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क्या टीम से बाहर होंगे विराट कोहली और रोहित शर्मा ?

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क्या टीम से बाहर होंगे विराट कोहली और रोहित शर्मा ?

जावेद अख्तर साहब का एक मशहूर शेर है: “आज किसी ने दिल तोड़ा तो हमको यह ख्याल आया कि हमने जिनका दिल तोड़ा था वह ना जाने अब कैसा होगा।” ठीक इसी तरह, आज जब इंडियन टीम ऑस्ट्रेलिया में जाकर अपनी इज्जत का फालूदा करवा रही है, तब मुझे एहसास हुआ कि हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के क्रिकेट फैंस सुबह-शाम कैसा फील करते होंगे। भाई, मारो मुझे मारो। मैं मोदी सरकार से अनुरोध करता हूं कि जैसे वो समय-समय पर विदेशों में फंसे भारतीयों को बचाकर वापस लाती है, उसी तरह वो ऑस्ट्रेलिया में फंसे भारतीय टीम के 15 खिलाड़ियों को भी बचाकर वापस ले आए। बड़ी मेहरबानी होगी, माइ बा।

इससे पहले कि ट्रेविस हेड के नाम की ज़हर की पुड़िया खाकर कोई इंडियन बॉलर अपनी जान दे दे, हमारे बॉलर्स को बचा लो मोदी जी। कैसे-कैसे लोग रहते हैं यार यहां। सच में, यार, इतनी जल्दी तो बेरोजगार लौंडों के अफेयर खत्म नहीं होते जितनी जल्दी इंडियन टीम की बैटिंग खत्म हो रही है। मतलब इतनी जल्दी तो मेरे बच्चे की कुल्फी नहीं खत्म होती जितनी जल्दी इनकी बैटिंग खत्म हो जा रही है। कुछ इंडियन बैट्समैन की बैटिंग देखकर तो मुझे “थ्री इडियट्स” के फरहान की याद आ जाती है। ऐसा लगता है कि हमारे कुछ बैट्समैन भी फरहान की तरह वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बनना चाहते थे, उनके बाप ने जबरदस्ती उन्हें क्रिकेटर बना दिया।

समझ में नहीं आ रहा कि कहां से शुरू करूं और किसका रोना रोऊं। पिछले पांच टेस्ट की 10 इनिंग्स में छह बार हमारे धुरंधर 200 रन भी नहीं बना पाए। मतलब यहां एक-आध प्लेयर के आउट ऑफ फॉर्म होने की बात नहीं है, हमारी पूरी की पूरी टीम ही बैटिंग करना भूल गई है। जैसे बुढ़ापे में लोग अपना चश्मा रखकर भूल जाते हैं, वैसे ही हमारे बैट्समैन अपना टैलेंट रखकर भूल गए हैं। न्यूजीलैंड से जब हम अपने घर पर हार रहे थे, तो कुछ लोग ये बोलकर इन्हें डिफेंड कर रहे थे कि “यार, माफ कर दो हमारे लेजेंड्स को, स्पिनिंग ट्रैक पर खेलने में प्रॉब्लम है। ऑस्ट्रेलिया की फास्ट पिचेज़ इन्हें सूट करेंगी।”

ऑस्ट्रेलिया में आकर हमारे लेजेंड्स ने प्रूफ कर दिया कि फेल होने के लिए ये पिच पर डिपेंड नहीं करते। इन्हें करना वही है जो सुबह-सुबह इंडिया का मैच देखने से पहले आप और हम करते हैं।

ट्रेविस भाई, सुन रहे हैं आप? तो मैं आपको बता दूं, आपके पर्थ वाले घर के बाहर जो भैंस चोरी हुई थी, रोहित शर्मा ने नहीं चुराई थी। और मैं इंडियन थिंक टैंक से पूछना चाहता हूं, यार तुम लोग कर क्या रहे हो? कुछ थिंक भी कर रहे हो या तुम्हारा टैंक लीक कर गया है? एक बंदा वर्ल्ड चैंपियनशिप से लेकर वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल तक, इस सीरीज में भी हमारे पर 100 पर 100 ठोक रहा है, हमारी इज्जत की धज्जियां उड़ा रहा है और हम हिंदी फिल्मों के उस हीरो की तरह सिर्फ पिटाई खा रहे हैं, जिसकी अंधी मां को गुंडों ने अपने कब्जे में ले रखा है। यार, कोई तो तोड़ निकालो इसका।

इतने दिन से हमारे एक्सपर्ट्स ये बोल रहे हैं कि वो शॉर्ट बॉल नहीं खेल पाता, तो उसको शॉर्ट बॉल डालो ना। क्या हो गया हमारे तेज गेंदबाजों की कमर में? क्या सालसा करते हुए लचक पड़ गई है कि जो उनसे शॉर्ट बॉल नहीं डाली जा रही? मैं जस्सी भाई की बात नहीं कर रहा हूं, ना हम उनको कुछ कह सकते हैं। हमारी इतनी औकात नहीं। लेकिन बाकी बॉलर भी कुछ करें। दूसरी बात, जब सारी दुनिया को ये पता है कि बुमराह के बाद बाकी बॉलर उस लेवल के नहीं हैं और चौथे और पांचवें पार्ट टाइम बॉलर वाला ऑप्शन चल नहीं रहा है, तो आप चार प्रॉपर फास्ट बॉलर क्यों नहीं खिला लेते? विराट कोहली और रवि शास्त्री के समय में हम विदेशों में इतने टेस्ट इसलिए जीतते थे ना क्योंकि तब ये लोग समझते थे कि टेस्ट जीतना है तो 20 विकेट लेने होंगे, उसके लिए पांच बॉलर चाहिए।

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क्रिकेट का बड़ा सिंपल सा लॉजिक है कि अगर आपके सात बैट्समैन रन नहीं बना रहे हैं, तो आठवां भी कुछ नहीं उखाड़ पाएगा। लेकिन एक एक्स्ट्रा फास्ट बॉलर खिलाने से बाकी बॉलर्स का वर्कलोड जरूर कम हो जाएगा। ऑस्ट्रेलिया प्रॉपर तीन फास्ट बॉलर से खेलना अफोर्ड कर सकता है क्योंकि उनके तीन बॉलर बुमराह जैसे ही वर्ल्ड क्लास हैं, मगर हमारे साथ ऐसा नहीं है। और कोहली भाई, एक मिनट, जरा इधर आना। आपसे भी कुछ बात करनी है। कोहली भाई, देखो, ऐसे आपको आउट होता देखकर ये बात तो प्रूव हो जाती है कि दिल्ली की कानून व्यवस्था सुधरी नहीं है। कैसे आप दिल्ली के लड़कों को कितना भी समझा लो ना, मगर वो छेड़-छाड़ से बाज नहीं आते। यार, और कितनी बार आपको कोई ये बताएगा कि ऑफ स्टंप से ज्यादा बाहर वाली गेंदों के साथ छेड़खानी मत करो? मगर आपकी बैटिंग उस रोड साइड छलिए की तरह हो गई है जो अकेली लड़की को देखकर बिना उससे छेड़खानी किए रह ही नहीं सकता।

बस करो कोहली भाई, सारी दुनिया सचिन का उदाहरण दे रही है कि कैसे उन्होंने सिडनी टेस्ट में 241 की अपनी पारी में एक भी कवर ड्राइव नहीं लगाया था। आप भी ऐसा कर लो यार, प्लीज। कम से कम शुरू के 30-40 रन में तो ऐसा कर ही सकते हो। जब एक बार सेट हो जाओ तो जो करना हो उसके बाद कर लेना। समझ जाओ भाई, समझ जाओ, क्योंकि आपने अगर रन नहीं बनाए ना तो बचे हुए मैचों में भी हमारा जो हाल होगा वो अभी से मेरे को दिख रहा है। और अब रोहित भाई, जरा आपसे भी कुछ बात करनी है। ये बताइए आप चाहते क्या हो? आपकी बैटिंग देखकर मुझे उस सरकारी कर्मचारी की याद आ रही है जिसका अपने काम में मन नहीं है, जिसकी कमर में भी दर्द है लेकिन वो सिर्फ इसीलिए ऑफिस जा रहा है क्योंकि सुबह 11 बजे वाली चाय के साथ समोसा मुफ्त में मिलता है।

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