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भारत के आर्थिक उदारीकरण के जनक डॉक्टर मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि

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भारत के आर्थिक उदारीकरण के जनक डॉक्टर मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि

भारत ने अपने पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक उदारीकरण के जनक डॉक्टर मनमोहन सिंह को खो दिया है। वे भारत के चौथे सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री थे। आपके प्रयासों से ही भारत में विदेशी कंपनियों का आगमन सुगम हुआ और आज भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है। आज पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को इसलिए याद किया जा रहा है क्योंकि आपने भारत में 10 साल तक प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की।

आपने अपने कार्यकाल में ऐसे सुधार किए जो आज भी याद किए जाते हैं। कल रात आपने अपनी अंतिम सांस ली। आज का यह सत्र आपके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित किया गया है और आपके द्वारा देश को दी गई उपलब्धियों को याद करने का समय है। इसी क्रम में, हम डॉक्टर मनमोहन सिंह जी की जीवनी को याद करते हुए इस सत्र को आगे बढ़ा रहे हैं।

आपका जन्म 26 सितंबर 1932 को हुआ था और 26 दिसंबर 2024 को आपने अंतिम सांस ली। भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्रियों की सूची में आप चौथे स्थान पर हैं। आपने 10 साल और चार दिन तक प्रधानमंत्री का पद संभाला। एम्स में रात 9:51 पर आपने अंतिम सांस ली।

आपको कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं। आपकी अंतिम यात्रा की तस्वीरें भी सामने आईं। हमने इस बारे में तुरंत ट्वीट करके जानकारी दी थी। देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, विपक्ष के नेता अमित शाह, डॉक्टर जयशंकर समेत तमाम नेताओं ने आपकी मृत्यु पर शोक व्यक्त किया। भारत की क्रिकेट टीम, जो इस समय ऑस्ट्रेलिया में खेल रही है, आज काले पट्टे के साथ खेल रही है। साथ ही, भारत में सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है, जिसके चलते राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।

आज हम पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के बारे में विस्तार से जानेंगे। आपका जन्म अविभाजित भारत में हुआ था। आप पाकिस्तान के कब्जे वाले पंजाब से थे और अपने परिवार समेत भारत आ गए थे। प्रारंभिक शिक्षा आपकी पंजाब विश्वविद्यालय में हुई, जहां से आपने स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। इसके बाद आप कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी करने चले गए और फिर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल की उपाधि प्राप्त की।

आपका करियर अर्थशास्त्र के शिक्षक के रूप में शुरू हुआ। शुरुआत में पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्राध्यापक के रूप में कार्य किया। इसके अतिरिक्त, आपने संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (अंकटाड) के सचिवालय में भी सलाहकार के रूप में कार्य किया। 1987 से 1990 तक आप जिनेवा में साउथ कमीशन के सचिव रहे।

आपकी उपलब्धियों में सबसे प्रमुख 1991 का कार्यकाल है। आपने वित्त मंत्रालय में सचिव, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डायरेक्टर, प्लानिंग कमीशन के हेड और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार के रूप में भी काम किया। 1991 में जब आपको वित्त मंत्री बनाया गया, उस समय देश आर्थिक संकट से गुजर रहा था। पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ चुकी थीं और देश के पास केवल कुछ हफ्तों का पेट्रोलियम क्रूड मंगाने के लिए ही पैसा था। गल्फ वॉर के चलते भारतीय श्रमिक पैसा नहीं भेज पा रहे थे।

ऐसी विकट परिस्थितियों में, नरसिंहा राव की सरकार ने आपको वित्त मंत्री के रूप में चुना। आपने वित्त मंत्री बनने के बाद लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन पर काम किया और देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोल दिया। आपने कस्टम ड्यूटी घटाकर 150% कर दी और प्राइवेट बैंकों को खोलने की अनुमति दी। लाइसेंस राज को खत्म किया और भारत में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट आने लगा। 1991 में 1 बिलियन डॉलर का फॉरेक्स था और आज 650 बिलियन डॉलर का फॉरेक्स है। आपके प्रयासों से आईटी, टेलीकॉम और सिविल एविएशन ने जबरदस्त वृद्धि की।

आपने 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्य किया। 2004 में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद के लिए आपका नाम प्रस्तावित किया। आपने अपने पहले कार्यकाल में सफलतापूर्वक 5 साल पूरे किए। दूसरी बार चुनाव में जीत के बाद आप फिर से प्रधानमंत्री बने।

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हालांकि, आपका दूसरा कार्यकाल कई घोटालों के उजागर होने के कारण उतना सफल नहीं रहा। टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला, सीएजी की रिपोर्ट में घोटाला, स्पेक्ट्रम घोटाला, मनी लांड्रिंग, अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला जैसे कई मामले सामने आए।

आपने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि हो सकता है आने वाले समय में मीडिया या इतिहासकार आपके प्रति उदार रहें। 8 अगस्त 2023 को आप संसद में आखिरी बार देखे गए। आप लंबे समय तक राज्यसभा के सांसद रहे और अपने विचारों से लोगों को प्रेरित किया।

आपके बॉडीगार्ड असीम अरुण ने कहा कि आप अपनी सुरक्षा को केवल बाहरी साधन मानते थे और अपनी मारुति से ही खुश रहते थे। दुनिया भर से आपके प्रति संवेदना संदेश आ रहे हैं। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी आदि से। भारत आपको एक सफल प्रधानमंत्री के रूप में याद रखेगा और आपके आर्थिक उदारीकरण को याद करते हुए देश तरक्की करेगा।

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