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आरबीआई की नई मौद्रिक नीति लोन और ईएमआई में स्थिरता, बैंकों के लिए अतिरिक्त लिक्विडिटी का प्रावधान

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आरबीआई की नई मौद्रिक नीति लोन और ईएमआई में स्थिरता, बैंकों के लिए अतिरिक्त लिक्विडिटी का प्रावधान

आरबीआई की मौद्रिक नीति के तहत किए गए हालिया फैसलों के अनुसार न तो लोन महंगे होंगे और न ही ईएमआई में कोई बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, आरबीआई के इस फैसले से बाजार में 1 लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त लिक्विडिटी आएगी, जिससे बैंकों की वित्तीय स्थिति सुधरेगी।

मौद्रिक नीति समिति (MPC) की हाल ही में हुई बैठक में यह तय किया गया है कि बैंकों को किस ब्याज दर पर लोन उपलब्ध कराया जाए और बैंकों का पैसा रिजर्व बैंक में किस ब्याज दर पर रखा जाए। इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कमर्शियल बैंकों को आरबीआई किस तरह से सुविधा प्रदान करेगी। MPC का मुख्य उद्देश्य देश में महंगाई को नियंत्रित करते हुए आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना और लिक्विडिटी बनाए रखना है।

तीन दिन पहले, जब देश की जीडीपी वृद्धि दर के परिणाम आए थे, मैंने एक सत्र में बताया था कि भविष्य में जीडीपी वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए जरूरी होगा कि पैसा आसानी से उपलब्ध कराया जाए। क्योंकि मांग और आपूर्ति के खेल में जब तक मांग नहीं बढ़ेगी, अर्थव्यवस्था में तेजी नहीं आएगी। मांग तभी बढ़ेगी जब पैसा आसानी से उपलब्ध होगा।

मैंने तीन दिन पहले जानकारी दी थी कि अगर देश की वृद्धि को बढ़ावा देना है, तो आरबीआई को कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन करने होंगे। वर्तमान में देश में पिछले सात तिमाही का सबसे कम वृद्धि दर देखा गया है, यानी 18 महीने का सबसे कम वृद्धि दर। इस बार जो कमी देखी गई है, वह विशेष रूप से खनन, विनिर्माण, बिजली, निर्माण और कृषि क्षेत्रों में देखी गई है।

इन क्षेत्रों में तेजी लाने के लिए पैसा आसानी से उपलब्ध कराना होगा। निर्माण क्षेत्र में वृद्धि से बिजली की मांग बढ़ेगी, जिससे विनिर्माण बढ़ेगा। अधिकांश चीजें एक-दूसरे पर निर्भर होती हैं। अगर लोगों के पास पैसा आसानी से उपलब्ध हो, तो ये सभी क्षेत्र वृद्धि करने लगेंगे। यही काम आरबीआई ने किया है। बैंकों को आसानी से लोन उपलब्ध कराने का तरीका आसान कर दिया गया है।

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया है, लेकिन कैश रिजर्व रेशो (सीआरआर) को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया है। इससे बैंकों के पास 1 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त होंगे जिन्हें वे लोन के रूप में दे सकेंगे।

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आरबीआई ने एक छह सदस्यीय समिति बनाई है जिसका नाम है मौद्रिक नीति समिति। यह समिति तय करती है कि देश में कितना पैसा आसानी से उपलब्ध हो। इस समिति के तीन सदस्य आरबीआई द्वारा और तीन सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर इस समिति के एक्स ऑफिशियो चेयरमैन होते हैं।

रेपो रेट वह दर है जिस पर कमर्शियल बैंक, जैसे एसबीआई, को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से पैसे मिलते हैं। अगर आरबीआई रेपो रेट कम कर दे, तो बैंकों को कम ब्याज पर पैसा मिलेगा, जिससे बैंक जनता को कम ब्याज पर लोन दे पाएंगे। एमएसएफ (मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी) और एसडीएफ (स्टैंडर्ड डिपॉजिट फैसिलिटी) भी महत्वपूर्ण टर्म्स हैं। एमएसएफ वह सुविधा है जिसमें बैंक को ओवरनाइट फंड चाहिए होता है।

कैश रिजर्व रेशो (सीआरआर) के घटने से मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ेगी। आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि दर को घटाकर 6.6% कर दिया है। महंगाई पर नियंत्रण रखना भी आरबीआई का काम है। महंगाई का अनुपात 4% से प्लस माइनस 2%, अर्थात 2% से 6% के बीच में हो सकता है।सेंसेक्स पर इसका सकारात्मक असर देखा गया है। बैंकिंग वृद्धि बढ़ने से निवेश भी बढ़ेगा।

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