अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध: ट्रंप के टैरिफ का जवाबी असर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए 10% टैरिफ के जवाब में अब चीन ने भी 10 से 15% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। हालांकि, ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा पर 25% टैरिफ लगाने की योजना को 30 दिनों के लिए स्थगित कर दिया था, लेकिन चीन के खिलाफ यह रियायत नहीं दी गई। अमेरिका की इस नीति से नाराज होकर चीन ने भी जवाबी कार्रवाई का ऐलान किया।
किन उत्पादों पर लगेगा टैरिफ?
- 15% टैरिफ: कोयला और विभिन्न गैसों पर
- 10% टैरिफ: कच्चे तेल, कृषि उपकरण और भारी इंजन वाली कारों पर
चीन का यह नया टैरिफ 10 फरवरी से प्रभावी होगा। चीन के वित्त मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका का यह एकतरफा टैरिफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन करता है और दोनों देशों के आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचा रहा है। इस बीच, चीन की नियामक संस्था स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन फॉर मार्केट रेगुलेशन ने भी इस पर एक बयान जारी किया।
ट्रंप की कूटनीतिक फोन कॉल्स और व्यापार वार्ता
मेक्सिको:
3 फरवरी को ट्रंप ने मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिबाम से फोन पर बातचीत की, जिसमें ड्रग तस्करी, सीमा सुरक्षा और व्यापार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके बाद मेक्सिको ने 10,000 जवानों को सीमा पर तैनात करने का फैसला किया, ताकि फेंटेनाइल जैसी नशीली दवाओं की तस्करी रोकी जा सके। इसके बदले में, ट्रंप ने मेक्सिको के लिए टैरिफ नियमों में कुछ रियायत देने पर सहमति जताई।
कनाडा:
दूसरी फोन कॉल कनाडा के कार्यवाहक प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से हुई, जिसमें सीमा सुरक्षा और ड्रग तस्करी को रोकने पर चर्चा हुई। कनाडा ने कड़े कदम उठाने का भरोसा दिया, जिसके बाद ट्रंप ने कनाडा पर लगाए गए टैरिफ में छूट देने का फैसला किया।
मध्य पूर्व से ट्रंप को मिली चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप को व्हाइट हाउस में एक पत्र मिला, जिसमें फिलिस्तीनियों को गाजा से बाहर निकालने की योजना का कड़ा विरोध किया गया। पत्र में जॉर्डन, मिस्र, सऊदी अरब, कतर और यूएई जैसे देशों के विदेश मंत्रियों के हस्ताक्षर थे।
विवाद का कारण:
ट्रंप ने हाल ही में सुझाव दिया था कि गाजा में स्थिरता लाने के लिए वहां की आबादी को मिस्र और जॉर्डन जैसे अरब देशों में स्थानांतरित किया जाए। इस प्रस्ताव का अरब देशों ने विरोध किया, क्योंकि इससे क्षेत्र में अस्थिरता फैलने और शांति प्रक्रिया बाधित होने का खतरा बताया गया।
महत्वपूर्ण घटनाक्रम:
- 2 जनवरी: मिस्र की राजधानी काहिरा में अरब देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई।
- 3 फरवरी: इन देशों ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो को एक पत्र भेजा, जिसमें फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के सलाहकार समेत कई नेताओं के हस्ताक्षर थे।
फिलहाल, अमेरिका की ओर से इस पत्र पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

सीरिया में चुनावी अनिश्चितता
सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति मोहम्मद अल–जुलानी ने 3 फरवरी को “सीरिया टीवी” को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति चुनावों पर बयान दिया।
मुख्य बिंदु:
- सीरिया में चुनाव होने में कम से कम 4-5 साल लग सकते हैं।
- चुनाव से पहले बुनियादी ढांचा मजबूत करना आवश्यक होगा।
- जनगणना कराना जरूरी होगा, ताकि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी रहे।
गौरतलब है कि 29 जनवरी 2024 को हयात तहरीर अल–शाम (HTS) के नेता जुलानी ने सीरिया का संविधान रद्द कर खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था। इसके बाद देश में राजनीतिक अनिश्चितता फैल गई थी, क्योंकि लोगों को आशंका थी कि जुलानी सत्ता पर स्थायी रूप से काबिज न हो जाएं।
इससे पहले, 8 दिसंबर 2024 को बशर अल–असद को सत्ता से बेदखल करने में जुलानी की अहम भूमिका रही थी। अब जुलानी का कहना है कि देश में चुनाव जरूर होंगे, लेकिन इसमें समय लगेगा।
निष्कर्ष
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध तेज हो गया है, मध्य पूर्व में तनाव बढ़ रहा है, और सीरिया में राजनीतिक अनिश्चितता जारी है। आने वाले समय में इन घटनाओं का वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।