अमित शाह ने करवाई थी कनाडा में हि*.. !! कनाडा के आरोपों के क्या होंगे परिणाम ?
भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों में एक और नया आयाम जुड़ गया है। इस बार कनाडा के उप विदेश मंत्री ने पुरानी बातें याद दिलाते हुए कहा है कि हमारे यहां जो भी हो रहा है, उसके पीछे अमित शाह जिम्मेदार हैं। उनका आरोप है कि अमित शाह ने रॉ एजेंसीज को निर्देश देकर यह सब करवाया है। यह सही है कि भारत की खुफिया एजेंसी गृह मंत्रालय के अधीन होती है और गृह मंत्रालय अमित शाह के अधीन है।
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में एक और तनाव का कारण यह है कि जस्टिन ट्रूडो और उनकी पार्टी खालिस्तानियों का समर्थन करते हुए भारत के साथ रिश्ते बिगाड़ते जा रहे हैं। आपको याद होगा, 14 तारीख को हमने एक सत्र में बताया था कि भारत और कनाडा के रिश्ते कितने खराब हो चुके हैं। दोनों देशों ने अपने-अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था। इस घटना में एक बड़ी जानकारी छुपी रह गई थी कि कनाडा ने छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।
उस समय, वाशिंगटन पोस्ट ने यह खबर प्रकाशित की थी कि अमित शाह और रॉ के वरिष्ठ अधिकारियों ने कनाडा में एक गुप्त ऑपरेशन की अनुमति दी थी। हालांकि, भारतीय मीडिया में यह खबर प्रमुखता से नहीं आई थी। लेकिन अब, कनाडा ने फिर से इस नाम को सामने लाया है और इसका कारण भी स्पष्ट है।
कनाडा के पास अपनी खुद की समाचार एजेंसियां हैं, जैसे सीबीसी, जो बीबीसी की तरह काम करती हैं। अगर कनाडा चाहता, तो अपनी ही एजेंसियों के माध्यम से यह खबर प्रकाशित कर सकता था, लेकिन उन्होंने इसे अमेरिका के वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित करवाया। इस पर कनाडा में एक जांच शुरू हुई, और उप विदेश मंत्री मॉरिसन को तलब किया गया। मॉरिसन ने बताया कि उन्होंने ही वाशिंगटन पोस्ट को अमित शाह का नाम दिया था।
इस खबर ने अब फिर से तूल पकड़ लिया है कि अमित शाह ने ही खालिस्तानी अलगाववादियों को टारगेट करने के लिए निर्देश दिए थे। कनाडा का यह भी दावा है कि भारत उन पर साइबर हमले कर सकता है। सीबीसी ने भी खबर प्रकाशित की है कि कनाडा को भारत से साइबर हमले का खतरा है।
यह सब सवाल उठाता है कि क्या वाकई अमित शाह ने यह सब करवाया है और अगर हां, तो क्या यह कदम सही थे? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अमेरिका में अपने भाषण में कहा था कि अगर कोई आपको मारे और आप बदला न लें, तो ऐसा हो ही नहीं सकता।
भारत की खुफिया एजेंसियों के कनेक्शन बहुत बड़े हैं, और यह एजेंसियां अपने नेटवर्क के माध्यम से काम करती हैं। यही कारण है कि चीन के मुद्दे पर भी ट्रूडो ने खुफिया जानकारी जुटाई थी। अब, जब भारत का मामला आया, तो कनाडा ने अमेरिका की मदद ली।
इससे यह स्पष्ट होता है कि कनाडा भारत पर जो भी आरोप लगा रहा है, वह कहीं न कहीं अमेरिका के समर्थन में है। यह घटनाएं भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों का एक नया अध्याय हैं। वाशिंगटन पोस्ट ने 14 तारीख को यह खबर प्रकाशित की थी, लेकिन भारतीय मीडिया में इतनी चर्चा नहीं हुई। अब फिर से, कनाडा भारत को निशाना बना रहा है कि भारत सिख अलगाववादियों की हत्याओं के लिए जिम्मेदार है। इसलिए अमित शाह का नाम लिया गया है।
इसके अलावा, कनाडा के इंटेलिजेंस अधिकारी थॉमस पॉल थॉमस ने कहा है कि हमारे देश पर साइबर अटैक की घटनाएं बढ़ सकती हैं। कुल मिलाकर, यह घटनाएं भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों की एक कड़ी हैं।