क्या ट्रंप संविधान बदलने वाले हैं? | क्या अमेरिका में तानाशाही आने वाली है?
अंतरराष्ट्रीय खबरों में आजकल ट्रंप का नाम इतना सुर्खियों में है कि ऐसा लगता है कि खबरों का नाम ही ‘ट्रंप समाचार’ रख दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ट्रंप की जीत ने उन्हें भी हैरान कर दिया है क्योंकि उन्हें इतने वोट मिलने की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने 270 के जादुई आंकड़े को पार करते हुए 312 का आंकड़ा छू लिया है। ऐसे में ट्रंप का अमेरिकी राष्ट्रपति बनना न केवल उन्हें खुश कर रहा है, बल्कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की उस भविष्यवाणी की ओर भी ध्यान खींच रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि ट्रंप अमेरिकी संविधान बदल सकते हैं।
आपको याद होगा कि चुनावों के दौरान कमला हैरिस ने कहा था कि ट्रंप तानाशाही लाने के लिए संविधान बदलना चाहते हैं और उन्होंने ‘प्रोजेक्ट 2025’ का जिक्र भी किया था। हालांकि, इस प्रोजेक्ट के अमल में आने का फैसला जनवरी 2025 से ही हो सकेगा, लेकिन ट्रंप की तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की इच्छा ने इसे फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
आप पूछ सकते हैं कि अगर जनता किसी को इतना पसंद कर रही है तो तीसरी बार राष्ट्रपति बनने में क्या बुराई है? दरअसल, अमेरिकी संविधान किसी भी व्यक्ति को केवल दो बार राष्ट्रपति बनने की अनुमति देता है। ट्रंप 45वें राष्ट्रपति रह चुके हैं और अब 47वें राष्ट्रपति हैं, लेकिन तीसरी बार राष्ट्रपति बनना संविधान के खिलाफ है।

संविधान बदलने के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए होता है, जिसमें सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव का समर्थन भी शामिल है। अगर ट्रंप संविधान बदलने की इच्छा रखते हैं तो यह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया होगी। यह सवाल अब सुर्खियों में है कि क्या ट्रंप सच में अमेरिकी संविधान बदलना चाहते हैं।
अगर इतिहास की बात करें तो केवल फ्रेंकलिन डी. रुजवेल्ट ऐसे राष्ट्रपति थे जो चार बार राष्ट्रपति बने थे, लेकिन इसके बाद रिपब्लिकन पार्टी ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी राष्ट्रपति दो बार से ज्यादा नहीं रहेगा। यह नियम तब से लेकर आज तक लागू है और इसी के लिए संविधान में संशोधन भी हुआ था।
तो, ट्रंप की इच्छा ने फिर से इस बहस को जन्म दे दिया है। अमेरिकी संविधान के 22वें संशोधन के बाद से राष्ट्रपति केवल दो बार ही पद पर रह सकते हैं। लेकिन ट्रंप की इस इच्छा को लेकर बहुत से सवाल उठ खड़े हुए हैं।
अब आप पूछेंगे कि ट्रंप ने यह इच्छा क्यों जाहिर की? इसका जवाब है कि वह चुनाव जीत चुके हैं। न्यूयॉर्क में एक चुनाव में उन्हें 75% वोट मिले हैं, जिससे उनकी पार्टी को लगा कि ट्रंप के जीतने से भविष्य में पार्टी के लिए अच्छे दिन आ सकते हैं। लेकिन संविधान बदलने के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए होता है। जब तक ट्रंप के पास यह बहुमत नहीं होगा, तब तक संविधान बदलना केवल एक विचार ही रहेगा।
इस बीच, हम अन्य देशों के नेताओं को भी देख सकते हैं जिन्होंने सत्ता में लंबे समय तक बने रहने के लिए नियम बदले हैं। उदाहरण के लिए, रूस के व्लादिमीर पुतिन और चीन के शी जिनपिंग ने अपने लिए नियम बदलकर लंबे समय तक सत्ता में बने रहने का प्रबंध किया है। तो, इस विश्लेषण के बाद हमें यह समझना चाहिए कि भारत का संविधान इस मामले में बहुत सटीक है और लोकतांत्रिक परंपराओं को सुरक्षित रखता है। यही कारण है कि हमारे संविधान में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं और यह सुनिश्चित करता है कि हमारे यहां कोई तानाशाही न आए। भारतीय लोकतंत्र की मजबूती हमें सुरक्षित महसूस कराती है।