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भोपाल गैस त्रासदी के कचरे को जलाने पर विवाद कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी का जवाब

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भोपाल गैस त्रासदी के कचरे को जलाने पर विवाद कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी का जवाब

भोपाल गैस त्रासदी का दर्द:
1984 की भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल हो चुके हैं, लेकिन इसका दर्द आज भी जिंदा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस घटना में 5,000 लोगों की मौत हुई थी, जबकि सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह संख्या 10,000 से भी अधिक थी। इस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से बचा हुआ खतरनाक कचरा आज भी चिंता का विषय बना हुआ है।

विवाद की जड़:
2 जनवरी 2025 को, भोपाल से 333 मेट्रिक टन कचरा 12 कंटेनरों में धार जिले के पीथमपुर लाया गया। यहां इस कचरे को जलाने की योजना है, जिसे लेकर स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। विरोध का कारण है कि इस कचरे को जलाने से प्रदूषण और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

प्रदर्शन का चरम:
प्रदर्शनकारियों के बीच भय और गुस्सा इतना बढ़ गया कि दो लोगों ने खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। इस घटना के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं, पीथमपुर में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं, जिसके बाद लाठीचार्ज किया गया।

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प्रशासन की सफाई:
मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि बिना जनता को भरोसे में लिए कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। सरकार ने यह भी दावा किया कि 25 साल से अधिक पुराना कचरा अब खतरनाक नहीं रहता और इसका निष्पादन जरूरी है।

कांग्रेस का हमला:
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मामले में सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार विरोध करने वालों की आवाज दबा रही है और लाठीचार्ज कर लोकतंत्र का गला घोंट रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संवेदनहीन हो गए हैं।

बीजेपी का जवाब:
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने कांग्रेस के आरोपों को राजनीतिक स्टंट बताया। उन्होंने कहा कि यह कचरा अब खतरनाक नहीं है और इसका सुरक्षित तरीके से निपटारा किया जाएगा।

सुरक्षा के सख्त इंतजाम:
कचरे को भोपाल से पीथमपुर तक ले जाने के लिए 250 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। पुलिस ने कचरे से भरे कंटेनरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त बंदोबस्त किए।

जनता का डर:
पीथमपुर की 1.75 लाख की आबादी को आशंका है कि कचरा जलाने से उनकी सेहत पर असर पड़ेगा। सरकार ने भरोसा दिलाया है कि बिना जनता की सहमति के कचरा नहीं जलाया जाएगा।

क्या होगा आगे?
अब यह देखना होगा कि सरकार जनता को कैसे भरोसे में लेती है और क्या कचरे के निष्पादन को लेकर कोई समाधान निकलता है।

इस मामले में आप क्या सोचते हैं? अपनी राय हमें कमेंट के जरिए बताएं।

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