डंकी रूट का उपयोग करके अमेरिका पहुंचते हैं।

अमेरिका में अप्रवासी लोगों की संख्या पिछले 50 सालों में चार गुना बढ़ चुकी है। यह बहुत बड़ी चिंता की बात है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में लोग अवैध तरीके से अमेरिका पहुंच रहे हैं। ट्रंप का मास डिपोर्टेशन प्रोग्राम इस समस्या का समाधान करने की कोशिश करेगा, लेकिन यह भारतीयों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।

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