अमेरिका का नाटो से बाहर निकलने का सवाल यूक्रेन और रूस के बीच की तनावपूर्ण स्थिति
आपको ‘शोले’ फिल्म का एक आइकॉनिक सीन याद होगा जिसमें गब्बर पूछता है, “तेरा क्या होगा रे कालिया?” यहां पर बस कालिया की जगह एक और व्यक्ति है जिसका सपना टूट गया है। इस व्यक्ति का सपना अमेरिका ने दिखाया था कि जब तुम नाटो में आ जाओगे तो हम तुम्हें बचा लेंगे। लेकिन अब अमेरिका खुद नाटो से बाहर निकलने की बातें कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप कह रहे हैं कि हम अमेरिका को ही महान बनाएंगे और तुम्हारी चुनौतियों को अपने साथ नहीं लाएंगे। इस बयान से पुतिन बहुत खुश हैं और यह मान रहे हैं कि ट्रंप का यह परफॉर्मेंस अद्वितीय है।
इस समय न्यूज़ चैनल्स की हेडलाइंस में है कि डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर ऐसी ही स्थिति रही तो वह नाटो छोड़ देंगे। इस बयान से पुतिन को बहुत खुशी हो रही है। ट्रंप का कहना है कि अमेरिका को दूसरों के संघर्ष में नहीं पड़ना चाहिए और इस स्थिति से बाहर निकलना चाहिए। कुछ लोगों का मानना है कि यह सब पुतिन का प्लान है जो ट्रंप के दिमाग में पहले से भरा हुआ था।
इस समय बहुत से लोग यह मान रहे हैं कि ट्रंप अगले अमेरिकी राष्ट्रपति बनने वाले हैं और आने वाले समय में यूक्रेन के राष्ट्रपति का क्या होगा यह एक बड़ा सवाल है। ट्रंप ने एक टीवी इंटरव्यू में यह भी कहा है कि अमेरिका में इलीगल इमिग्रेंट्स की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ रही है और वह इस समस्या को रोकने के लिए संविधान में संशोधन करने की योजना बना रहे हैं। इस बयान का भारत पर भी असर पड़ेगा क्योंकि 48 लाख से अधिक भारतीय अमेरिकी नागरिक हैं।
अब बात करते हैं रूस-यूक्रेन युद्ध की असली वजह की। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस एक साथ युद्ध लड़ रहे थे। लेकिन अमेरिका ने बिना रूस को बताए जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिया जिससे सोवियत रूस को बहुत बुरा लगा। इस घटना के बाद से अमेरिका और सोवियत रूस के बीच शीत युद्ध शुरू हो गया। सोवियत रूस 1991 में टूट गया और 15 टुकड़ों में बंट गया, जिनमें से एक यूक्रेन है।

1991 के बाद से रूस के राष्ट्रपति पुतिन सोवियत रूस को फिर से एकजुट करने का सपना देख रहे हैं। उन्हें बहुत बुरा लगता है जब अमेरिका यूक्रेन के करीब आता है। अमेरिका ने नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (नाटो) की स्थापना की थी ताकि सोवियत रूस के किनारे अपने दोस्त खड़े कर सके। लेकिन पुतिन ने साफ कर दिया है कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल हुआ तो वह इसे युद्ध की घोषणा मानेंगे और परमाणु हमला कर देंगे।
यूक्रेन ने 2017 में नाटो में शामिल होने की औपचारिक एप्लीकेशन दी थी लेकिन रूस की धमकियों के चलते इसे स्वीकार नहीं किया गया। अमेरिका ने यूक्रेन को आश्वासन दिया था कि वह उनकी सुरक्षा करेंगे लेकिन नाटो की कंडीशन है कि युद्धरत देश को सदस्यता नहीं दी जा सकती। यही वजह है कि यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं हो पाया और रूस ने उस पर हमला कर दिया।
अब सवाल यह है कि अगर अमेरिका नाटो से बाहर निकलता है तो यूक्रेन का क्या होगा? पुतिन के प्लान और ट्रंप के बयानों के बीच यूक्रेन की स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है।