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दिल्ली प्रदूषण में फिर टॉप: गंभीर वायु गुणवत्ता संकट और सरकारों के आरोप-प्रत्यारोप

दिल्ली प्रदूषण में फिर टॉप गंभीर वायु गुणवत्ता संकट और सरकारों के आरोप प्रत्यारोप 212

दिल्ली प्रदूषण में फिर टॉप: गंभीर वायु गुणवत्ता संकट और सरकारों के आरोप-प्रत्यारोप

एक बार फिर हमारी दिल्ली बधाई की पात्र बनी है, हम फिर से टॉप कर गए हैं। किस चीज में टॉप कर गए? प्रदूषण में, साहब। जबरदस्त तरीके से टॉप मार गए हैं। हालत यह है कि हमारे यहाँ पर खुशी में वर्क फ्रॉम होम दे दिया गया है। मतलब हालत यह है कि आपको ऐसा लग रहा है कि यह कोई धुंध है जो आ चुकी है। असल मायने में पोल्यूशन ने अपने आप को इस तरह से दिल्ली को जकड़ लिया है कि दूर 150 मीटर से ऊपर तो विजिबिलिटी ही खत्म हो चुकी है। दिल्ली, जो कि ना जाने कितने करोड़ों रुपए का बजट इस बात पर खर्च कर चुकी है कि वह पॉल्यूशन मिटा रही है, ले देकर नवंबर 15 क्रॉस होते ही दिल्ली की सरकार दोषारोपण करने सामने चली आती है। पिछले जितने सालों से देख रहे हैं न्यूज़ को फॉलो कर रहे हैं, प्रदूषण में यह हाल हो चुका है कि सरकारें बड़ी बेशर्मी से एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप करती हुई चली आती हैं।

कुछ देर पहले ही दिल्ली की सीएम आतिशी जी ने आकर के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है और उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर भी उन्होंने बिल्कुल वैसे ही कहा कि साहब देखो, केंद्र सरकार ने यह नहीं किया और वो नहीं किया। अब केंद्र सरकार की तरफ से भी कोई आ ही जाएगा, जो आकर कह देगा कि साहब देखो दिल्ली ने यह नहीं किया, पंजाब ने यह नहीं किया। मुसीबत तो यह है कि आप और हम बधाई के पात्र हैं क्योंकि जिस तरह के माहौल में हम जी रहे हैं, यह माहौल देखकर दुनिया तो हम पर हंसती ही है। दुनिया के अंदर यह जो दम हम भर रहे हैं कि दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहे हैं, दुनिया के किसी ना किसी कोने में बैठा आदमी आपको देखकर मुस्कुरा रहा है कि वाह, प्रगतिशील राष्ट्र।

आज आपके यह हालात हैं कि तस्वीरें बयान कर रही हैं कि आपके यहाँ काम तक करने के लिए घर से बाहर निकलने पर मनाही है। न्यूज़ बन रही है कि वर्क फ्रॉम होम पर विचार किया जा रहा है दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में और ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदूषण बढ़ गया है। कहीं बाहर निकले तो उस प्रदूषण की चपेट से कहीं और ज्यादा बीमार आप ना हो जाएं। आवश्यक ना हो तो ट्रकों का संचालन बंद कर दिया गया है और साथ ही साथ स्कूल्स में कहा गया है बच्चों को कि वह पढ़ाई घर पर ही बैठकर करें तो बेहतर होगा। मतलब हालात यह हैं कि इस समय ग्रेप फोर एनफोर्स कर दिया गया है। ये ग्रेप फोर क्या होता है, यह भी हम बताएंगे। क्या-क्या लागू कर दिया गया, यह भी हम बताएंगे।

बच्चों की ऑनलाइन स्टडी शुरू करा दी गई है, जो आप कोरोना काल के अंदर फील कर रहे थे, वैसा कुछ दिल्ली को फिलहाल दे दिया गया है क्योंकि यहां का एयर क्वालिटी इस समय सीवियर प्लस कैटेगरी में चला गया है। 450 का करिश्माई आंकड़ा पार कर दिया है। अक्सर बढ़ते आंकड़े हमें शेयर मार्केट में खुशी देते हैं लेकिन यह बढ़ा हुआ आंकड़ा हमें इतनी चिंता दे रहा है कि पता नहीं हमने जिनके हाथों में शासन सौंपा है, वह हमारे जीवन की क्या कीमत लगा रहे हैं। हमारे जीवन की क्या कीमत हो सकती है, उसका अंदाजा इससे लगाइए कि 30 से 40 सिगरेट प्रतिदिन पिया जाए, इस तरह से काली हो गई है दिल्ली की हवा। यानी प्रति व्यक्ति इस तरह के पोल्यूटेड एनवायरमेंट में रह रहा है। दिल्ली में औसत एक क्यूआई 481 पार कर गया है।

दिल्ली प्रदूषण में फिर टॉप गंभीर वायु गुणवत्ता संकट और सरकारों के आरोप प्रत्यारोप

अब यह एक क्यूआई क्या है? हवा में अशुद्धि नापने का मंत्र है। मतलब दुनिया में जो अच्छे शहर हैं, वहां पर स्वच्छ हवा जहां है, वहां 100 से 50 के बीच में एयर क्वालिटी के अंदर पोल्यूशन होता है। पोल्यूशन जिन पोल्यूटेंट्स का होता है, दुनिया में जो सबसे एक्सट्रीम एंड्स हैं, वो एंड्स पूरी दिल्ली भुगत रही है। नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद, वहां पर एयर क्वालिटी का क्या हाल है? इससे अंदाजा लगाइए कि 10वीं और 12वीं को छोड़कर बाकी सभी क्लासेस को ऑनलाइन पढ़ने के लिए कहा गया है। 7 बजे द्वारका की एयर क्वालिटी बहुत जबरदस्त खराब थी, जिसके चलते फ्लाइट्स दो घंटे देरी से उड़ी हैं।

दिल्ली में सुबह 8 बजे की एयर क्वालिटी आपके सामने इन आंकड़ों से समझ में आता है कि हालात हवा के बहुत बुरे हो चुके हैं और यह एक दिन में नहीं हुए हैं, पिछले 6 दिन से यह आंकड़े चलते आ रहे हैं। परिणाम स्वरूप कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने आज यानी 18 नवंबर से सुबह 8 बजे से दिल्ली एनसीआर के अंदर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) जिसे ग्रेप कहते हैं, उसके चौथे फेज को लागू कर दिया है। एक बार के लिए आप तस्वीरें देखें, देखकर लगता है कि फॉग जम गया है। और ऐसे में इस जमे हुए फॉग को देखकर यह जो आपको फीलिंग आ रही है कि अत्यंत ठंड आ गई है, यह फॉग नहीं धुआं है, यह पोल्यूशन है जो आपके फेफड़ों में जाएगा, यह आपकी आंखों में जाएगा, फेफड़ों के माध्यम से आपके रक्त तक पहुंचेगा, आपके पाचन तंत्र को खराब करेगा। इसी धुआं के इन्हेल करने से कैंसर जैसी घातक बीमारियां होंगी, साथ ही साथ स्वसन संबंधी बीमारियां होंगी। ना जाने कितने लोग इसकी वजह से अपने जीवन की कार्य क्षमता को घटता हुआ पा रहे हैं, उनकी औसत उम्र घट रही है।

मजबूरी है दो पल की रोटी, जिसके चलते यहाँ पर रोज रोजाना इस प्रकार से ऑफिस निकल रहे हैं। यह ट्रैफिक इसका एक कारण बताया गया है लेकिन यह अचानक ट्रैफिक नहीं आ जाता। दिल्ली में ट्रैफिक ऑलरेडी इतना रहता है। तो फिर क्या है? यह सब तो कारण बड़े कारणों में इस समय, इस सीजन में, आसपास की जो घटनाएं हैं जिनसे दिल्ली प्रभावित होती है, उनमें पड़ोसी राज्यों के पराली जलाने के मामले बड़ी प्रमुखता से नापे जाते हैं। पराली एक तरह से फसल कटने के बाद बचा हुआ भूसा है और उस भूसे के जलाने से यह धुआं दिल्ली को इस तरह से तंग कर रहा है जो आपको दिख रहा है।

मतलब सांस लेने में लोगों को किस तरह की दिक्कत आ रही है कि सीएम साहिबा ने हाल ही में आदेश किया है कि ऑफिस जाने के समय में थोड़ा परिवर्तन कर दिया जाता है। म्युनिसिपल कॉरपोरेशन जाने वाले ऑफिस वाले लोग 8:30 बजे निकलेंगे, केंद्र सरकार के कर्मचारी 9:00 बजे निकलेंगे, दिल्ली सरकार के कर्मचारी 10 बजे निकलेंगे ताकि वाहन की वजह से जाम की स्थिति ना बने। स्कूल्स में पढ़ने वाले बच्चों की कक्षाएं ऑनलाइन शुरू कर दी गई हैं और ग्रेप फोर लागू कर दिया गया है। हालात को देखते हुए स्थिति बहुत ज्यादा सीवियर स्मॉग की बन गई है।

दिल्ली जो कि आसपास हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के माहौल से प्रभावित होती है। वो असल मायने में जिस एयर क्वालिटी से सफर कर रही है, वो एयर क्वालिटी इस रेंज में नापी जाती है जो देश तरक्की कर चुके हैं या जो विकसित राष्ट्र हैं या जो पर्यावरण के हितेषी राष्ट्र हैं। वहां पर एयर क्वालिटी गुड कैटेगरी के अंदर स्टैंड करती है। अब आप सोच कर देखिए कि 300 से लेकर 400 वेरी पुअर है और 400 से लेकर सीवियर है। 400 से ऊपर लेकर के एयर क्वालिटी सीवियर प्लस कैटेगरी में चली जाती है और ऐसे में कौन से इंग्रेडिएंट्स हैं जो इस हवा को खराब करते हैं? उनमें पीएम 2.5, पीएम 10, ओजोन, नाइट्रोजन साइड, सल्फर ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल हैं।

यानि कि यह वो हवाएं हैं, यह वो सारे पार्टिकल, ये सारे इंग्रेडिएंट्स हैं जिनकी हवा में बढ़ी हुई मात्रा एयर क्वालिटी को बिगाड़ देती है। साथियों, पीएम 2.5 को आप संभवतः मास्क से भी नहीं रोक सकते। आप अपनी खुली आंखों से नहीं देख सकते। हमारे शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान जो पहुंचाता है, वो यह है। असल में जो धुआं के माध्यम से निकले हुए बहुत छोटे पार्टिकल्स हैं, वो आपके शरीर में मतलब इतना अंदर तक नुकसान कर चुके हैं कि कोशिकाओं को कैंसर के लिए ट्रिगर करने वाले आर्टिकल्स में इनको भी काउंट किया जाता है। ओजोन हुआ, नाइट्रोजन ऑक्साइड हुआ, सल्फर डाइऑक्साइड हुआ, ये हमारे शरीर को बहुत बुरी तरह परेशान कर रहे हैं और इनकी बढ़ी हुई मात्रा ही हमारे पोल्यूटेड वातावरण को असल मायने में बढ़ावा देती है।

दिल्ली सरकार की बात करें तो उन्होंने 14 कदम उठाए हैं। उन 14 कदमों में गाड़ियों पर रोक लगाना, उनकी चलती फिरती गाड़ियों को रोक देना शामिल है। दोपहिया वाहनों पर रोका गया है। यानी कि आने वाले दिनों में यहां का ग्रेप को इसी तरीके से लागू कर दिया जाएगा ताकि स्थिति को काबू में लाया जा सके। लेकिन अपने ही लोग जब इतने सतर्क नहीं हैं, आज जब मैं ये सेशन कर रहा हूँ, उससे कुछ दिन पहले यानी 15 नवंबर को सुबह से ही दिल्ली के अंदर गाड़ियों को येलो बोर्ड यानी वॉर्निंग जारी कर दी गई थी।

तो यहाँ के हालात असल मायनों में कहें तो बहुत ही ज्यादा खराब हो चुके हैं। आपने देख भी लिया, मैं आपसे यही अपील करता हूँ कि अगर मुमकिन हो, आप लोगों को कोशिश करें कि घर पर ही रहें। बाहर निकलने पर इन हालातों से अपनी सेहत की हिफाजत करना बड़ा मुश्किल होगा। कोशिश करें कि बिना मतलब के ना निकले। विशेषकर वो लोग जो कि पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, वह अपना ध्यान रखें। बच्चों का ध्यान रखें और ऐसी परिस्थिति में मास्क पहनकर के निकले।

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