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हिज़्बुल्लाह के 250 रॉकेट हमले इजराइल पर सबसे बड़े हमले की दास्तान

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हिज़्बुल्लाह के 250 रॉकेट हमले इजराइल पर सबसे बड़े हमले की दास्तान

इजराइल समाचार में चर्चा करने वाले हैं, क्योंकि बहुत दिन से शांत चल रही थी इजराइल में और इजराइल की जो शांति है, वह इन धमाकों के साथ खत्म हो गई है। इजराइल की न्यूज़ आपने आखिरी बार तब सुनी थी जब इजराइल का ईरान पर हमला हुआ था। पहले ईरान वालों ने इजराइल पर हमला किया था, बदले में इजराइल ने ईरान पर कर दिया था। उसके बाद यहां के समाचार बंद हो गए थे, रशिया-यूक्रेन चल रहा था। लेकिन आज की सुर्खियां बन रही हैं कि हिज़्बुल्लाह ने 250 रॉकेट दागे हैं इजराइल पर।

कहा जा रहा है कि जब से इनके बीच में संघर्ष शुरू हुआ है, अब तक सबसे ज्यादा दागे गए रॉकेट्स में से हैं। ठीक है, हमारे लिए 250 हो या 350, फर्क नहीं पड़ता। हर दिन कुछ न कुछ सुनने को मिलता ही है। इंडियन क्रिकेट टीम की तरह हर दिन कोई न कोई मुकाम हासिल होते हैं। नेतन्याहू को चिंता इस बात की नहीं है कि उनके ऊपर हमले हो गए, 250 से ज्यादा मिसाइल और ड्रोन आकर गिरे। ये हमले 7 अक्टूबर 2023 से 13 माह में अब तक के सबसे बड़े हमले के रूप में गिने जा रहे हैं। ये हमले तेल अवीव, जो इजराइल की राजधानी है, वहां के खुफिया ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए हैं।

पूरे इजराइल में कुछ इस प्रकार से सायरन बज रहे हैं। इन सायरन की तस्वीरें आप यहां पर बजते हुए मैप में देख सकते हैं, यानी पूरे इलाके में सायरन बज रहे हैं। कुछ इस प्रकार से बम धमाके हुए। इसका मतलब यह है कि जो मिसाइलें चलीं वो जमीन तक हिट हुईं, आयरन डोम नहीं बचा पाया। ये जलती हुई तस्वीरें जो दिख रही हैं, ये टूटे हुए खंडहर दिखा रहे हैं। ये सब इजराइली डिफेंस फोर्सेस ने डाला है कि हिज़्बुल्लाह ने हमारे ऊपर रॉकेट दागे और उनकी वजह से जो तस्वीरें आईं, वो कुछ ऐसी हैं।

निश्चित ही इजराइल के लिए बड़ा सेटबैक है। नसरुल्लाह मरने के बाद भी हिज़्बुल्लाह सक्रिय है, यह अपने आप में बड़ा सेटबैक है। अचानक ऐसा क्या हुआ कि इन्होंने हमला किया? असल में इजराइल पिछले सात दिन से लगातार बेरूत पर हमले कर रहा था, यानी लेबनान में हमले कर रहा था। ये जो हमले हुए हैं, पेटा टिकवा पर हुए हैं और सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया गया है। इजराइल पिछले सात दिन से लेबनान पर हमले कर रहा था, और हिज़्बुल्लाह के प्रवक्ता मोहम्मद अफीफ और 63 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इन मरे हुए लोगों के बदले में ये हमले हुए।

तेल अवीव जो कि लेबनान से काफी दूर है, वहाँ टारगेट किया गया है। गाज़ा के नजदीक और तेल अवीव के नजदीक पेटा टिकवा पर मिसाइलों से हमले हुए। ये तमाम सुर्खियां हैं जो बताती हैं कि इजराइल ने बेरूत पर हमले किए तो कितना नुकसान हुआ। लेबनान की राजधानी बेरूत पर सात दिन से हमले चल रहे थे, जिसमें 63 के आसपास लोग मारे गए थे। उनमें कुछ हिज़्बुल्लाह के भी थे। उनकी बदले की कार्रवाई आज हुई। हिज़्बुल्लाह का आत्मविश्वास भी बढ़ा है कि हमने गोले चला दिए, इजराइली उनको नेतन्याहू नहीं बचा पाए।

हिज़्बुल्लाह ने अपने आत्मविश्वास में आगे बढ़ते हुए बताया कि देखो हमने ड्रोन उड़ाए, मिसाइलें दागीं, ये सब। यह दिखा रहे हैं कि हल्के में मत लेना, दिया बुझने से पहले बहुत तेज़ फड़फड़ाता है। हिज़्बुल्लाह ने मिसाइलें चलाईं, बढ़िया नुकसान पहुंचाया। दुनिया के अखबारों में खबर छपने लगी कि हिज़्बुल्लाह इजराइली मिसाइलों की कॉपी यूज़ कर रहा है। यह हेडलाइन इजराइल की नींदें उड़ा दीं। हिज़्बुल्लाह ने इजराइली मिसाइलों की कॉपी बनाकर उन्हीं के ऊपर फेंकना शुरू कर दिया, जिसे रिवर्स इंजीनियरिंग कहते हैं।

रिवर्स इंजीनियरिंग करके हिज़्बुल्लाह ने मिसाइल बना ली। खबरें निकलकर आ रही हैं कि हिज़्बुल्लाह ने इजराइली मिसाइलों की कॉपी कर ली है। 2006 में इजराइल ने लेबनान पर जो मिसाइलें फेंकी थीं, उन मिसाइलों को हिज़्बुल्लाह ने रिवर्स इंजीनियरिंग करके बना लिया है। हिज़्बुल्लाह ने स्पाइक एंटी टैंक मिसाइल, जो 2006 में लेबनान युद्ध के दौरान यूज़ हुई थी, उसकी कॉपी बना ली है और उसे अलमास नाम दिया है। अलमास का अर्थ होता है डायमंड और इसे 10 मील तक मार करने के लिए बनाया है।

हिज़्बुल्लाह एक शिया आतंकी समूह है और इसे ईरान का समर्थन प्राप्त है। ईरान से हिज़्बुल्लाह के आतंकी मिसाइलें उठाकर लाते थे और ईरान को भेज देते थे। ईरान इन्हें रिवर्स इंजीनियरिंग करके बना देता था। यह अलमास मिसाइल सिस्टम 10 किमी तक मार सकता है। यह एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल की खासियत यह है कि ये जहां पर हीट देखता है, वहीं जाकर फटता है। इजराइली सेना जो लेबनान में घुस रही है, उसी को मार रहा है। इसकी लेंथ लगभग 1100 एमएम के आसपास है। यह थर्म इंफ्रारेड होमिंग और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल गाइडेंस के जरिए अटैक करने में कामयाब हो रहा है।

रिवर्स इंजीनियरिंग की गई है इजराइल की एक एंटी टैंक मिसाइल जिसका नाम स्पाइक था, उसे ईरान ने बनाया है। 2006 के युद्ध में जब इजराइल और लेबनान के बीच संघर्ष हुआ था, तब हिज़्बुल्लाह बहुत बड़ा आतंकी समूह नहीं था। बॉर्डर पर इजराइल के कुछ सैनिक गश्त कर रहे थे, उनके ऊपर गोलीबारी की गई थी। तीन सैनिक मारे गए थे और दो को बंधक बना लिया था। इजराइल ने बदले की कार्रवाई में हमले किए। इस दौरान इजराइल के 6000 घर दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। 2006 के युद्ध में इजराइल ने 7000 बम फेंके थे, उनमें से एक स्पाइक मिसाइल भी थी। 119 इजराइल के सैनिक मारे गए थे और 43 नागरिक मारे गए थे।

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अगस्त में युद्ध विराम हुआ जब सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कराया कि लड़ो मत, शांत हो जाओ। हिज़्बुल्लाह तब पहचान में आया था कि उसने इजराइल के साथ इतनी दिक्कतें खड़ी कर दीं। इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद हिज़्बुल्लाह की प्रेजेंस को पहचान नहीं पाई। इजराइली मिसाइलों की कॉपी हिज़्बुल्लाह ने बना ली है और इसे अलमास नाम दिया है। लेबनान के हिज़्बुल्लाह के आतंकियों ने मिसाइलों को रिवर्स इंजीनियरिंग करके ईरान को भेजा और ईरान ने इसे रिवर्स इंजीनियरिंग करके बना दिया। इजराइल के लिए अब यह अलमास बहुत बड़ी चिंता का विषय बन चुका है।

लेबनान अब इनका प्रोडक्शन करता है। ईरानियन सप्लाइड अलमास मिसाइल पहली बार हिज़्बुल्लाह ने इस साल की शुरुआत में यूज की थी। दुनिया में टेक्नोलॉजी नहीं खरीद सकते तो कॉपी कर लो। लेबनान अब आगे निकल आया है। यही इजराइल की चिंता है। रिवर्स इंजीनियरिंग कोई मजाक चीज नहीं है। औद्योगिक क्रांति भले ही वेस्टर्न वर्ल्ड से शुरू हुई हो, लेकिन जापान, चाइना, साउथ कोरिया का उठना रिवर्स इंजीनियरिंग ही माना जाता है। रिवर्स इंजीनियरिंग के माध्यम से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का अधिकार मांगते हैं। दुनिया भर के देशों से भारत जब टाई अप करता है, तो असल मायने में हम उनसे अधिकृत रूप से रिवर्स इंजीनियरिंग का अधिकार मांगते हैं।

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