तिरुपति लड्डू केस सीबीआई जांच में बड़ा खुलासा
आंध्र प्रदेश के तिरुमला स्थित तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध प्रसादम, तिरुपति लड्डू में कथित रूप से जानवरों की चर्बी मिलाने के मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी हुई है। सीबीआई के नेतृत्व में इस मिलावट की जांच कर रही टीम ने जिन चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, वे तिरुपति लड्डू के निर्माण और आपूर्ति से जुड़े बताए जा रहे हैं।
गिरफ्तार आरोपी कौन हैं?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए लोगों में विपिन जैन और पोमल जैन शामिल हैं, जो रुड़की स्थित भोले बाबा डेरी के पूर्व निदेशक हैं। इनके अलावा, वैष्णवी डेरी के सीईओ अपूर्व विनय कांत चावड़ा और एआर डेरी के मैनेजिंग डायरेक्टर राजू राजशेखर की भी गिरफ्तारी हुई है।
क्या मिला जांच में?
जांच में पता चला कि वैष्णवी डेरी के प्रतिनिधियों ने एआर डेरी के नाम पर टेंडर हासिल किए थे। अधिकारियों के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी करने के लिए फर्जी दस्तावेज और सील बनाई गई थी। जांच में यह भी सामने आया कि भोले बाबा डेरी से घी की खरीद से जुड़े रिकॉर्ड संदिग्ध थे, क्योंकि इस डेरी के पास आवश्यक मात्रा में आपूर्ति करने की क्षमता नहीं थी।
अदालत में पेशी और सुप्रीम कोर्ट का दखल
गिरफ्तार आरोपियों को 10 फरवरी को तिरुपति कोर्ट में पेश किया जाएगा। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जिसके बाद कोर्ट ने नई एसआईटी से जांच कराने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी इस जांच में शामिल नहीं होगी। नई एसआईटी में सीबीआई से दो सदस्य, आंध्र प्रदेश पुलिस से दो सदस्य (राज्यपाल द्वारा नामांकित) और एक सदस्य फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से शामिल हैं।
नायडू बनाम वाईएसआरसीपी: राजनीतिक तकरार
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को आरोप लगाया था कि वाईएसआर कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान तिरुपति लड्डू में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने दावा किया था कि लड्डू के नमूनों में चर्बी के अंश पाए गए हैं। हालांकि, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने इन आरोपों को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया और नायडू से सबूत पेश करने की चुनौती दी।

तिरुपति लड्डू का इतिहास और विशेषताएं
तिरुपति के इन प्रसिद्ध लड्डुओं को शिवारी लड्डू भी कहा जाता है, और इनका इतिहास 300 साल पुराना है। 1715 में तिरुपति मंदिर में भगवान को लड्डू चढ़ाने और भक्तों को प्रसाद के रूप में देने की परंपरा शुरू हुई थी। 2014 में रजिस्ट्रार ऑफ पेटेंट्स, ट्रेडमार्क एंड जियोग्राफिक इंडिकेशंस ने तिरुपति लड्डू को जीआई टैग (Geographical Indication) दिया था।
लड्डू निर्माण की खास बातें:
- तिरुपति मंदिर में प्रसादम “पोटू” नाम की विशेष रसोई में तैयार किया जाता है।
- इस पवित्र कार्य को वैष्णव ब्राह्मण समुदाय के लोग ही करते हैं, जिनके परिवार पीढ़ियों से यही कार्य कर रहे हैं।
- लड्डू बनाने वालों को अपना सिर मुंडवाना पड़ता है और साफ-सुथरे पारंपरिक वस्त्र धारण करने होते हैं।
- औसतन रोजाना 3.5 लाख लड्डू बनाए जाते हैं, जबकि त्योहारों पर यह संख्या 4 लाख तक पहुंच जाती है।