डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया ‘खतरनाक हथियार’ का ऑफर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को अपना उन्नत पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 देने की पेशकश की है। यह विमान चीन के J-20 और J-35 से मुकाबला करने में सक्षम है। भारत लंबे समय से एक आधुनिक पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की तलाश में है, और ट्रंप की इस पेशकश को महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत को कई अरब डॉलर की रक्षा तकनीक उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह की सैन्य डील में कुछ वर्षों का समय लग सकता है, खासकर जब इसमें F-35 जैसे अत्याधुनिक तकनीक वाले विमान शामिल हों।
2017 में ट्रंप प्रशासन ने क्वाड सुरक्षा साझेदारी को पुनर्जीवित किया था, जिसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। इस बैठक में दोनों नेताओं ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। राष्ट्रपति ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन अपनी सैन्य शक्ति बढ़ा रहा है और पाकिस्तान को J-35 लड़ाकू विमान मिलने की चर्चा हो रही है। इस संदर्भ में, भारत को F-35 की पेशकश को चीन और पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।
हालांकि, भारत की ओर से इस डील पर कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि किसी भी सैन्य प्लेटफॉर्म की खरीदारी के लिए एक प्रक्रिया होती है, जिसमें अनुरोध प्रस्ताव (RFP) जारी किया जाता है, जिसके बाद जवाब प्राप्त होते हैं और फिर निर्णय लिया जाता है। फिलहाल, F-35 की खरीद प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू नहीं हुई है, लेकिन इसे लेकर विचार किया जा रहा है।

भारत और अमेरिका ने रक्षा साझेदारी को 2025 से 2035 तक मजबूत करने के लिए 10 साल के एक फ्रेमवर्क पर सहमति जताई है। इस अवधि में दोनों देश कई रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर करेंगे, जिनमें भूमि और वायु आधारित हथियारों तथा सैन्य उपकरणों की खरीद शामिल होगी। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच संयुक्त उत्पादन को लेकर भी सहमति बनी है। भारत 2025 में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा और राष्ट्रपति ट्रंप को इसमें आमंत्रित किया गया है।
भारत पहले से ही अमेरिका से कई प्रमुख सैन्य उपकरण खरीद चुका है, जिनमें C-130J सुपर हरक्यूलिस, C-17 ग्लोबमास्टर III, P-8I एयरक्राफ्ट, CH-47 चिनूक हेलीकॉप्टर, हैरपून एंटी-शिप मिसाइलें, M777 हॉवित्जर तोपें और MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन शामिल हैं। भविष्य में जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइल और स्ट्राइकर इन्फैंट्री कॉम्बैट वाहनों के संयुक्त उत्पादन पर भी सहमति बनी है।
भारतीय वायुसेना इस समय विमानों की कमी से जूझ रही है। हाल ही में, एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सामने तेजस विमानों की डिलीवरी में देरी का मुद्दा उठाया था। इस देरी के पीछे मुख्य कारण अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) द्वारा तेजस के लिए इंजन की आपूर्ति में देरी बताया जा रहा है। ऐसे में अमेरिका और भारत के बीच रक्षा सहयोग को इस समस्या के समाधान के रूप में भी देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे और रक्षा साझेदारी के विस्तार को लेकर भारतीय जनता और विशेषज्ञों की भी नजरें टिकी हुई हैं।