रूस और यूक्रेन युद्ध सीरिया में रूस की हार और जेलेंस्की की रणनीतिक साझेदारी
रूस और यूक्रेन के बीच में लंबे समय से युद्ध चल रहा है, लेकिन इसमें अगर आपको यह जानकारी मिले कि रूस यूक्रेन से हार गया है, तो यह बात सुनने में थोड़ी दिक्कत देती है। लेकिन अगर आपको यह सुनने को मिले कि रूस सीरिया में हार गया है, तो यह बात थोड़ी सी सुनने में लगती है कि हां, कुछ तो रिलेवेंट हो सकता है। क्यों ऐसा हो सकता है? क्योंकि थोड़े दिन पहले ही सीरिया में बशर अल असद की सरकार जाते हुए देखी है। फिर दिमाग दौड़ता है कि रूस ने कैसे हार मान ली होगी यूक्रेन से? समझ से परे है। तो इसीलिए आज का मामला आपको विस्तार से बताने हम ले आए हैं। तो चलिए शुरू करते हैं। रूस का सीरिया में हार जाना चर्चा में क्यों है? क्योंकि जेलेंस्की को लगता है कि उन्होंने इसमें बड़ा रोल प्ले किया है। सीरिया के अंदर तख्ता पलट हुआ है। लगभग 50 साल से शासन कर रहा असद परिवार भाग गया है और उसके स्थान पर विद्रोहियों ने शासन कब्जे में ले लिया है। सीरिया कहां है? तो मिडिल ईस्ट में इजराइल के उत्तर में स्थित मेडिटरेनियन सी के साथ तट साझा करने वाला देश सीरिया है, जो लेबनान के साथ भी सीमा साझा करता है। इस सीरिया की राजधानी दमस्क है। हाल ही में यहां पर 50 साल से चली आ रही बशर अल असद की सरकार, जो ईरान समर्थित और रूस समर्थित थी, वह सरकार पलट गई है और उसके स्थान पर विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया है।
मैप पर ध्यान से देख लें, तो आप समझेंगे कि भारत से जब पश्चिम की तरफ चलते हैं, तो मिडिल ईस्ट को क्रॉस करते हुए सीरिया के अंदर आपकी एंट्री होती है। इसी सीरिया के अंदर आज की हमारी चर्चा केंद्रित है। यहां पर बशर अल असद और उनके पिताजी का लंबे समय से कालखंड रहा। लेकिन जब यह जुलानी आए, जो कि अमेरिका की नजर में एक आतंकी थे, विद्रोही थे, जिस पर 10 मिलियन डॉलर की बाउंट रखी हुई थी। इन्होंने जब विद्रोह किया, तो इन्होंने सत्ता बदल डाली। सत्ता बदल डाली, वह तो ठीक है, लेकिन इसी बदली हुई सत्ता से मिलने के लिए यूक्रेन के फॉरेन मिनिस्टर पहुंचे और उन्होंने कहा कि हम आपके साथ स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप करना चाहते हैं। कूटनीतिक साझेदारी करना चाहते हैं।
यूक्रेन का क्या फायदा है इसमें? अगर आप सोचें तो यूक्रेन और सीरिया का कॉमन दुश्मन कौन है? जेलेंस्की रूस से कितने प्रताड़ित हैं, वह तो जग जानता है। ऐसे में तस्वीरें बड़ी मायने रखती हैं। जुलानी के साथ यानी कि सीरिया के वो विद्रोही, जो इस समय आकर के नेता बन चुके हैं, उनके साथ यूक्रेन के विदेश मंत्री का यह भव्य स्वागत और यह सेरेमनी। आप यहां देख सकते हैं, सुर्खियां निकलती हैं, ट्वीट्स बाहर आते हैं। 30 तारीख को मुलाकात होती है। मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन अफेयर्स, जो यूक्रेन में है, वह अपनी एंबेसी ओपन करती है। यहां पर बाकायदा यूक्रेन का झंडा फहराया जाता है। लाम दमर जेलेंस्की का ट्वीट बाहर आता है, और वह कहते हैं कि आज मेरे कहने पर यूक्रेन के विदेश मंत्री जाकर दमस्क पहुंचे और वहां जाकर के बातचीत की। हम लोग वहां पर 500 टन गेहूं का आटा भिजवा रहे हैं।
यूक्रेन, जिसे दुनिया में गेहूं का कटोरा कहा जाता है, ऐसे में बोले हम अपनी तरफ से 500 टन गेहूं बिचवा रहे हैं, आटा भिजवा रहे हैं। सीरिया में मानवीय करुणा दिखाई देती है। इसमें एक कॉमन फैक्टर निकल कर आता है कि यूक्रेन खुद भी बहुत दुख भुगता है। अब जब खुद दुख भुगता है, तो सीरिया वालों को यह अपनी तरफ से कहीं ना कहीं सहानुभूति देने गया है। अब कॉमन दुश्मन के बारे में जान लेते हैं। आखिरकार जेलेंस्की इनके साथ कौन सा प्यार साझा करते हैं जिसके चलते लोग यह कह रहे हैं कि सीरिया और यूक्रेन स्ट्रेटेजिक टाई करेंगे। बसर अल असद जिनकी 50 साल तक यहां सरकार रही, उनके पिता और बशर अल असद, दोनों ने सीरिया पर शासन किया जब यहां पर कई तरह के ग्रुप्स थे, जैसे कुर्द, आर्मेनियन, असीरियंस, ईसाई, ड्रूज, अलवाइट्स। इन सबके बीच में सीरिया के अंदर असद परिवार की सरकार रही।

रूस खुद युद्ध लड़ रहा है यूक्रेन के साथ एक फ्रंट पर। ऐसे में उसे अपना फ्रंट बचाना है कि अपने देश को। रूस ने इस बार अपने सैनिकों की संख्या सीरिया में कम कर दी और कहा कि देखो, तुम्हारे लिए मेरे लोग जान नहीं देंगे, तुम अपनी जान बचा कर के निकल लो। एक समय पर 63,000 रूसी सैनिक सीरिया में हुआ करते थे। 39,000 के आसपास यहां पर रशियन एयरफोर्स के सॉर्टीज थे। 86,000 मिलिटेंट्स को रूस ने एयर स्ट्राइक्स के माध्यम से मारा था। 1,21,000 टेररिस्ट्स को टारगेट किया गया था और डिस्ट्रॉय किया गया था रूस के द्वारा। रूस ने सीरिया में जिनको टेररिस्ट कहा था, वे वास्तव में विद्रोही थे, जिन्हें सरकार के खिलाफ जाना था। लेकिन रूस ने असद का साथ देते हुए इन सब विद्रोहियों पर खूब गोले बरसाए और उनमें हजारों की संख्या में सीरियंस मारे गए।
रूस ने सीरिया में स्थिति को कंट्रोल करने के लिए अपने हाईटेक एयरक्राफ्ट तैनात करके रखे। आज भी यह रूसी झंडे के निशान सीरिया में बने हुए रूसी बेसेस पर दिख रहे हैं। सीरिया को सरकार में बनाए रखने के लिए बशर अल असद को साथ देने के लिए पुतिन ने लंबा संघर्ष किया। लेकिन अभी हाल ही में, 2024 के अंतिम दिनों में, जब विद्रोहियों ने अलेप शहर के ऊपर कब्जा करना शुरू किया, तो रूस ने कुछ दिनों तक तो विद्रोहियों पर गोलीबारी की, लेकिन जब विद्रोही बहुत ज्यादा अग्रसर हुए, तो रूस वहां से चुपचाप निकल गया। यह कुछ तस्वीरें हैं, जिनमें रूसी सैनिक पूरी तरह से विद्रोहियों के द्वारा सरेंडर हो गए। विद्रोहियों के पास इतने वेपन कहां से आए? इतना सामर्थ्य कहां से आया कि रूस को भी नहीं टिकने दिया?
जेलेंस्की के लिए बहुत जरूरी था कि रूस जितने फ्रंट्स पर दुनिया में लड़ाई लड़ रहा है, वह सीरिया में हारे। इससे रूसी सैनिकों का मनोबल टूटेगा। पुतिन को हारता हुआ देखकर उन्हें लगेगा कि हम लोग पिछड़ रहे हैं। इसमें अमेरिका का भी बड़ा कंट्रीब्यूशन है। अमेरिका असल मायने में जहां रूस है, वहां उसके खिलाफ खड़ा है। अगर आपको ध्यान हो, तो यूक्रेन-रूस युद्ध के शुरू होते ही यूक्रेन को बड़ी संख्या में बायकरतार ड्रोन तुर्की ने उपलब्ध कराए थे। तुर्की ने यूक्रेन में ही ड्रोन्स बनवाना शुरू कर दिया था। रूस को बहुत नुकसान हुआ। पुतिन को अपनों से बहुत नुकसान हुआ है क्योंकि तुर्की को वह अपना समझते थे।
तुर्की की स्थिति यह है कि एक तरफ वह नाटो के साथ है, तो दूसरी तरफ ब्रिक्स कंट्रीज के साथ होने की कोशिश करता है। वह एससीओ के अंदर मेंबरशिप पाने की कोशिश करता है। तुर्की के दक्षिण में एक जगह है, जो कि सीरिया के नाम से आप जानते हैं। असल में सीरिया का बड़ा हिस्सा असद कंट्रोल नहीं करते थे। सीरिया का उत्तरी हिस्सा और तुर्की का दक्षिणी हिस्सा कुर्द लड़ाके कंट्रोल करते हैं, जिन्हें कुर्दिस्तान चाहिए। तुर्की को कुर्दिस्तान के कारण बड़ी नफरत है। कई बार तुर्की इस क्षेत्र पर कब्ज़ा करते-करते अपने टेरिटरी को सीरिया के अंदर बड़ा कर लिया है।