आईएनएस तुशी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारतीय नौसेना के लिए एक नई शक्ति
जहां एक ओर दुनिया में रूस-यूक्रेन युद्ध की चर्चा है, उसी बीच में भारत के रक्षा मंत्री रूस जाते हैं और वहां से भारत के लिए एक युद्धपोत, आईएनएस तुशी, को कमीशन करवा लेते हैं। बड़ा सवाल यह है कि दुनिया इस मुद्दे पर बंटी हुई है कि रूस के साथ कौन और यूक्रेन के साथ कौन, और हम वहां जाकर के भारत के लिए एक युद्धपोत लेकर आते हैं। बाकायदा इसे कमीशन किया जाता है। जबरदस्त सुरक्षा से लैस, ब्रह्मोस मिसाइल को चलाने में सक्षम, ऑटोमेटिक प्रकार के गन से लैस। यह तुशी “The Protected Shield” टैग लाइन के साथ आया हुआ युद्धपोत है और इसके मल्टी रोल्स स्टेल्थ मिसाइल फ्रीगेट के आने से भारतीय नौसेना खुद को बहुत मजबूत महसूस करेगी।
इसकी मजबूती को आप उस दौर में ज्यादा समझेंगे जब रूस-यूक्रेन युद्ध चल रहा हो। रूस-यूक्रेन युद्ध में सबसे बड़ा सवाल यही था कि अगर किसी ने रूस से कोई भी मिसाइल खरीदी या कोई भी रक्षा उपकरण या किसी भी प्रकार का व्यापार किया, तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना होगा। लेकिन हमने तेल के साथ-साथ रक्षा उपकरण भी खरीद लिए। युद्ध को 1000 से ज्यादा दिन हो चुके हैं, फिर भी हम यह करने में कामयाब हो गए हैं। यह बेहतरीन कूटनीति है या वचनों की पाबंदी, कुछ भी कह सकते हैं। स्टेल्थ फ्रीगेट आईएनएस तुशी को भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया है और इसे रूस के अंदर कमीशन किया गया है, जो सबसे महत्वपूर्ण बात है।
यह बिल्कुल वैसे है जैसे आप कोई गाड़ी लेने जाएं और उसे किसी दूसरे देश से लेकर आएं। राजनाथ सिंह जी इस कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की और भारत-रूस के संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत-रूस के संबंध सबसे ऊंचे पहाड़ से भी ऊंचे और सबसे गहरे समुद्र से भी गहरे हैं। रक्षा मंत्रालय की तरफ से सारे अपडेट्स आते रहे कि कहां-कहां क्या-क्या किया गया।

यह जगह कैलिन ग्राड है, जो रूस के मैप में लिथुआनिया और पोलैंड के बीच स्थित है। कैलिन ग्राड रूस से जमीन से कनेक्ट नहीं है, लेकिन रूस इसे समुद्री मार्ग या लिथुआनिया के जरिए ट्रेन भेज कर कनेक्ट करता है। कैलिन ग्राड में रूस ने अपने जबरदस्त रक्षा उपकरण रखे हुए हैं। कुछ का मानना है कि यूरोप पर नियंत्रण के लिए रूस ने अपने कोयले के भंडार और नाभिकीय हथियार यहां रखे हुए हैं। यहां से हमने अपना आईएनएस तुशी लिया है।
2016 में पुतिन भारत आए थे, तब हमने उनसे चार फ्रीगेट्स की बात की थी। उनमें से दो रूस में और दो भारत में बननी थीं। यह तुशी रूस में बनी दूसरी फ्रीगेट है, जबकि पहली पहले ही भारत आ चुकी है। इन फ्रीगेट्स में 26 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी है।
रूस से खरीद के लाए गए इस युद्धपोत की विशेषता यह है कि यह मीडियम एंटी सबमरीन वारफेयर का काम कर सकता है। एंटी सबमरीन का मतलब है कि यह समुद्र के अंदर आने वाली सबमरीन्स को निशाना बना सकता है। इसके अलावा यह मीडियम रेंज में मिसाइल को हवा में ही ध्वस्त कर सकता है और एयरक्राफ्ट्स पर हमला करने की क्षमता रखता है। इस तरह से यह जल, थल और वायु तीनों पर एक साथ काम कर सकता है।