आप सभी को मालूम है कि भारतीय रेलवे में असिस्टेंट लोको पायलट की वैकेंसी साल की शुरुआत में 5696 पदों के लिए आई हुई थी। हमने इस पर सेशन भी किया था और यह जानकारी दी थी कि इतनी कम वैकेंसी क्यों निकाली हैं, जबकि रेलवे के अंदर इतने पद खाली हैं। हमने बताया था कि रेलवे के पास पेंशन देने के पैसे नहीं हैं, इसलिए नई भर्तियां नहीं आ पा रही हैं। परिणाम यह निकला कि देश ने दुर्भाग्यपूर्ण हादसे देखे, जिनमें बालासौर हादसा और हाल ही में कंचनजंगा एक्सप्रेस का हादसा प्रमुख है।
जब इन हादसों को देखा, तो उनमें कर्मचारियों की कमी बहुत बड़ा कारण बनकर निकली। हमने इस पर भी सेशंस किए और बताया कि किस प्रकार से देश में हो रहे हादसों में कर्मचारियों की कमी एक बड़ा मामला बन रही है।
वेस्ट बंगाल के ट्रेन एक्सीडेंट के बारे में भी हमने सेशन किया और बताया कि रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड कब तक कमियों पर पर्दा डालता रहेगा। लोको पायलेट्स की कमी एक बहुत बड़ा मुद्दा बन चुकी है।

अब, इसी कमी को दूर करते हुए, भारतीय रेलवे ने 13000 नए असिस्टेंट लोको पायलट वैकेंसी की घोषणा की है। पहले लगभग 5700 लोको पायलट के पद थे, जो अब बढ़कर 18792 हो गए हैं। इन पदों की संख्या बढ़ाकर, परीक्षा आयोजित होने से लेकर परिणाम और बाकी कार्यक्रमों को 6 महीने में पूरा करने का निर्णय लिया गया है।
रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड के द्वारा बढ़ी हुई पदों की संख्या विद्यार्थियों के लिए बड़े फायदे की रहेगी। सेंट्रल रेलवे ने 1783 पद असिस्टेंट लोको पायलट के अपनी तरफ से निकाले हैं।
रेलवे में हाल ही में भर्ती हुई महिलाएं सुविधाओं के विकास की कमी का सामना कर रही हैं। रेलवे इंजन में महिलाओं के लिए शौचालय जैसी सुविधाएं नहीं हैं, जिसके चलते उन्हें बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
रेलवे के लोको पायलेट्स की हालत खराब होना बड़े एक्सीडेंट्स का जिम्मेदार कारक बनकर निकल रहा है।