आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित भारतीय सेना: ड्रोन और रोबोटिक डॉग्स का उपयोग
भारत में बढ़ती तकनीकी उपयोगिता पर गर्व करना स्वाभाविक है। आज की चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि इतिहास में युद्ध हमेशा उन लोगों ने जीते हैं जिन्होंने नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल किया है। हमने इतिहास में पढ़ा है कि जो लोग तोप और गोले सबसे पहले लाए, वे युद्ध जीत गए। अंग्रेजों ने पिस्टल का इस्तेमाल करके बढ़त हासिल की। अर्थात, युद्ध में जो भी तकनीकी दृष्टिकोण से सबसे आगे रहा, उसने युद्ध में सबसे अधिक लाभ प्राप्त किया।
हाल के समय में भी, जैसे-जैसे परंपरागत युद्धों से हटकर नई तकनीकों का उपयोग हुआ, युद्ध का तरीका बदल गया। पहले जहां टैंक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वहीं अब रॉकेट लॉन्चर्स और मिसाइलों का दौर आ गया है। हाल के युद्धों, जैसे रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास संघर्षों में, हमने देखा है कि मानव जीवन की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया जा रहा है। इसी कारण ड्रोन का उपयोग तेजी से बढ़ा है।
ड्रोन के उपयोग से युद्ध में जानमाल की क्षति कम होती है। ड्रोन को हिट करने पर भी फाइटर जेट का पायलट सुरक्षित रहता है क्योंकि यह एक अनमैन्ड एरियल व्हीकल है। ड्रोन में लगे कैमरों से दुश्मन के इलाके की निगरानी की जा सकती है। रूस-यूक्रेन युद्ध और ईरान-इजराइल संघर्ष में ड्रोन का व्यापक इस्तेमाल हुआ है।
अब ड्रोन से भी आगे बढ़कर नई खबरें आ रही हैं। जैसे ड्रोन ने अपनी जगह बनाई है, वैसे ही अब रोबोटिक डॉग्स युद्ध के मैदान में कदम रख रहे हैं। राजस्थान के रेगिस्तान में भारतीय सेना ने रोबोटिक डॉग्स का परीक्षण किया है। यह रोबोटिक डॉग्स सेना के लिए एक नई ताकत बन सकते हैं। इन्हें म्यूल (मल्टी यूटिलिटी लग्ड इक्विपमेंट) कहा जाता है।
रोबोटिक डॉग्स की विशेषताएं क्या हैं? यह दूर से भी नियंत्रित किए जा सकते हैं और 360 डिग्री कैमरा से सारा दृश्य देख सकते हैं। इनमें थर्मल इमेज सेंसिंग की सुविधा है, जिससे गर्मी के आधार पर दुश्मन की पहचान की जा सकती है। यह गन लेकर दुश्मन पर हमला कर सकते हैं और विषम परिस्थितियों में मदद कर सकते हैं।
भारतीय सेना ने हाल ही में 100 रोबोटिक डॉग्स ऑर्डर किए थे और अब उन्हें सेना में शामिल कर लिया है। इनका बजट 285 करोड़ रुपये है, यानी लगभग पौने तीन करोड़ का एक रोबोटिक डॉग। यह -40 से 55 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में काम कर सकते हैं और एक घंटे की चार्जिंग में 10 घंटे तक ऑपरेट कर सकते हैं। यह 15 किलो वजन तक उठा सकते हैं और थर्मल कैमरा और रडार से लैस हैं।

सेना ने इनके उपयोग के लिए वाई-फाई या 4G का उपयोग किया है और यह 1 से 10 किलोमीटर तक ऑपरेट किए जा सकते हैं। इनकी मदद से दुश्मन का ठिकाना आसानी से खोजा जा सकता है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी यह काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
हाल ही में, भारतीय सेना आधुनिक तकनीकी से लैस हो रही है। ड्रोन और रोबोटिक डॉग्स के उपयोग से सेना का काम और भी आसान हो गया है। अमेरिका, रूस और चीन भी अपने सेनाओं में रोबोटिक डॉग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।
आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस रोबोटिक डॉग्स और भी स्मार्ट होंगे और युद्ध लड़ने में मददगार साबित होंगे। भारतीय आईआईटी संस्थान भी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि भारत इस क्षेत्र में भी बड़ी सफलता हासिल करेगा।