अब लोन के नाम पर ब्लैकमेल नहीं कर पाएंगी कंपनियां RBI ने कर ली है बड़ी तैयारी
देश के अंदर एक अलग प्रकार का क्राइम चल रहा है। क्राइम क्या है? कुछ लोग अनसिक्योर्ड तरीके के प्लेटफार्म से लोन ले लेते हैं और लोन लेने के बाद ब्लैकमेलिंग का शिकार बनते हैं। ऐसी कई सुर्खियां आई हैं कि एक बच्चा अपने मां-बाप को नोट लिख रहा है। इंटरेस्टिंग बात यह है कि 2020 के बाद, जब से कोरोना महामारी आई, देश में इंस्टेंट लोन एप्लीकेशंस का बिजनेस तेजी से बढ़ा। जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है, वे तुरंत यहां से लोन ले रहे थे और यह एप्लीकेशन बिना किसी डॉक्यूमेंट के कुछ मिनटों में ही लोन दे रही थीं। इन एप्लीकेशंस में चाइनीज एप्लीकेशंस के जरिए भी करोड़ों का फ्रॉड पकड़ा गया। चीन वाले भी इस प्रकार के लोन एप्लीकेशन चला रहे थे। इसका समाधान अब भारत सरकार ने खोज लिया है।
ध्यान रखिएगा, यह किस तरह से ब्लैकमेल करते थे, वो पहले समझ लीजिए। आपने एप्लीकेशन के जरिए लोन लिया और जिनकी छोटी-मोटी आवश्यकताएं थीं, जैसे ₹1 हज़ार, वे लोग यह पूरा कर रहे थे। ये आपके मोबाइल में आपकी फोटोज, कॉल्स, और कॉल लिस्ट का एक्सेस रखकर ब्लैकमेल करते थे। अगर आप पैसा समय पर नहीं दे पाए तो आपकी फोटो वायरल करने की धमकी देना, आपके जानकारों को फोन करके धमकाना कि उसने पैसे नहीं चुकाए, ये सब होता था।
इन्हीं को ध्यान में रखते हुए, पिछले साल 2023 में आरबीआई ने यूनिफाइड लोन इंटरफेस की तैयारी शुरू की और उसका एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया, जस्ट लाइक यूपीआई। अब देश में शक्तिकांत दास जी के नेतृत्व में यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस की तैयारी हो रही है। इससे आपको लोन मिलेगा और यह तरीका बिल्कुल यूपीआई की तरह ही सुरक्षित होगा। देश ने हाल ही में इंटरनेट के क्षेत्र में काफी प्रगति की है, चाहे यूपीआई का नाम हो, जहां 2016 से शुरू हुई यूपीआई सर्विसेस आज देश में डिजिटल ट्रांजैक्शंस में प्रमुख हैं। जनधन आधार मोबाइल, जिसके जरिए सरकार लाभार्थियों को मदद भेजती है, उसी प्रोसेस से जनधन अकाउंट के जरिए, आधार से वेरीफाई करके पैसा भेजा जा रहा है। जैम ट्रिनिटी जिस प्रकार से क्रांतिकारी रही, अब उसी को ध्यान में रखते हुए जनधन, आधार, यूपीआई और यूएलआर ट्रिनिटी बनाई जा रही है।
जनधन अकाउंट बने देश में, इस साल उनका 10 साल पूरा हो चुका है और 53 करोड़ से ज्यादा अकाउंट खुल चुके हैं। 10 साल पूरा होने पर और 53 करोड़ अकाउंट खुलने पर देश में आर्थिक रूप से लोगों को साथ लेने का सरकारी प्रयास फाइनेंशियल इंक्लूजन के नाम से जाना जाता है। अभी हम चर्चा कर रहे हैं यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस की, जिसके बारे में यूपीआई की तरह ही बहुत सारी उम्मीदें बताई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि देश में जिस तरह से यूपीआई सीमलेस है, उसी तरह यूएलआर भी काम करेगा।
यूएलआर अप्लाई करने पर आपके आधार और बैंक खाते के जरिए लोन एलिजिबिलिटी पता चल जाएगी और आप वहां से लोन ले पाएंगे। अब देश में इतने सारे इंस्टेंट लोन एप्लीकेशंस हैं, उन्हें यूएलआर को ही अपनाना होगा। भारत सरकार सख्ती से फर्जी एप्लीकेशंस पर कार्यवाही कर रही है। आने वाले समय में इंस्टेंट लोन के लिए यही प्लेटफार्म बनेगा।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 35 साल से कम उम्र के लगभग 65 प्रतिशत लोग इंस्टेंट लोन लेते हैं। उनके लिए लोन का अमाउंट 10, 15000, 20, 50 हज़ार तक होता है। उनके लिए यह लोन फीजिबल होगा, जनधन आधार अकाउंट के जरिए। इसे सरकारी प्लेटफार्म से रखा जाएगा, और पायलट प्रोजेक्ट के बाद अब यह पूरी तरह से एक्सेसिबल होगा। आरबीआई ने इसकी घोषणा की है। सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट्स, अकाउंट एग्रीगेटर्स, क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज इसका प्रॉपर तरीके से उपयोग कर पाएंगी।
अगर आप लोन लेकर भाग गए तो क्या होगा? आपका आधार कार्ड, बैंक अकाउंट, एड्रेस और पहचान के जरिए प्लेटफार्म आपकी सारी जानकारी 2 मिनट में पता कर लेगा। एलिजिबल हैं तो तुरंत लोन अप्रूव हो जाएगा। कुल मिलाकर प्लग एंड प्ले मॉडल है। यूपीआई के बाद अब यह यूएलआर टेक्स है और यह आने वाले समय में जनधन, आधार, यूपीआई की तरह काम करेगा।