माइक्रोप्लास्टिक्स माइक्रोप्लास्टिक्स क्या है| साथियों मतलब यह एनवायरमेंटल इशू बहुत बड़ा इशू है और इस बात को बहुत गंभीरता से लेना यह आपकोहाथ में ये जो टुकड़े से दिख रहे हैं नाप्लास्टिक के से ये जो दिख रहे हैं यह लगरहा होगा कि माइक्रो प्लास्टिक है लेकिनसही मायने में प्लास्टिक माइक्रो इससे भी छोटा होता है|
खुली आंखों से आप देख नहीं सकते तो आप क्यों पढ़ रहे हैं| इस बात को इतना पतला है कि ये ब्लड में घुल कर केहाल ही में एक चीनी साइंटिस्ट को ब्लड के क्लॉट में मिलाहै सोच कर देखिए कि हमारे शरीर में कितना ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक एंट्री कर चुका है| प्लास्टिक एंट्री कर चुका है| शरीर के अंदर एक्सटर्नल एलिमेंट के रूपमें प्लास्टिक की एंट्री हो चुकी है और वहएंट्री के बाद में हमारे क्लॉट्स में दिख रहा है|हमारी वनस में दिख रहा है ब्लड में दिख रहा है विचार कीजिए कि वह कहां कहोगा एक चीनी वैज्ञानिक ने चाइनीज रिसर्चर ने डिस्कवर किया है माइक्रोप्लास्टिक इनब्लड क्लॉट्स सर्जिकली रिमूव्ड फ्रॉम दआर्टरी इन द हार्ट एंड ब्रेन एज वेल एसडीप वेंस ऑफ द लोअर लेग्स प्लास्टिक का इतिहास जान लो फिर आपको ये माइक्रो प्लास्टिक भी समझ में आ जाएगा|
प्लास्टिक पोल्यूशन पोल्यूशन के अंदर एकबहुत इंपॉर्टेंट टाइटल है प्लास्टिक दुनिया की कितनी बड़ी चुनौती है|
एकवैज्ञानिक हुए जिन्होंने सबसे पहली बारअलेक्जेंडर पाक्स था जिनका नाम उन्होंनेपार्कसन नाम देकर के एक प्लास्टिक कानिर्माण किया जो कि हाथी दांत से सस्ता थातो लोगों ने यूज किया 1907 में बेल्जियमके वैज्ञानिक थे लियो बेकलैंड उन्होंने बैकलाइट का निर्माण किया उसको एक पहलासिंथेटिक प्लास्टिक के रूप में लोग कंसीडर करते हैं |उसके बाद तो फिर बहुत सारी कंपनी इसके मतलब रिसर्च में लग गई| अमेरिका केअंदर बीएएसएफ ड्यू पॉइंट ये सब मिलकर के ढूंढने लग गई कि प्लास्टिक कैसे बनाया जाए प्लास्टिक पर शुरू हुई यह रिसर्च आज कहां पहुंच चुकी है| इसका अंदाजा इससे लगा लो कि जहां 1976 में पूरी दुनिया मिलकर के अगर मेट्रिक टन में बात करें तो मुश्किल से 50 मेट्रिक टन प्लास्टिक बनाती थी| आज पूरीदुनिया मिलकर के 400 मेट्रिक टन प्लास्टिकबनाती है क्यों क्योंकि बहुत सी चीजों का अब हमेंरिप्लेसमेंट सस्ता मिल चुका था यह जो प्लास्टिक बना इसकी सबसे बड़ी गलती यह थी कि यह बनता तो है लेकिन यह घटता नहीं है यानी कि ऐसा रासायनिक चीज बनकर आ गया जोबन तो गया लेकिन डिग्रेड नहीं होता खत्म नहीं होता पर्यंत पड़ा ही रहता है यानी कि कुछ 3 एक परट के आसपास इसकी बायोडिग्रेडेशन है| प्लास्टिक डिग्रेड ही नहीं होता हैअंदाजा इससे लगाइए कि जब आपने प्लास्टिकयूज कर लिया और वह फेंक दिया तो इससेआंकड़े आपके सामने निकल कर आते हैं कि 2024 में 200 मिलियन टन प्लास्टिक वेस्टके रूप में क्रिएट होगा इसको आप इस तरह से समझिए कि 400 मिलियन टन तो आप प्लास्टिक बना रहे हो और 220 मिलियन टन उसमें सेवेस्ट के रूप में आप निकाल कर दे देंगे 12देश पूरी दुनिया के 60 पर इस वेस्ट को प्रोड्यूस करने वालों में हैं|
जिनमें टॉपटॉ पर चाइना अमेरिका इंडिया ब्राजील और मेक्सिको का नाम आता है तो यानी कि अब आपसोच कर देखिए कि प्लास्टिक कितनी बड़ी चीज है अब आप पूछेंगे जब डिग्रेड ही नहीं होता तो क्या होता है| बहुत सहीसवाल आपने प्लास्टिक की थैली पटक दीप्लास्टिक की बोतल फेंक के पटक दी ये गई तो अब इसका होगा क्या क्या ये रीयूज होती है|
प्लास्टिक दो प्रकार का है एक है रियू जबल और एक नॉनरीयूबेन नाम से आपने पटक दिया वो धीरे-धीरे बारिश के पानी से हवा से इनसेघटते पिटते घटते पिटते बहुत छोटे-छोटेपार्टिकल्स में बदल जाता है क्योंकि येखत्म तो कभी नहीं होता तो यह छोटे-छोटे पार्टिकल्स के रूप में कहीं वहीं समा जाताहै और वही चीज आगे चलकर के माइक्रो प्लास्टिक कहलाती है आज बहुत ज्यादा कॉस्मेटिक्स में माइक्रोप्लास्टिकका उपयोग भी हो रहा है क्योंकि बहुत बार आपने महिलाओं को लिपस्टिक लगाते देखा होगा तो आपने देखा होगा कि वो कहती है कि परमानेंट मार्कर लगाया है यह हटेगा नहीं बहुत देर तक चलेगी य शादीशुदा है भाई हम जानते हैं ऐसी स्थिति में वह जो प्लास्टिक है ना वही उनकी स्किन पर उसको रिटेन करके रोका हुआ है लेकिन भोजन के साथ वह होठ तो अंदर जाएंगे पानी के साथ अंदर जाएंगे ऐसी स्थिति में वह प्लास्टिक जो कॉस्मेटिक के रूप में लगाया गया है व शरीर में जाएगा उम्मीद है कि आपको कहानी समझ में आ रही | आंकड़े में ऐसे समझो कि 8 बिलियन टनप्लास्टिक अभी तक 1950 से जनरेट किया जाजा चुका है आप इसको ऐसे समझिए कि हमने इतना प्लास्टिक बना लिया है कि 21900 एंपायर स्टेट बिल्डिंग बनाई जा सकतीहै इतना प्लास्टिक मार्केट में है कुछ और तथ्य भी देखो ताकि आपको इससे थोड़ी सीचिंता बने कि % प्लास्टिक जो हम प्रोड्यूस करते हैं उसमें से इतना सा ही प्लास्टिक 8पर ही रिसाइकल होता है 1 मिलियन जो सीबर्ड्स हैं जो समुद्र के किनारे पाए जाने वाले पक्षी हैं और 1 लाख जो सी मरीनमैमल्स हैं वह हर साल प्लास्टिक के कारण जो समुंदर में डल रहा है उससे मरते हैं|
50 पर जो प्लास्टिक है वह सिंगल यूज प्लास्टिक हम लोग यूज करते हैं 500 बिलियन प्लास्टिक बैग्स हर साल पूरी दुनिया में बनते हैं पिछले 10 सालों में प्लास्टिक पूरी दुनिया का सबसे ज्यादा जो 100 साल में नहीं बना उतना 10 साल में बना लिया मतलब आप सोच कर देखिए कि प्लास्टिक ने पूरी दुनिया को प्लास्टिक में कर दिया है आप किसी भी नदी नाले समुंदर इनके किनारे देखेंगे तो प्लास्टिक के नजारे आपको पड़े मिलेंगे आप किसी सी बीच पर जाइए रुके हुए तालाब पर जाइए बहती नदी पर जाइए किनारे पर आपको प्लास्टिक इस प्रकार से तैरता मिलेगा जो लोग नदियों के किनारे अमूजा थे पानी पिए बोतल पानी में फेंक कर के वहीं चले गए अब यही प्लास्टिक जो आपको यहां दिख रहा है| यही प्लास्टिक जब टूट फूट करने लगता है| तो कुछ इस प्रकार के बारीक प्लास्टिक में बदल जाता है और आपको पता ही नहीं चलता कि यह 5एमएम से कम का प्लास्टिक जो नॉनबायोडिग्रेडेबल है| जिसका कुछ नहीं होगा यह आपके शरीर में एंट्री कर चुका है|मतलब आप सोच कर देखिए कि हमारी जो नाक के कांटे में छोटा सा जो मोती लगता है ना उससे भी छोटा लेवल का 5 एमएम से भी छोटा प्लास्टिक है आंखों से देखना मुश्किलहै इसको दो भागों में बांट सकते हो प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक और द्वितीयक माइक्रोप्लास्टिक ये वो माइक्रोप्लास्टिक है|
जो माइक्रोफाइबर कपड़े वस्त्रों मेंउपयोग में लिए जाते हैं या फिर दूसरी तरफजो द्वितीय माइक्रोप्लास्टिक है जो पानी की बोतल से निकल कर के पर्यावरणीय प्रदूषण बनकर के समाज में आते हैं यानी कि माइक्रोप्लास्टिक अगर हम नेशनल ओशियन एट मॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के हिसाब से पता करें तो ये 5 एमएम या उससे भी छोटेप्लास्टिक के टुकड़े हैं और यह रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे कपड़े सिगरेट कॉस्मेटिक आदि में मौजूद रहते हैं| ये इतने छोटे होते हैं कि बिना मैग्नीफाइंग ग्लास के इन्हें देखना मुश्किल होता है उम्मीद है कि आप समझ रहे हो|
अमेरिकी प्लास्टिक ओसन एनजीओ की मानना है कि हर व्यक्ति प्रतिदिन पीने के पानी के अंदर इतना प्लास्टिक कंज्यूम कर रहा है| लोग हर साल माइक्रोप्लास्टिक के पार्टिकल्स को निगल रहे हैं इससे आप अंदाजा लगाकर देखिए हर साल हल्का हाल यह है तो उम्मीद है कि अब आपको यह बात समझमें आ गई होगी 2022 में पहली बार इंसान के रक्त में माइक्रोप्लास्ट पता चला था खून कैसे पहुंचा होगा तो खानपान से पहुंचा होगा और शरीर में पहुंच गया|