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सीरिया में संकट फिर गहराया भारत से मदद की गुहार

सीरिया में संकट फिर गहराया भारत से मदद की गुहार

सीरिया में संकट फिर गहराया भारत से मदद की गुहार

यहाँ सीरिया के वर्तमान संकट पर चर्चा की गई है, जहाँ गृहयुद्ध अभी भी समाप्त नहीं हुआ है। हाल के दिनों में हुए संघर्ष में 1000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, और यह संख्या बढ़ रही है। मुख्य रूप से अलावी समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, जो बशर अल असद के समर्थक माने जाते हैं। इस समुदाय के कई लोग अब लेबनान भाग रहे हैं, जबकि कुछ ने भारत से मदद की अपील की है।

सीरिया का संकट और अलावी समुदाय पर हमला

सीरिया में बशर अल असद के सत्ता से हटने के बाद आतंकवादी गुट हयात तहरीर अल शाम (HTS) ने कई इलाकों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। HTS, जो पहले अलकायदा की एक शाखा थी, अब सुन्नी बहुल समुदाय का समर्थन प्राप्त कर रहा है और अलावी समुदाय को निशाना बना रहा है।
अलावी समुदाय सीरिया की कुल जनसंख्या का केवल 12% है, जबकि सुन्नी मुसलमानों की संख्या 76% है। बशर अल असद और उनके पिता के शासनकाल में अलावी समुदाय को सेना और नौकरशाही में उच्च पदों पर रखा गया था, जिससे सुन्नी समुदाय में असंतोष था। अब, HTS के शासन में, अलावी समुदाय पर अत्याचार किए जा रहे हैं, जिसमें हत्याएं, महिलाओं पर हिंसा, और संपत्ति लूटपाट शामिल हैं।

भारत से मदद की गुहार

सीरिया में जारी हिंसा के बीच अलावी समुदाय के कुछ लोगों ने भारत से सहायता की अपील की है। यह खबर NDTV के हवाले से सामने आई है। हालांकि, इस पर भारत सरकार की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

सीरिया में संकट फिर गहराया भारत से मदद की गुहार

रूस और अमेरिका की भूमिका

बशर अल असद को रूस का समर्थन प्राप्त था, लेकिन वर्तमान में रूस इस मामले पर चुप है। अमेरिका की ओर से भी सीरिया संकट में कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि वे इस संघर्ष में शामिल नहीं होंगे, हालांकि अमेरिका और यूरोप इस मामले पर नज़र बनाए हुए हैं।

सीरिया की मौजूदा स्थिति

अलावी समुदाय के लोग अपनी जान बचाने के लिए लेबनान की ओर भाग रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, किसानों और मजदूरों को भी मारा जा रहा है। HTS के शासन में सीरिया की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई है, क्योंकि तेल संसाधनों पर कुर्द लड़ाकों का कब्जा है और कोई बाहरी निवेश नहीं आ रहा है।

निष्कर्ष

सीरिया का संकट गहराता जा रहा है, और अल्पसंख्यक अलावी समुदाय पर गंभीर अत्याचार हो रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की उदासीनता से स्थिति और बिगड़ सकती है। इस संघर्ष में भारत की भूमिका क्या होगी, यह देखने वाली बात होगी।

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