अब मालदीव में तख्तापलट की तैयारी! क्या है शेख हसीना के तर्ज पर मुइज्जू की चेतावनी के मायने?
हमारे पड़ोसी मुल्कों में पाकिस्तान का उदाहरण लेते हुए, वहां इमरान खान को सत्ता से हटाया गया था। अब यह हर किसी की जबान पर है कि उन्हें हटाया गया था। हमारे पड़ोसी राष्ट्र श्रीलंका में भी ऐसा ही हुआ, वहां राजपक्षों को हटा दिया गया। म्यानमार में आंग सान सू की का तख्ता पलट दिया गया। बांग्लादेश में शेख हसीना को हटाने की बातें हो रही हैं। हमारे आस-पास के देशों को देखें, तो ऐसा लगता है कि सत्ता परिवर्तन का दौर चल रहा है। म्यानमार, श्रीलंका, पाकिस्तान… सभी देशों में ऐसी खबरें आ रही हैं कि वहां सत्ता परिवर्तन हो चुका है।
अभी हमारा एक पड़ोसी देश है जिसका नाम मालदीव्स है, जो हमारे साथ जल सीमा साझा करता है। वहां से भी ऐसी सूचनाएं आ रही हैं कि वहां तख्ता पलट की तैयारी हो रही है। आप पूछेंगे, ये सूचनाएं कौन दे रहा है? खुद वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा है कि मुझे हटाने की तैयारी हो रही है। जब राष्ट्रपति खुद ऐसा कह रहे हैं, तो कुछ पुरानी बातें याद आने लगती हैं। कुछ समय पहले शेख हसीना ने भी ऐसा ही दावा किया था कि मुझे हटाने के लिए कुछ गोरे लोग प्रयास कर रहे हैं। अब मुइज्जू भी कह रहे हैं कि मुझे हटाने की तैयारी चल रही है। तो सवाल है, इन्हें कौन हटाना चाह रहा है और ये ऐसा क्यों कह रहे हैं? इन्हें ऐसा लग कैसे गया?
जैसे शेख हसीना ने बताया था कि मुझसे सेंट मार्टिन आइलैंड मांगा था, और जब मैंने नहीं दिया, तो मुझे हटाने की कोशिश की गई। इसी तरह, मुइज्जू से भी कुछ ऐसा ही मांगा गया होगा जिसके चलते इन्हें हटाया जा रहा है। और हटाने वाला कौन है? भारत, चीन या फिर अमेरिका? कौन हटा रहा है? इस घटना को विस्तार से जानते हैं क्योंकि यह सुर्खियों में है। मालदीव पुलिस अब जांच कर रही है कि वहां पर तख्ता पलट का प्रयास हुआ था। फिलहाल, वह प्रयास तो रोक लिया गया है, लेकिन क्या यह आगे भी हो सकता है? इस विषय पर फिलहाल जांच जारी है। मालदीव की पुलिस जांच कर रही है क्योंकि राष्ट्रपति का आरोप है कि मुझे हटाने की तैयारी की जा रही थी और वित्तीय तख्ता पलट की कोशिश की जा रही थी।

सरकार को गिराने की साजिश के पीछे जो भी लोग हैं, उन पर अब कानूनी कार्रवाई होगी। ऐसा मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा है। क्यों कहा है? क्या घटना घटी? सारी बातें बताते हैं। जैसे हमारे यहां आरबीआई है, वैसे ही मालदीव में बैंक ऑफ मालदीव्स है। यह सरकारी बैंक है जो सारे विदेशी निवेश और मुद्रा (फॉरेक्स रिजर्व) का मेंटेनेंस करती है। बैंक ऑफ मालदीव्स ने कुछ समय पहले, लगभग 25 अगस्त को, एक ट्वीट किया था: “चेंजेज टू कार्ड लिमिट फॉर फॉरेन ट्रांजैक्शंस”। इसमें कहा गया कि जिनके पास कार्ड्स हैं, वे विदेशी मुद्रा के नाम पर $100 से ज्यादा नहीं निकाल पाएंगे। एक लिमिट सेट कर दी गई कि 25 तारीख के बाद से जो भी कार्ड होल्डर्स हैं मालदीव्स के अंदर, वे $100 से ज्यादा नहीं निकाल पाएंगे। अब आपके दिमाग में आएगा, तो क्या वहां पर डॉलर चलता है? नहीं, डॉलर नहीं चलता, मालदीवियन रुपिया चलता है। तो सवाल यह है कि डॉलर की बात क्यों हो रही है? जैसे आप में से कोई भी व्यक्ति विदेश यात्रा पर जाता है, तो वह उस देश की मुद्रा लेकर जाता है और नहीं मिलती, तो डॉलर लेकर जाता है क्योंकि डॉलर सर्वमान्य करेंसी है। इसी तरह, विदेश के जितने भी व्यापार होते हैं, मालदीव्स को रूस से तेल खरीदना है, तो रूस तेल को डॉलर में ही बेच रहा है कि अमेरिकी करेंसी दो, क्योंकि वह इसे किसी और को दे सके।
डॉलर अमेरिकी करेंसी है लेकिन यह दुनिया भर में चलती है। इसलिए दुनिया भर के देश विदेशी व्यापार को डॉलर में ही करते हैं। इन्होंने अपने देश के डॉलर पर रोक लगा दी और कहा कि $100 प्रति व्यक्ति से ज्यादा कोई भी व्यक्ति नहीं निकाल पाएगा। अब आपके दिमाग में प्रश्न बनेगा कि लिमिट क्यों लगाई गई? अगर मेरे अकाउंट में पैसा है, तो क्यों ना निकालूं और $100 की लिमिट क्यों लगाई गई? और यह जो आदेश हुआ, यह किस आशंका में है? क्या इनके पास पैसा खत्म हो गया है? सच्चाई यह है कि मालदीव्स की वित्तीय स्थिति इतनी खराब है कि आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक दोनों ने चेतावनी दे दी है।
लेकिन मालदीव्स के वर्तमान राष्ट्रपति अपनी राजनीति में ज्यादा व्यस्त हैं, तो वे इस सच्चाई का सामना नहीं कर पा रहे हैं। अन्यथा हालात बहुत खराब हैं। ऐसे में इनके द्वारा दिया गया यह बयान कि पैसे नहीं निकालो, अचानक इनकी सरकार को बिना बताए बैंक अगर ऐसा कोई आदेश निकाल रही है, तो फिर मुइज्जू ने कहा कि बैंक ने मुझे बताए बिना आदेश निकाल दिया। अगर ऐसा निकाल दिया, इसका मतलब यह हुआ कि बैंक पर हमारा नियंत्रण होते हुए भी मेरी अनुपस्थिति में आदेश देना एक वित्तीय तख्ता पलट की तैयारी है। मतलब लोग यह समझ जाएं कि मालदीव्स की हालत खराब है और यह मुझे बिना बताए ही ऐसा आदेश देने वाला व्यक्ति अपनी सरकार चलाना चाह रहा है।
अब यहां पर कुछ प्रश्न आपके दिमाग में बनने लगेंगे। मालदीव्स में मुइज्जू के अलावा कौन है ऐसा जो यह सब कर सकता है? और मालदीव्स की ऐसी कौन सी स्थिति आ पड़ी है जिसके चलते मालदीव्स में ऐसा नियम बैंक को लाना पड़ा? आरबीआई के द्वारा भी समय-समय पर जब नोटबंदी हुई थी, अलग-अलग प्रकार के आदेश आ रहे थे। ऐसे ही क्रेडिट कार्ड को लेकर भी कभी-कभी आरबीआई गाइडलाइंस निकालती रहती है। जैसे एचडीएफसी को रोका गया था कि आप क्रेडिट कार्ड एक लंबे समय तक के लिए नहीं दे पाओगे। आरबीआई इस तरह के फैसले लेती रहती है।
इनके यहां की बैंक ने जैसे ही फैसले लिए, मुइज्जू ने उनके फैसलों को ही चुनौती दे दी। परिणाम यह निकला कि इन्होंने तुरंत अपनी पुलिस से कहा कि इस मामले की जांच करो कि यह ऑर्डर किसने दिया? जिसने ऑर्डर दिया था इस तरह का, उसे पहले गिरफ्तार करो। और दूसरा, ऐसी कोई स्थिति नहीं है इसलिए मैं लोगों से कहता हूं, निकालना चाहो तो निकाल सकते हो, स्थितियां सामान्य हैं। अब बैंक वाले ज्यादा अच्छे से समझ रहे हैं सारी बातों को या फिर मोहम्मद मुइज्जू, यह तो वही जानें। लेकिन सामान्यतः ऐसा माना जाता है कि जो बैंकिंग के अंदर काम करने वाली संस्थाएं हैं, उन्हें इस बात की अच्छी समझ होती है कि हमें कितना पैसा रखना है और कितना देना है।
फिलहाल के लिए मालदीव्स में यह वाला आदेश हटा दिया गया है, लेकिन वर्तमान स्थिति समझें कि बैंक ने यह फैसला क्यों लिया था। दुनिया भर में जब विदेशी मुद्रा भंडार की बात आती है, तो भारत दुनिया में चौथे नंबर पर खड़ा दिखाई देता है। यानी हमने विदेशी मुद्रा में चाहे वो डॉलर हो, हमारे पास या फिर जो स्पेशल ड्राइंग राइट्स हैं आईएमएफ के, उनकी बास्केट की जो पांच करेंसीज हैं, उनमें से जो भी करेंसीज हैं, वो हमने भर-भर के रखी हुई हैं। 674 बिलियन डॉलर के आसपास हमारे पास विदेशी मुद्रा भंडार रखा हुआ है।
विदेशी मुद्रा भंडार की जरूरत क्यों पड़ती है? अगर आप सामान खरीदने किसी दूसरे देश से जा रहे हैं, तो वह आपका रुपया ले ही नहीं रहा है, तो आपको पेमेंट उस अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में करना पड़ता है, जिसे आईएमएफ ने मान्यता दी हुई है। ऐसी पांच मुद्राएं हैं। इन पांच मुद्राओं में डॉलर भी है, जापान की मुद्रा भी है, चीन की मुद्रा भी है, यूरोप की मुद्रा भी है, जिसे आप यूरो कहते हैं और ब्रिटेन की पाउंड स्टर्लिंग भी है। इन पांच मुद्राओं के अंदर सामान्यतः गोल्ड और इन पांच मुद्राओं को मिलाकर के फॉरेक्स को रखा जाता है। मालदीव्स का नंबर देखिए 588 मिलियन डॉलर है।
इसका मतलब समझिए कि भारत के पास 674 बिलियन डॉलर फॉरेक्स है और इनके पास कुल 588 मिलियन डॉलर फॉरेक्स है। यानी 58 करोड़ डॉलर इनके पास कुल हैं और इनकी आबादी 5 लाख के आसपास है। अगर एक व्यक्ति $1000 निकाल ले, तो इनका फॉरेक्स रिजर्व समाप्त हो सकता है। अगर एक व्यक्ति भी पैसा निकालना शुरू कर दे, तो रिजर्व खत्म हो सकता है। अभी 674 बिलियन डॉलर में से 20 बिलियन भी अगर आप निकालना शुरू करेंगे, तो फिर भी हम नंबर 4 पर ही रहेंगे। और तो और, रिजर्व इतना ज्यादा है कि उसको लेकर कोई खतरे की बात नहीं है। लेकिन अगर आपके पास मालदीव्स के जैसे हालात हैं, तो निश्चित तौर पर खतरे की घंटी है।
इस बीच दुनिया के देशों के अंदर विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर तनाव बढ़ रहा है। चीन की स्थिति भी इतनी ठीक नहीं है। हालांकि चीन नंबर 1 पर है 3230 बिलियन डॉलर के साथ। लेकिन फिर भी चीन के आर्थिक हालात इतने ठीक नहीं हैं कि वह अपने व्यापार को चला सके। इस बीच श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान की हालत खराब है। मालदीव्स को फॉरेक्स रिजर्व की कमी के चलते यह आदेश देना पड़ा कि 100 डॉलर से ज्यादा कोई भी व्यक्ति नहीं निकाल पाएगा।