दिल्ली चुनाव परिणामों की व्याख्या | केजरीवाल युग का अंत कैसे हुआ?
अरे दिल्ली वालों, तुमने यह क्या कर दिया! दुनिया के सबसे कट्टर ईमानदार नेता और उनकी सबसे ईमानदार पार्टी को इस हाल में पहुंचा दिया? खुद अरविंद केजरीवाल जी के शब्दों में कहें तो “भगवान माफ नहीं करेगा!” तुमने दिल्ली के मुग़ले आज़म को रायते आज़म बना दिया।
तुम लोगों ने दुनिया के सबसे कट्टर ईमानदार नेता श्री अरविंद केजरीवाल जी को हरा दिया, यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया जी भी पराजित हो गए। न केवल सत्येंद्र जैन बल्कि सौरभ भारद्वाज को भी जनता ने धूल चटा दी। जब पार्टी के शीर्ष नेता अपनी-अपनी सीटें नहीं बचा पाए, तो समझिए कि जनता ने पूरी पार्टी की हवा निकाल दी।
दिल्ली वालों, यह कोई हराने का तरीका है? हमें लगा था कि आम आदमी पार्टी कुछ सीटें गंवाएगी, लेकिन तुमने तो पूरी सल्तनत ही खत्म कर दी। माना कि केजरीवाल जी ने बुजुर्गों के लिए मुफ्त धार्मिक यात्रा का इंतजाम किया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि तुम उन्हें ही धार्मिक यात्रा पर भेज दोगे!
अब बताओ, कौन करेगा तुम्हारा रोज़ का मनोरंजन? कौन आएगा टीवी पर यह कहने कि “LG हमें काम नहीं करने देते,” “Samsung हमारे घर में कचरा फेंक देता है,” या “Tata हमारी छत पर सूख रहा अंडरवियर चुरा लेता है?”
तुम्हारे पास पिछले 10 सालों से फ्री का लाइव एंटरटेनमेंट था, मगर तुमने अपने ही हाथों से उसे खत्म कर दिया। और यह उसी आदमी ने कहा था कि “मेरा कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता!”
दिल्ली चुनाव परिणामों के चार मुख्य सबक
- ईमानदार छवि का पतन:
अरविंद केजरीवाल की वही ईमानदार छवि, जिसने उन्हें दिल्ली और पंजाब में सत्ता दिलाई थी, अब टूट चुकी है। 2015 में 67 सीटें और 2019 में 62 सीटें लाने वाली पार्टी आज 22 सीटों पर सिमट गई, जो बताता है कि जनता अब उन्हें अन्य नेताओं की तरह ही भ्रष्ट मानने लगी है। - शराब नीति और भ्रष्टाचार के आरोप:
शराब नीति घोटाले और 44 करोड़ रुपये के मकान नवीनीकरण जैसे मामलों ने जनता के भरोसे को हिला दिया। पहले आम आदमी पार्टी को जनता बाकी पार्टियों से अलग मानती थी, लेकिन अब उन्हें भी उसी तरह देखा जा रहा है। - बीजेपी को घेरने की गलत रणनीति:
आम आदमी पार्टी जब-जब बीजेपी को घेरने की कोशिश करती, वह खुद फंस जाती। यमुना की सफाई, आयकर सीमा, मुख्यमंत्री उम्मीदवार जैसे तमाम मुद्दों पर पार्टी फंसकर रह गई। - मोदी की लोकप्रियता बरकरार:
लोकसभा चुनाव के बाद कहा जा रहा था कि मोदी का जादू कम हो रहा है, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के नतीजों ने दिखा दिया कि मोदी अभी भी राजनीतिक अखाड़े के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं।

इंडिया गठबंधन का बिखराव
दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक-दूसरे पर हमला कर रही थीं। राहुल गांधी ने केजरीवाल को भ्रष्टाचार के आरोपों में घेरा, तो केजरीवाल ने भी राहुल पर पलटवार किया। यही हाल महाराष्ट्र और कश्मीर में भी देखने को मिला, जहां गठबंधन की पार्टियां आपस में ही लड़ रही थीं।
केजरीवाल की हार – भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा मोड़?
जिस शख्स ने राजनीति में भूचाल ला दिया था, जो अपनी ईमानदारी के लिए जाना जाता था, अगर वही भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाए और फिर चुनाव भी हार जाए, तो यह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। यह चुनाव परिणाम साबित करता है कि जनता किसी को भी आसमान पर चढ़ा सकती है और फिर उसी को जमीन पर गिरा भी सकती है।
अब देखना यह है कि क्या यह केजरीवाल के राजनीतिक सफर का अंत है या फिर वह इस हार से सबक लेकर वापसी करेंगे? आपकी राय क्या है? कमेंट में बताइए, और हां, महादेव के भक्तों के लिए अन्नदान में योगदान देना न भूलें!