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अमेरिका उल्लू , तो केन्या मार रहा भारतीय कौवे…

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खबर है उल्लू और कौओं की। खबर है कि अमेरिका 5 लाख उल्लू मारने जा रहा है। यूएस वाइल्डलाइफ ऑफिशियल्स प्लान टू किल नियर 450,000 बार्ड उल्लू। आज के सेशन में हम समझाने जा रहे हैं कि ये उल्लू क्यों मारे जा रहे हैं। वैसे दुनिया में कहते हैं कि जो बेवकूफ है वो उल्लू कहलाता है, हालांकि ये शब्दों में ही होता है।

अमेरिका उल्लू मारने जा रहा है, और यह बात आज के सेशन में समझनी है। इसको एनवायरमेंट से जोड़ेंगे। एक और खबर है कि केन्या भारतीय कौवे मार रहा है। केन्या वाले भारतीय कौवों को मार रहे हैं। आज के सेशन में विस्तार से समझेंगे कि दुनिया भर में पक्षियों को क्यों मारा जा रहा है।

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तो सबसे पहले हम बात कर रहे हैं केन्या की। केन्या अफ्रीका के ईस्टर्न पार्ट पर स्थित एक देश है। यह अफ्रीका की सिक्स्थ लार्जेस्ट इकॉनमी है और क्लाइमेट के हिसाब से यह बहुत अच्छे नेशनल पार्कों का घर है, जैसे कि मसाई मारा नेशनल पार्क। टूरिज्म केन्या की तीसरी सबसे बड़ी आमदनी का स्रोत है, और इस टूरिज्म को इन कौओं से दिक्कत है।

केन्या में भारतीय कौवे कोरवस स्प्लेंडेंस नाम से जाना जाता है और यह नेपाल, भारत और बांग्लादेश में पाया जाता है। इस कौवे की वजह से केन्या की स्थानीय पक्षी प्रजातियों को खतरा है।

भारतीय कौवे मांसाहारी और शाकाहारी दोनों होते हैं, लेकिन यह मांसाहार पसंद करते हैं। यह छोटे पक्षियों के अंडे और चूजे खा जाते हैं। केन्या के तट पर यह कौवे टूरिस्टों को भी परेशान कर रहे हैं।

केन्या के वाइल्डलाइफ सोर्सेज का कहना है कि हम इस कौवे को मारना चाहते हैं क्योंकि यह हमारी स्थानीय पक्षियों और कृषि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। केन्या में यह कौवा गंदगी पर जीवित रहता है और यह गंदगी को खत्म करने के लिए जाना जाता है।

अब हम अमेरिका की बात करते हैं। अमेरिका में स्पॉटेड उल्लू की प्रजाति विलुप्त हो रही है, इसलिए बड़े उल्लू, जिन्हें बाड़ उल्लू कहा जाता है, को मारने की बात चल रही है। बाड़ उल्लू स्पॉटेड उल्लू को मार देते हैं और उसकी वजह से स्पॉटेड उल्लू की संख्या कम होती जा रही है।

इसलिए अमेरिका ने 45 लाख बाड़ उल्लू को मारने की योजना बनाई है। वन्य जीव संरक्षणवादी इस बात को लेकर बंटे हुए हैं। कुछ का कहना है कि छोटे उल्लू को बचाना चाहिए, जबकि कुछ का कहना है कि नेचर के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए।

इकोलॉजी के हिसाब से अगर किसी जीव की संख्या बढ़ जाती है तो वह इकोसिस्टम में इंबैलेंस पैदा कर सकता है। इस इंबैलेंस को मिटाने के लिए ऐसे उपाय किए जा रहे हैं।

उम्मीद है कि आपको यह जानकारी समझ में आई होगी।

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