अब रूस में जिनपिंग से मोदी का हाथ मिलाना तय | पुतिन के कारनामे से सख्ते में दुनिया
भारत, चीन, और रूस के लिए बहुत ही कामयाब होगा। क्यों कामयाब होगा? जिसके लिए मोदी जी सुबह 7:00 बजे फ्लाइट लेकर रूस निकल चुके हैं। आपका सेशन खत्म होगा, इतने में वे रूस लैंड हो चुके होंगे और वहां पर मिलने वाले हैं श्री जिनपिंग से। संभवतः यह तस्वीर आपको फिर से देखने को मिलेगी जब भारत के प्रधानमंत्री चीन के राष्ट्रपति से हाथ मिलाते हुए दिखाई दें।
यह घटना ऐसे समय पर होने जा रही है जिस समय भारत अमेरिका के विभिन्न प्रकार के डिप्लोमेटिक प्रेशर से गुजर रहा है। आपको याद होगा हाल ही के समय में अमेरिका ने भारत को दबाने के लिए पन्नू वाला कार्ड खेला। उधर से कनाडा के कहने पर निज्जर वाले कार्ड में अमेरिका ने फाइव आइज का योगदान लिया। और साथ में महत्वपूर्ण चीज यह कि जब यह तय हो गया कि प्रधानमंत्री रूस जाएंगे, उस समय अमेरिका ने विकास यादव का कार्ड खेल दिया कि आपकी रॉ पन्नू को मरवाने के प्रयास में शामिल थी।
लेकिन इन सबके बीच में प्रधानमंत्री वहां जा रहे हैं। इस बीच में पुतिन ने हमारे साथ एक ऐसी जबरदस्त सेटिंग बिठाई है कि भारत और चीन के बीच के कंफ्लिक्ट्स को टेबल पर बिठाकर मसले को हल करने का प्रयास किया जाए। गलवान वैली इंसीडेंट के बाद भारत और चीन कई बार टेबल पर बैठकर बातचीत कर चुके थे, लेकिन मसला हल नहीं हो पा रहा था। प्रधानमंत्री के जाने से दो दिन पहले ही विदेश सचिव और विदेश मंत्री ने बयान दिया कि मामला सेटल हो गया है और हम भविष्य की बातें कर सकते हैं। यह बयान उस समय पर आना जब प्रधानमंत्री का रूस जाना तय हो गया हो, यह दर्शाता है कि पुतिन इस बार वाली ब्रिक्स की मीटिंग में कुछ बड़ा अनाउंस करवाने वाले हैं।
मैंने आपसे कहा आज और कल, यानी 22 और 23 अक्टूबर, ब्रिक्स समिट हो रही है। यह ब्रिक्स समिट रूस के कजान नामक शहर में आयोजित की जा रही है। ब्राजील, रूस, इंडिया, चाइना और साउथ अफ्रीका ने मिलकर ब्रिक्स बनाया था। अब इसमें पांच अन्य देशों को भी जनवरी में शामिल किया गया है: सऊदी अरब, यूएई, ईरान, इथोपिया, और इजिप्ट। इस प्रकार यह दस देशों का संगठन बन गया है।
अभी कुछ दिनों पहले आपने एससीओ का नाम भी सुना होगा, संघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन, जिसमें पाकिस्तान भी एक मेंबर था। लेकिन ब्रिक्स में, जो कि भारत की सहमति के बिना किसी को शामिल नहीं करता, पाकिस्तान शामिल नहीं है। इस ब्रिक्स की मीटिंग में भारत के प्रधानमंत्री और जिनपिंग के बीच संभवतः सकारात्मक तरीके से मुलाकात होगी। यह माना जा रहा है कि हो सकता है ब्रिक्स नेशंस आने वाले समय में डी-डॉलराइजेशन या ब्रिक्स करेंसी जारी करने जैसी घोषणा कर दें।
ब्रिक्स को G7 का अल्टरनेट बनाकर प्रस्तुत किया जा रहा है। G7 अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का समूह है, जबकि ब्रिक्स समावेशी तरीके से बराबर पार्टनरशिप के साथ बना हुआ समूह है। डेवलप्ड नेशन 60% की गति से बढ़ रहे हैं जबकि यह 300% की गति से बढ़ने वाले देश हैं।
पुतिन ने भारत और चीन के बीच के विवाद को हल करने में बड़ी भूमिका निभाई है। गलवान वैली इंसीडेंट के बाद से भारत और चीन के बीच विवाद बढ़ गया था, जिससे रूस को नुकसान हो रहा था क्योंकि उसे अपने दो बड़े सहयोगी, चीन और भारत, को एक साथ लाना था। इसी के लिए यह सारा प्रक्रम चालू किया गया।
15 जून 2020 को गलवान वैली में हुई घटना में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे और 60 चीनी सैनिक मारे गए थे। इस घटना का व्यापक असर पड़ा था और पुतिन को इसका नुकसान हो रहा था। जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ, तो पुतिन को अपने पक्ष में चीन और भारत को लाना जरूरी था।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद सुलझ सकता है और पेट्रोलिंग सिस्टम को लेकर समझौता हुआ है। इस समझौते की जानकारी विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने भी दी थी। इससे गलवान जैसे टकराव को टाला जा सकेगा।
प्रधानमंत्री के रूस जाने का मतलब है कि पुतिन भारत और चीन के बीच कंफ्लेक्ट्स को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर ब्रिक्स की प्रासंगिकता बनी रहनी है, तो जरूरी है कि भारत और चीन एक दूसरे से ना झगड़ें।
जयशंकर ने जुलाई 2024 में चीन के वांग यी से मुलाकात की और कहा कि एलएसी का सम्मान किया जाना चाहिए। 15 सितंबर 2024 को मैंने बताया था कि चीन और भारत को नजदीक ले आए हैं पुतिन। अजीत डोभाल और वांग यी की मुलाकात 12 सितंबर को हुई थी, जिसमें दोनों ने बॉर्डर इशू को हल करने की सहमति बनाई थी।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर अपनी यात्रा की जानकारी दी। कजान शहर में ब्रिक्स 2024 की बैठक हो रही है। प्रधानमंत्री सी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे और लद्दाख के पेट्रोलिंग मसले पर चर्चा करेंगे।