केरल में वजन घटाने के चक्कर में लड़की की मौत
केरल के कन्नूर जिले में 18 वर्षीय एम श्रीनंदा की मौत चर्चा का विषय बनी हुई है। बताया जा रहा है कि वह अपने बढ़ते वजन को लेकर चिंतित थी और इसी कारण उसने एक सख्त डाइट प्लान अपनाया था। श्रीनंदा मठन की रहने वाली थी और राजा एनएसएस कॉलेज में प्रथम वर्ष की छात्रा थी।
करीब एक हफ्ते पहले उसे अत्यधिक थकान और उल्टी की शिकायत होने लगी, जिसके बाद उसे थलसेरी कोऑपरेटिव अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ने पर उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया, लेकिन 8 मार्च की रात उसकी मौत हो गई। इससे पहले भी उसके परिवार ने कोझीकोड मेडिकल कॉलेज में उसका इलाज करवाया था।
डाइट प्लान के कारण बिगड़ी तबीयत
परिजनों का कहना है कि श्रीनंदा ने वजन बढ़ने के डर से खाना छोड़ दिया था। वह अत्यधिक व्यायाम करती थी और सिर्फ लिक्विड डाइट पर थी, जिससे उसे लगातार भूख लगती रहती थी।
डॉक्टरों की राय
श्रीनंदा का इलाज करने वाले डॉक्टर नागेश प्रभु ने पुष्टि की कि वह एनोरेक्सिया नर्वोसा नामक बीमारी से पीड़ित थी। यह एक प्रकार का ईटिंग डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति को वजन बढ़ने का डर सताने लगता है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों ने पहले ही परिवार को मनोचिकित्सक की सलाह लेने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने स्थिति की गंभीरता को नहीं समझा।

एनोरेक्सिया नर्वोसा: एक खतरनाक बीमारी
एनोरेक्सिया नर्वोसा एक मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी विकार है, जिसमें व्यक्ति भोजन से दूरी बनाने लगता है। अगर वह कुछ खाता भी है, तो उसे अपराधबोध महसूस होता है। ऐसे लोग या तो जबरन उल्टी कर भोजन बाहर निकाल देते हैं या फिर अत्यधिक व्यायाम करने लगते हैं।
श्रीनंदा के मामले में उसके शरीर में सोडियम और शुगर का स्तर इतना गिर गया था कि उसे बचाया नहीं जा सका।
सोशल मीडिया की भूमिका
विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी देशों में यह समस्या पहले से मौजूद थी, लेकिन हाल के वर्षों में भारत में भी ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है। सोशल मीडिया पर ‘साइज जीरो’ फिगर को आदर्श बनाकर प्रस्तुत किया जाता है, जिससे युवा मानसिक रूप से प्रभावित होते हैं और अवास्तविक सौंदर्य मानकों को पाने के लिए अत्यधिक डाइटिंग शुरू कर देते हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि युवा दिमाग जल्दी प्रभावित होते हैं और वजन घटाने को लेकर अनावश्यक चिंता करने लगते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, शरीर को फिट दिखाने के बजाय स्वस्थ रहने पर ध्यान देना जरूरी है।
इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है ताकि युवा ऐसे घातक परिणामों से बच सकें।