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अयोध्या में दलित युवती की हत्या: तीन आरोपी गिरफ्तार

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अयोध्या में दलित युवती की हत्या: तीन आरोपी गिरफ्तार

अयोध्या में 22 वर्षीय दलित युवती की हत्या के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों के नाम हरिराम कोरी, विजय साहू और दिग्विजय सिंह बताए गए हैं। पुलिस के अनुसार, इन तीनों ने शराब के नशे में हत्या की वारदात को अंजाम दिया। घटना के बाद युवती के शव को गांव के ही एक नाले में फेंक दिया गया था। इस मामले पर एसएसपी राजकुमार नैयर ने अपडेट देते हुए बताया कि आरोपियों को रिमांड में लेने की प्रक्रिया जारी है। पुलिस की चार टीमों ने इस मामले की जांच की और प्रारंभिक जांच में तीनों आरोपियों ने अपराध स्वीकार कर लिया है।

दिनांक 31 जनवरी 2025 को चौकी क्षेत्र दर्शन नगर में एक शिकायत दर्ज हुई थी, जिसमें मृतका की बहन ने बताया कि 30 जनवरी की रात को दोनों साथ सोई थीं, लेकिन सुबह उठने पर उसकी बहन लापता थी। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए जांच शुरू की और 1 फरवरी को एक शव बरामद किया गया, जिसकी पहचान लापता युवती के रूप में हुई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि हत्या किसी अन्य स्थान पर की गई थी और शव को वहां लाकर फेंका गया था, जिससे पुलिस को भ्रमित किया जा सके।

पुलिस ने वैज्ञानिक तरीकों, सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी निगरानी के माध्यम से आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया। तीनों आरोपियों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है और उनके बयान के आधार पर आगे की जांच जारी है। पुलिस जल्द से जल्द आरोप पत्र दाखिल कर फास्ट ट्रैक कोर्ट से कठोरतम सजा दिलाने का प्रयास कर रही है।

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इस घटना को लेकर समाज में व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिली। फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद ने संसद में इस मुद्दे को उठाने की बात कही और न्याय न मिलने की स्थिति में इस्तीफा देने की धमकी दी। वहीं, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया और पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये मुआवजा देने की मांग की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी यूपी सरकार पर दलितों के खिलाफ अत्याचार का आरोप लगाया और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

उधर, यूपी सरकार के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था मजबूत है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने सांसद अवधेश प्रसाद के भावुक होने को ‘ड्रामा’ करार दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले को उठाते हुए समाजवादी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाया कि उनकी संलिप्तता उजागर हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि यूपी में कानून के शासन के तहत किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा।

यह मामला न केवल कानून-व्यवस्था के लिए एक चुनौती बना बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय रहा। पुलिस और प्रशासन इस मामले में कठोर कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे सरकार की नाकामी के रूप में देख रहा है।

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