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अचानक Google पर सर्च होने लगा कंधार हाईजैक

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अचानक Google पर सर्च होने लगा कंधार हाईजैक

हाल ही में इंटरनेट पर ‘कंधार हाईजैक’ सबसे ज्यादा सर्च किया जाने लगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में इस हाईजैक से संबंधित एक सीरीज रिलीज हुई है। मैं आपको वे सारे तथ्य बताऊंगा जो उस समय हुए थे। यह घटना भारत के लिए और दुनिया के विमानन क्षेत्र में सिक्योरिटी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण थी। भारत का एक यात्री विमान आतंकियों द्वारा हाईजैक किया गया था और आतंकियों की रिहाई के लिए समझौता हुआ था।

बात है इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर IC 814 के बारे में। यह एक एयरबस A300 था जो त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, काठमांडू से दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए 24 दिसंबर 1999 को उड़ान भरी थी। फ्लाइट नई दिल्ली आने वाली थी लेकिन यह सीधे लाहौर, पाकिस्तान के लिए निकल गई। पाकिस्तान ने इसे तेल भरने की इजाजत नहीं दी, इसलिए यह लौटकर अमृतसर, भारत में रुकी। अमृतसर में तेल भराया गया और फिर पाकिस्तान ने इसे फिर से लैंड करने नहीं दिया। यह रात को अफगानिस्तान के काबुल पहुंची, लेकिन वहां की खराब लाइटिंग के कारण उतर नहीं पाई। इसके बाद यह दुबई पहुंची, जहां एक यात्री की मृत्यु हो चुकी थी। दुबई में शव और कुछ महिलाओं को उतारा गया, फिर यह अफगानिस्तान के कंधार के लिए उड़ान भरी।

कंधार में विमान रुक गया और यहां पर आतंकियों ने अपने मांगे रखीं। 24 दिसंबर 1999 की यह घटना है। फ्लाइट नई दिल्ली आनी थी जिसमें 176 यात्री और क्रू सवार थे। हाईजैकर्स ने लाहौर एयरपोर्ट की ओर मोड़ने को कहा और भारत ने पाकिस्तान से कहा कि उन्हें वहां उतरने दें, लेकिन पाकिस्तान ने इजाजत नहीं दी। विमान भारतीय सीमा में उतरा, लेकिन 30 मिनट बाद हाईजैकर्स ने यात्री रूपन कातिल की हत्या कर दी और दोबारा लाहौर की ओर बढ़ गए। पाकिस्तान ने तब विमान को लैंड करने की मंजूरी दी और फ्यूल भरने के बाद यह काबुल के लिए निकला।

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काबुल और कंधार में रात के वक्त लाइटिंग ठीक न होने के कारण इसे दुबई डाइवर्ट कर दिया गया। दुबई में 25 यात्रियों की रिहाई हुई और शव को उतारा गया। फिर यह फ्लाइट अफगानिस्तान के लिए उड़ाई गई और कंधार में लैंडिंग की। भारतीय अधिकारियों ने आतंकियों से बातचीत शुरू की, जिनकी मांग थी मौलाना मसूद अजहर और अन्य आतंकियों की रिहाई। अंत में तीन आतंकियों की रिहाई और 20 करोड़ डॉलर की फिरौती मांगी गई।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए आतंकियों की मांग मान ली और तीन आतंकियों को रिहा किया गया। इनमें मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर, और अहमद उमर सईद शेख शामिल थे। इसके बाद 31 दिसंबर को पैसेंजर्स की रिहाई हुई। मसूद अजहर ने जयश-ए-मोहम्मद नाम का आतंकी संगठन बनाया और कई बड़े हमले किए, जिनमें पुलवामा हमला भी शामिल है। उमर सईद शेख को अमेरिका ने डेनियल पर्ल की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया। मुश्ताक जरगर अभी भी पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहा है।

 इस घटना से भारत को यह सिखने को मिला कि आतंकियों के सामने झुकना खतरनाक हो सकता है। यह घटना भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और दर्शाती है कि आतंक के सामने कड़े कदम उठाने चाहिए। इसके बाद की घटनाओं ने साबित किया कि आतंकियों के हौसले और बढ़ गए।

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