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पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या विस्तृत घटना क्रम और प्रकरण की जानकारी

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पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या विस्तृत घटना क्रम और प्रकरण की जानकारी

रविवार, 5 जनवरी की देर रात, पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मुख्य आरोपी और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उसे बीजापुर लाया जा रहा है, जहां अदालत में पेशी और एसआईटी टीम द्वारा पूछताछ की जाएगी। सुरेश चंद्राकर की गिरफ्तारी से पहले इस मामले में तीन अन्य आरोपियों—रितेश चंद्राकर, दिनेश चंद्राकर और महेंद्र रामटेके—को 4 जनवरी को हिरासत में लिया गया था।

घटना का विवरण और संदर्भ

32 वर्षीय मुकेश चंद्राकर छत्तीसगढ़ के बीजापुर के निवासी थे। उन्होंने बस्तर जंक्शन नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाया और नक्सल प्रभावित इलाकों की ग्राउंड रिपोर्टिंग करते थे। 25 दिसंबर 2024 को मुकेश ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें गंगाल और हिरोली गांवों को जोड़ने वाली नई सड़क में गड्ढों का मुद्दा उठाया था। यह सड़क 10 करोड़ रुपये की लागत से ठेकेदार सुरेश चंद्राकर द्वारा बनवाई गई थी।

मुकेश की रिपोर्ट के बाद लोक निर्माण विभाग ने सुरेश चंद्राकर पर जांच बिठाई। आरोप है कि जांच और संभावित कार्रवाई से नाराज सुरेश ने मुकेश से संपर्क करने की कोशिश की। जब मुकेश ने मिलने से इनकार कर दिया, तो सुरेश के भाई रितेश ने दबाव बनाया, और 1 जनवरी 2025 को मुकेश मिलने के लिए तैयार हो गए।

उस रात मुकेश आखिरी बार सीसीटीवी फुटेज में जीवित देखे गए। 3 जनवरी की शाम, पुलिस ने छत पारा बस्ती स्थित सुरेश चंद्राकर के घर के सेप्टिक टैंक से मुकेश की लाश बरामद की। शव के साथ क्रूरता के निशान थे, और पोस्टमॉर्टम में सामने आया कि उनके सिर, गर्दन, कॉलर बोन और अन्य अंगों पर गंभीर चोटें थीं।

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हत्या का घटनाक्रम

1 जनवरी को मुकेश, रितेश से मिलने छत पारा बस्ती पहुंचे। वहां दोनों ने खाना खाया और फिर सड़क निर्माण को लेकर बहस हुई। रितेश ने महेंद्र रामटेके के साथ मिलकर लोहे की रॉड से मुकेश पर हमला किया। सिर, पेट, छाती और पीठ पर वार कर उनकी हत्या की गई। हत्या के बाद शव को सेप्टिक टैंक में डालकर ऊपर से कंक्रीट की मोटी परत बिछा दी गई।

हत्या के बाद, सुरेश हैदराबाद भाग गया, जबकि अन्य आरोपी बीजापुर और रायपुर में रहे। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

पोस्टमॉर्टम और जांच के निष्कर्ष

डॉक्टरों के मुताबिक, मुकेश की हत्या अत्यंत क्रूरता से की गई थी। उनकी गर्दन, कॉलर बोन, पसलियां, और सिर की 15 हड्डियां टूटी हुई पाई गईं। उनके लिवर के चार टुकड़े हो गए थे। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों ने इसे अपने करियर का सबसे भयावह मामला बताया।

मुख्य आरोपी और घटनास्थल की जानकारी

मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बड़े ठेकों और माइनिंग प्रोजेक्ट्स से जुड़ा है। वह छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ का राज्य उपाध्यक्ष भी है।

पीड़ित परिवार और न्याय की मांग

मुकेश के भाई यूकेश सोशल मीडिया पर न्याय की गुहार लगा रहे हैं और दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की बात कह रहे हैं। पत्रकारों के संगठनों ने भी इस हत्या के खिलाफ प्रदर्शन किया है।

निष्कर्ष

मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पत्रकारों की सुरक्षा और उनके काम से जुड़ी चुनौतियों को फिर से उजागर किया है। यह घटना न केवल पत्रकारिता के प्रति समाज की जवाबदेही की कमी को दिखाती है, बल्कि प्रशासन और राजनीतिक तंत्र की विफलताओं को भी रेखांकित करती है।

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